तमिलनाडू TASMAC घोटाला, गुप्त पार्टी फंड को लेकर जाँच में जुटी ईडी
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तमिलनाडू TASMAC घोटाला, गुप्त पार्टी फंड को लेकर जाँच में जुटी ईडी

ईडी का मानना ​​है कि राजनेताओं, नौकरशाहों और निजी लोगों के एक सिंडिकेट ने भारी मात्रा में रकम हड़पी है, जिसका एक बड़ा हिस्सा 'पार्टी फंड' में गया है।


TASMAC Money Laundering Case : प्रवर्तन निदेशालय (ED) तमिलनाडु राज्य विपणन निगम (TASMAC) से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क की जांच के तहत एक गुप्त 'पार्टी फंड' की जांच कर रहा है, जिसे कथित रूप से इस 'घोटाले' से कमीशन (किकबैक) वसूलने के लिए इस्तेमाल किया गया था। इस घोटाले का अनुमानित मूल्य कई सौ करोड़ रुपये बताया गया है।


'पार्टी फंड' क्या है?

ED के सूत्रों के अनुसार, यह घोटाला शराब की कीमतों में कृत्रिम रूप से बढ़ोतरी, नकली बिल बनवाने और अतिरिक्त कमाई को शेल कंपनियों, फिल्म प्रोजेक्ट्स और अन्य निवेशों में लगाने से जुड़ा है। एजेंसी का मानना है कि नेताओं, नौकरशाहों और निजी कंपनियों का एक जटिल नेटवर्क भारी रकम का गबन कर रहा था, जिसमें से बड़ा हिस्सा 'पार्टी फंड' में जा रहा था।

सूत्रों के अनुसार, यह 'पार्टी फंड' एक ऐसी व्यवस्था है जिसमें ठेकेदार और कंपनियां किसी प्रोजेक्ट की लागत का 5-10 प्रतिशत हिस्सा सत्तारूढ़ पार्टी को देती हैं ताकि उन्हें अनुबंध या मंजूरी मिल सके।


राजनीतिक संरक्षण

TASMAC घोटाले में, निजी डिस्टिलरियों ने कथित तौर पर अपने अनुबंध मूल्य का 10-20 प्रतिशत हिस्सा, जिसमें 'पार्टी फंड' भी शामिल है, भुगतान आदेश (पर्चेज ऑर्डर) प्राप्त करने के लिए दिया। उदाहरण के लिए, ₹100 करोड़ के ऑर्डर पर ₹20 करोड़ तक की रिश्वत दी जाती थी। उद्योग सूत्रों के अनुसार, इस प्रणाली के माध्यम से हर साल ₹300-400 करोड़ तक इकट्ठा किए जाते थे।

केवल वही डिस्टिलरियां जिन्हें राजनीतिक समर्थन प्राप्त था, जैसे कि AIADMK शासनकाल के दौरान MIDAS और MB डिस्टिलरीज़, बड़े ऑर्डर प्राप्त कर पाती थीं। DMK के सत्ता में आने के बाद इन कंपनियों को किनारे कर दिया गया या अन्य कंपनियों के साथ मिला दिया गया, ऐसा ED के सूत्रों का कहना है।


ED की जांच - फंड का स्रोत कौन संभालता है?

अब ED यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है कि इस 'पार्टी फंड' का प्रबंधन कौन करता है और यह पैसा कहां जाता है। हाल ही में हुई छापेमारियों में TASMAC के प्रबंध निदेशक एस. विश्वकन (IAS), फिल्म निर्माता आकाश भास्करन, और एक अन्य व्यक्ति रतीश के परिसरों पर छापे मारे गए, जिन्हें इस फंड को संभालने वाला माना जा रहा है।

एजेंसी का कहना है कि उसने पूरे मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क को ट्रेस कर लिया है और अब इसे चरणबद्ध तरीके से खत्म कर रही है।

हालांकि पूर्व मंत्री वी. सेंथिल बालाजी, जो एक अलग "नौकरी के बदले पैसे" घोटाले में एक साल से अधिक समय से जेल में हैं, इस मामले से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं, लेकिन ED यह जांच कर रहा है कि उनकी अनुपस्थिति में 'पार्टी फंड' का नियंत्रण किसके पास था।

क्या एजेंसी को भास्करन और रतीश के खिलाफ कोई ठोस सबूत मिले हैं, यह बात छापेमारी पूरी होने और आधिकारिक बयान जारी होने के बाद ही स्पष्ट होगी।


DMK की प्रतिक्रिया - पार्टी की छवि खराब करने की कोशिश

जहां एक ओर यह कथित घोटाला तमिलनाडु के राजनीतिक और व्यावसायिक जगत में हलचल मचा रहा है, वहीं DMK ने इसमें किसी भी प्रकार की संलिप्तता से इनकार किया है।

DMK प्रवक्ता जे. कॉन्स्टैंटाइन रविंद्रन ने कहा कि ये छापे पार्टी की छवि खराब करने के उद्देश्य से किए जा रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या इससे पहले हुई तलाशी से कोई ठोस परिणाम निकला? उनका कहना था कि ये सभी कार्रवाई केवल DMK सरकार को बदनाम करने के लिए हैं और अंततः निष्फल सिद्ध होंगी।


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