नया बलात्कार विधेयक और CBI पर हमला: नुकसान की भरपाई के लिए TMC बेताब
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नया बलात्कार विधेयक और CBI पर हमला: नुकसान की भरपाई के लिए TMC बेताब

संकटग्रस्त तृणमूल कांग्रेस आरजी कर बलात्कार और हत्या के मुद्दे पर जनता के गुस्से को केंद्र की ओर मोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है.


Kolkata Rape and Murder: संकटग्रस्त तृणमूल कांग्रेस आरजी कर बलात्कार और हत्या के मुद्दे पर जनता के गुस्से को केंद्र की ओर मोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है. क्योंकि चल रहे विरोध-प्रदर्शनों से टीएमसी के गढ़ ग्रामीण क्षेत्रों तक फैलने का खतरा है. सीबीआई के खिलाफ बढ़ते विरोध-प्रदर्शन और जवाबी सोशल मीडिया अभियान पार्टी द्वारा अपने 13 साल के निर्बाध शासन में अब तक के सबसे बड़े संकट से बचने के लिए अपनाए गए उपायों में से है.

टीएमसी सरकार मंगलवार को राज्य विधानसभा में एक विधेयक पेश करेगी, जो पश्चिम बंगाल के संबंध में तीन केंद्रीय कानूनों के आवेदन में संशोधन करेगा. अपराजिता महिला एवं बाल (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून संशोधन) विधेयक, 2024 राज्य में उनके आवेदन में भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 में संशोधन करने का प्रयास करता है.

नया विधेयक

ऐसा माना जा रहा है कि नए राज्य कानून में बलात्कार और सामूहिक बलात्कार के लिए अधिकतम सजा बढ़ाने का प्रस्ताव होगा. चाहे पीड़िता की उम्र कुछ भी हो, जिसमें दोषी को उसके शेष प्राकृतिक जीवनकाल तक कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान होगा. वहीं, बीएनएस के तहत 18 वर्ष से कम आयु की लड़कियों के साथ सामूहिक बलात्कार के लिए मृत्युदंड का प्रावधान है. विधेयक में यौन अपराधों की सुनवाई में तेजी लाने के लिए प्रत्येक जिले में सत्र न्यायाधीश या अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के पद से नीचे के किसी व्यक्ति की अध्यक्षता में एक विशेष अदालत की स्थापना का प्रस्ताव है. राज्य सरकार विशेष अदालतों के लिए एक विशेष सरकारी अभियोजक नियुक्त करेगी.

प्रस्तावित विधेयक में निर्दिष्ट अपराधों की जांच के लिए जिला स्तर पर एक विशेष जांच दल अपराजिता टास्क फोर्स के गठन का भी सुझाव दिया गया है. टास्क फोर्स का नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक करेंगे. टीएमसी सरकार ने भाजपा नीत सरकार पर बलात्कार और हत्या के लिए कड़ी सजा तथा ऐसे अपराधों से संबंधित मामलों के समयबद्ध निपटारे के लिए कानून बनाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए विधेयक पेश करने का फैसला किया.

ममता के पत्र

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 9 अगस्त को कोलकाता के सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या की घटना के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दो पत्र लिखकर कड़े कानून की मांग की थी. उनके भतीजे और टीएमसी महासचिव अभिषेक बनर्जी ने पिछले सप्ताह कहा था कि यदि केंद्र सरकार नया कानून बनाने में विफल रही तो वह संसद में एक निजी विधेयक लाएंगे. टीएमसी के आलोचक यह आरोप लगाने में जल्दी करते हैं कि ये टीएमसी और उसकी सरकार द्वारा अपनाई गई ध्यान भटकाने वाली रणनीतियां हैं.

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने दावा किया कि मुख्यमंत्री द्वारा प्रधानमंत्रियों को लिखे गए पत्र में उठाया गया मुद्दा बच्चों पर बलात्कार और यौन उत्पीड़न के मामलों से निपटने के लिए फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (एफटीएससी) की स्थापना में “देरी को छिपाने” का प्रयास था. राजनीतिक टिप्पणीकार और लेखक निर्मल्य बनर्जी ने कहा कि कानून बनाने का प्रस्ताव और आरजी कार घटना के लिए कड़ी सजा की मांग करके, टीएमसी सरकार खुद को प्रदर्शनकारियों के साथ एक बताने की कोशिश कर रही है.

टीएमसी का व्यापक विरोध-प्रदर्शन

टीएमसी ने इस क्रूर घटना की जांच में कथित रूप से प्रगति न करने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की आलोचना करते हुए कई विरोध कार्यक्रमों की श्रृंखला आयोजित करते हुए सड़कों पर भी उतर आई. स्वास्थ्य राज्य मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्य आरोपी संजय रे के अलावा सीबीआई अब तक मामले में कोई सफलता हासिल नहीं कर सकी है. रे को कोलकाता पुलिस ने दुर्भाग्यपूर्ण दिन अपराध के सिलसिले में गिरफ्तार किया था. उन्होंने केंद्रीय एजेंसी से मांग की कि वह जांच की प्रगति बताए और ऐसा मजबूत मामला बनाए, जिससे बलात्कारी को फांसी की सजा दी जा सके. वह रविवार को जांच में देरी के विरोध में टीएमसी की महिला शाखा द्वारा आयोजित एक रैली में बोल रही थीं.

कलकत्ता हाई कोर्ट ने 23 अगस्त को मामले की जांच कोलकाता पुलिस की विशेष जांच टीम से सीबीआई को सौंप दी थी. तब से पार्टी केंद्रीय एजेंसी पर “न्याय दिलाने” के लिए दबाव बनाने की कोशिश कर रही है. “सीबीआई के चेपे धर (सीबीआई पर दबाव डालो), आरजी कर को न्याय दो” यह नारा पूरे राज्य में आयोजित टीएमसी विरोध प्रदर्शनों में गूंज रहा है. इसका उद्देश्य केंद्रीय एजेंसी की “सुस्त” जांच को निशाना बनाकर केंद्र पर दबाव बनाना है.

हालांकि, पार्टी के प्रयास को उस समय झटका लगा, जब सीबीआई ने मंगलवार शाम को आरजीकेएमसीएच में भ्रष्टाचार के आरोप में डॉ. घोष को गिरफ्तार कर लिया. अदालत ने सीबीआई को अनियमितताओं के आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया, जिसमें बायोमेडिकल कचरे की कथित तस्करी भी शामिल है, जो कथित तौर पर संस्थान के तत्काल पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष के कार्यकाल के दौरान संस्थान में हुई थी, जो अब 9 अगस्त की घटना को लेकर आलोचनाओं के घेरे में हैं.

डॉ. घोष को दो पॉलीग्राफ टेस्ट और सीबीआई द्वारा मैराथन पूछताछ से गुजरना पड़ा. जांच एजेंसी द्वारा 5 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामले की प्रगति पर अपनी दूसरी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की उम्मीद है. टीएमसी के एक वर्ग का मानना है कि मामले में सफलता हासिल करने में सीबीआई की देरी से अंततः राज्य सरकार पर दबाव कम होगा.

नाम न बताने की शर्त पर एक टीएमसी नेता ने कहा कि बलात्कार और हत्या मामले में डॉ. घोष को गिरफ्तार नहीं किया जाना यह दर्शाता है कि बलात्कार और हत्या मामले में कोलकाता पुलिस की जांच सही दिशा में थी. पार्टी ने अपने नेताओं को निर्देश दिया है कि वे पुलिस शिकायत दर्ज होने के बाद से दुर्भाग्यपूर्ण घटना से निपटने में राज्य सरकार की कथित लापरवाही पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए सोशल मीडिया पर जवाबी हमला तेज करें. इसके अलावा, टीएमसी ने ब्लॉक स्तर पर जवाबी लामबंदी अभियान शुरू किया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि चल रहा आंदोलन उसके गढ़ माने जाने वाले ग्रामीण क्षेत्रों में न फैले.

पर्यवेक्षकों का कहना है कि संकट से निपटने के लिए ये राजनीतिक प्रयास आंदोलन को शांत करने के लिए पर्याप्त नहीं होंगे, जब तक कि राज्य सरकार आंदोलनकारी जनता को जीत का अहसास दिलाने के लिए कुछ ठोस प्रशासनिक उपाय नहीं करती.

राजनीतिक टिप्पणीकार अमल सरकार ने कहा कि राज्य सरकार कम से कम डॉ. घोष को निलंबित कर सकती है और कोलकाता के पुलिस आयुक्त विनीत कुमार गोयल को बदल सकती है. क्योंकि जनता की भावनाएं उनके खिलाफ हैं. सोमवार को जूनियर डॉक्टरों ने कोलकाता में सड़कों पर उतरकर मामले को कोलकाता पुलिस द्वारा कथित रूप से गलत तरीके से संभालने के लिए गोयल को हटाने की मांग की. ममता बनर्जी सरकार द्वारा अब तक संकट से प्रशासनिक रूप से नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से निपटने का उठाया गया कदम अंततः पार्टी के लिए महंगा साबित हो सकता है. क्योंकि आंदोलन और मजबूत होता जा रहा है.

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