उद्धव का हौसला इतना बुलंद क्यों है, BJP- शिंदे दोनों को सुना दी खरी खरी
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उद्धव का हौसला इतना बुलंद क्यों है, BJP- शिंदे दोनों को सुना दी खरी खरी

आम चुनाव 2024 में मिली जीत के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा कि विधानसभा का चुनाव आने वाला है. चुनावी नतीजे बता देंगे कि कौन सी शिवसेना और किसका हिंदुत्व असली है


Uddhav Thackeray News: शिवसेना और बीजेपी की राह अलग हो जाएगी.शिवसेना में दो फाड़ हो जाएगा. ये दोनों ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब सिर्फ इतना सा हो सकता है कि सियासत में कोई शाश्वत दोस्त या दुश्मन नहीं होता. आम चुनाव 2024 के नतीजों के बाद जहां एक तरफ यूपी तो दूसरी महाराष्ट्र चर्चा के केंद्र में है. महाराष्ट्र में इसी साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है और राजनीतिक समीकरणों को अपने पक्ष में करने के लिए सियासी दल जुट चुके हैं. महायुति में बीजेपी को शिवसेना एकनाथ शिंदे गुद से कितना फायदा हुआ. वो सबके सामने हैं. ऐसे में सवाल उठा कि क्या बीजेपी, शिवसेना उद्धव गुट के साथ जाएगी. इसी तरह का सवाल जब उद्धव ठाकरे से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सवाल ही नहीं उठता.

जिसने पीठ में खंजर भोंका उसके साथ नहीं

उद्धव ठाकरे कहते हैं कि जिन लोगों ने हमेशा खत्म करने की कोशिश की उनके साथ कभी नहीं जाएंगे.इसके साथ ही एकनाथ शिंदे को चुनौती देते हुए कहा कि हिम्मत हो तो शिवसेना के चुनाव निशान और बाला साहेब ठाकरे का नाम लिए बगैर विधानसभा चुनावी में किस्तमत आजमाएं.यही नहीं उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को भी महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार करने की चुनौती तक दे डाली. एकनाथ शिंदे खेमे में बाला साहेब ठाकरे की विरासत की झलक नहीं है. लोकसभा चुनाव में लोगों ने अपना फैसला सुना दिया है कि कौन असली वारिस है.शिवसेना के स्थापना दिवस के मौके पर ठाकरे कहते हैं कि इस समय कयास लगाए जा रहे हैं कि वो एनडीए का हिस्सा बनेंगे. लेकिन जिन लोगों ने पीठ में खंजर भोंका उनके साथ कैसे जा सकते हैं.

बीजेपी का हिंदुत्व रुढ़िवादी

उद्धव ठाकरे ने बीजेपी के हिंदुत्व को रुढ़िवादी बताया जबकि अपने हिंदुत्व को प्रगतिशील और साहसिक करार दिया है.हकीकत में तो सत्ता के लिए बीजेपी ने नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के साथ हाथ मिलाकर हिंदुत्व को कूड़े में दफ्न कर दिया.उनकी पार्टी एनडीए के खिलाफ पूरी मजबूती से खड़ी है क्योंकि इन लोगों ने संविधान और देश को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की.यही नहीं बीजेपी ने भूपेंद्र यादव और अश्विनी वैष्णव के रूप में दो ऑब्जर्वर भेजे हैं जो मोदी कैबिनेट के सबके खराब प्रदर्शन करने वाले हैं. वो यह भी कहते हैं कि जो लोग अपने आपक को हिंदुत्व का सबसे बड़ा नेता बताते थे उनकी कलई खुल चुकी है. अयोध्या में क्या हुआ. खुद काशी में पीएम मोदी की जीत की मार्जिन घट गई.

महाराष्ट्र की राजनीतिक पर नजर रखने वालों का कहना है कि इसमें दो मत नहीं कि उद्धव ठाकरे से उनका चुनाव निशान छिन गया. पार्टी की पहचान तो थी लेकिन तकनीकी तौर पर शिंदे गुट के दावे को वैधानिक दर्जा मिला. इन सब विकट हालात में उद्धव गुट का प्रदर्शन शिंदे गुट से बेहतर रहा. अगर आप सीटों की बात करें तो एक बात साफ है कि जहां पर शिंदे गुट और उद्धव गुट आमने सामने रहा वहां शिंदे खेमे की हार हुई. इसका अर्थ यह हुआ कि जनता ने कहीं न कहीं यह माना कि बाला साहेब के वारिस तो उद्धव ही हैं. अब इस नतीजे के बाद उत्साहित ठाकरे विधानसभा में सीधे सीधे बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट को चुनौती देने की बात कह रहे हैं.

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