
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस नेतृत्व का खात्मा करने वाला माओवादी गणेश मारा गया, 1.1 करोड़ का इनामी था
गणेश पिछले एक साल से ओडिशा में सक्रिय था। वह कैडरों को फिर से संगठित करने के लिए करीब 10 दिन पहले कंधमाल गया था। वह तीन राज्यों में मोस्ट वॉन्टेड था।
प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) के केंद्रीय समिति के सदस्य 69 वर्षीय गणेश उइके का आखिरकार 'द एंड' हो गया है। वह तेलंगाना में माओवादियों का टॉप लीडर था और तीन राज्य लंबे समय से उसे तलाश रहे थे। इतने बरसों से सुरक्षाबलों को चकमा देता आ रहा गणेश आखिरकार घेर लिया गया और फिर उसके पास बचने का कोई रास्ता नहीं था। गणेश पर तीन राज्यों, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 1 करोड़ 10 लाख रुपये का नकद इनाम घोषित था।
इससे पहले तक माओवादी लीडर गणेश जब चाहे गायब हो जाता था। वह कभी स्वामीजी का भेष धारण किए, हाथ में डंडा, कंधे पर तौलिया और नाम बदलकर सबको चकमा देता रहा। लेकिन गुरुवार को माओवादी कमांडर पाका हनुमंथु उर्फ गणेश उइके घेर लिया गया। ₹1.1 करोड़ के संयुक्त इनाम वाला यह शीर्ष माओवादी आत्मसमर्पण से इनकार करता रहा और ओडिशा में सुरक्षा बलों के एक अभियान में मारा गया।
गणेश उइके प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी) का ओडिशा प्रभारी था और चार दशक से अधिक समय से भूमिगत था। वह उन चार माओवादियों में शामिल था, जिन्हें गुरुवार तड़के कंधमाल जिले में मार गिराया गया। कंधमाल दक्षिण ओडिशा का पहाड़ी और वनाच्छादित इलाका है, जो छत्तीसगढ़ की सीमा से सटा है। उसकी मौत के साथ ही पिछले 24 घंटों में कंधमाल में मारे गए माओवादियों की संख्या छह हो गई।
2013 के झीरम नरसंहार से कनेक्शन
सुरक्षा एजेंसियों ने गणेश को कई बड़े माओवादी अभियानों से जोड़ा है, जिनमें सबसे प्रमुख मई 2013 का झीरम घाटी हमला है। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कांग्रेस नेताओं के काफिले पर हुए इस हमले में कम से कम 27 लोग मौके पर ही मारे गए थे और 34 घायल हुए थे। इस घटना के बाद गणेश कई माओवादी प्रभावित राज्यों की मोस्ट वांटेड सूचियों में शीर्ष पर आ गया था।
गुरुवार का यह ऑपरेशन 22 दिसंबर को छत्तीसगढ़ के 22 माओवादियों के ओडिशा के मलकानगिरी जिले में आत्मसमर्पण के बाद हुआ। पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले कैडरों से मिली पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर गणेश की गतिविधियों का पता लगाया गया। बुधवार को दो माओवादी, जिनमें एक एरिया कमेटी सदस्य भी था, मारे गए। इसके कुछ घंटे बाद गणेश मारा गया और वह ओडिशा में निष्प्रभावी किया गया पहला माओवादी कमांडर और केंद्रीय समिति सदस्य बन गया।
मीडिया रिपोर्ट्स में कंधमाल के एसपी हरीश बीसी के हवाले से बताया गया है कि सुरक्षा बलों को चार शव मिले, जिनमें दो पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं और सभी वर्दी में थे। उनके पास दो इंसास राइफल और एक .303 राइफल भी बरामद हुई। फिलहाल गणेश की पहचान की पुष्टि हो चुकी है। बाकी तीन कैडरों की पहचान की जा रही है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इस ऑपरेशन को एक निर्णायक मोड़ बताया। उनके कार्यालय ने एक पोस्ट में कहा, “नक्सल-मुक्त भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर। हम 31 मार्च 2026 से पहले नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए संकल्पबद्ध हैं।” शाह ने मार्च 2026 को देशभर से माओवादी उग्रवाद खत्म करने की समयसीमा तय की है और कहा है कि ओडिशा वामपंथी उग्रवाद से लगभग मुक्त होने की कगार पर है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि गणेश ने आत्मसमर्पण के कोई संकेत नहीं दिए। हाल के महीनों में उसने केंद्रीय समिति के साथी चंद्रन्ना द्वारा तेलंगाना पुलिस के सामने आत्मसमर्पण करने की सार्वजनिक रूप से आलोचना की थी और कहा था कि झटकों के बावजूद आंदोलन जारी रहेगा।
गणेश पर छत्तीसगढ़ में ₹40 लाख और तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में ₹25-25 लाख का इनाम घोषित था।
तेलंगाना के नलगोंडा जिले के पुल्लेमला गांव में जन्मे गणेश, जिसे रूपा, राजेश तिवारी, चामू, चमरू और सोमुडु जैसे नामों से भी जाना जाता था, उसने नलगोंडा में पढ़ाई की। उसने बीएससी की पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और 1982 में कैंपस की हिंसक राजनीति के बीच भूमिगत हो गया। बाद में वह दक्षिण छत्तीसगढ़ के घने वन क्षेत्र पश्चिम बस्तर में एक संगठनकर्ता और कमांडर के रूप में उभरा। उसने डिविजनल कमेटी के सचिव और प्रभारी के तौर पर काम किया और साउथ सब-जोनल ब्यूरो की निगरानी की।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उसकी भौंहों के बीच काला टैटू था, दूर की नजर के लिए चश्मा पहनता था और तेलुगु, हिंदी, गोंडी व अंग्रेजी में दक्ष था। वह अक्सर .303 राइफल लिए दो सशस्त्र अंगरक्षकों के साथ चलता था। उसकी अपनी एके-47 और अन्य उपकरण, जिनमें लैपटॉप, फोन, प्रिंटर, बैटरियां और मैनपैक शामिल थे, उन्हें उसके सहयोगी ढोते थे। वह बिना आराम किए घंटों पैदल चलने के लिए जाना जाता था और स्वामीजी का भेष धारण कर कस्बों में चुपचाप प्रवेश कर जाता था।
सितंबर में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में ओडिशा प्रभारी मोडेम बालकृष्णा के मारे जाने के बाद, अक्टूबर में गणेश ने ओडिशा में कमान संभाली। उसका फोकस कालाहांडी–रायगढ़ा–कंधमाल–बौध–नयागढ़ अक्ष पर था, जो दक्षिण और मध्य ओडिशा का दुर्गम, वनाच्छादित इलाका है।
गणेश पिछले एक साल से ओडिशा में सक्रिय था। वह कैडरों को फिर से संगठित करने के लिए करीब 10 दिन पहले कंधमाल गया था। फरवरी में उसने कंधमाल के कोटागढ़ क्षेत्र में बैठक बुलाई और नियामगिरी लोकल ऑर्गनाइजेशन स्क्वाड को घुमुसर एरिया कमेटी में पुनर्गठित किया, ताकि उन इलाकों में माओवादी प्रभाव को फिर से जीवित किया जा सके, जो कभी ओडिशा के पूर्व माओवादी कमांडर सब्यसाची पांडा के प्रभाव में थे, जिसे 2014 में गिरफ्तार किया गया था।

