सत्ताईस का नारा,निषाद है सहारा, UP में क्या मोलभाव में जुटी निषाद पार्टी?
x

सत्ताईस का नारा,निषाद है सहारा, UP में क्या मोलभाव में जुटी निषाद पार्टी?

यूपी विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए संजय निषाद दो सीटों की मांग कर रहे थे। हालांकि बीजेपी की तरफ से उन्हें एक भी सीट नहीं मिली है।


Sanjay Nishad Poster News: देश के सबसे बड़े सूबे में से एक उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2027 में होना है। लेकिन सियासत 2024 से ही शुरू हो चुकी है। दरअसल इसके पीछे वजह 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को बताया जा रहा है। कहने को 9 सीटों पर लड़ाई एनडीए और इंडिया गठबंधन (NDA vs India Alliance) के बीच है। लेकिन असलियत में बीजेपी और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार एक दूसरे को टक्कर दे रहे हैं। इन सबके बीच लखनऊ में पिछले चार से पांच दिन में तीन पोस्टर नजर आए। एक पोस्टर पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav Poster) की तस्वीर के साथ लिखा था सत्ताईस का सत्ताधीश। दूसरे पोस्टर पर संजय निषाद की तस्वीर के साथ लिखा था कि सत्ताईस के खेवनहार। इसके साथ ही अब एक और तस्वीर संजय निषाद(Sanjay Nishad) की सामने आई है जिस पर लिखा है कि सत्ताईस का नारा, निषाद है हमारा। खास बात यह है कि ये तस्वीर सपा और बीजेपी के कार्यालयों के बाहर लगाई गई थी। हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

लखनऊ की सड़कों पर लगे पोस्टर
समाजवादी पार्टी के दफ्तर के बाहर अगर सत्ताईस का सत्ताधीश वाला पोस्टर लगता है तो अचंभे की बात नहीं है। सियासत में हर एक राजनीतिक दल अपने कार्यकर्ताओं के उत्साह को बढ़ाने के लिए इस तरह के नारों या जुमलों का इस्तेमाल करता है। लेकिन कोई शख्स जो सत्ताधारी दल का हिस्सा हो, सरकार का अहम हिस्सा हो और उसके पोस्टर बहुअर्थी हों बात इतनी साधारण नहीं रह जाती। यूपी में 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव(UP Assembly By Poll 2024) में जिस तरह से कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एका नहीं बना सके। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिल सकी।

ठीक वैसे ही योगी आदित्यनाथ(Yogi Adityanath) सरकार में शामिल संजय निषाद के साथ हुआ। संजय निषाद अपने समाज को आधार बनाकर अंबेडकर नगर की कटेहरी और मिर्जापुर की मझवां सीट की मांग कर रहे थे। लेकिन उन्हें एक भी सीट नहीं मिली। जब यह साफ हो गया कि इन दोनों सीटों पर बीजेपी का उम्मीदवार चुनावी मैदान में आएगा तो एक पोस्टर आया जिस पर लिखा था कि सत्ताईस के खेवनहार। यानी संदेश दो तरह से देने की हुई कि बीजेपी उसे हल्के में ना ले। भले ही वो उसे दो सीट देने से बच रही है। लेकिन 402 सीटों की लड़ाई में नजरंदाज नहीं कर सकती। इन सबके बीच जब यह साफ हो गया कि उप चुनाव में निषाद पार्टी के हाथ खाली रहने वाले हैं तो एक और पोस्टर लखनऊ की सड़क पर नजर आया।

पांच दिन ने दो पोस्टर की अपनी कहानी
इस दफा संजय निषाद की तस्वीर वाले पोस्टर पर लिखा था कि सत्ताईस का नारा, निषाद है हमारा। यह पोस्टर समाजवादी पार्टी और बीजेपी दोनों के दफ्तरों के बाहर लगाए गए थे। सियासत के जानकार कहते हैं कि राजनीति में संकेतों की अहम भूमिका होती है। जाति आधारित दल (निषाद पार्टी) सियासत जाति की ही करते हैं लेकिन नाम वो सामाजिक न्याय की देते हैं। ऐसे में संजय निषाद को लगता है कि उनके समाज की संख्या नतीजों को प्रभावित कर सकती है तो वो दबाव की राजनीति क्यों ना करें। अगर आप यूपी की राजनीति (Uttar Pradesh Political News) को देखें तो चाहे राजभर समाज हो या निषाद समाज हो या छोटे छोटे जाति समूह ये अपने दम पर चुनाव जीतने की क्षमता अधिक नहीं रखते। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल की जीत या हार की वजह बन सकते हैं। लिहाजा कभी सांकेतिक बयानों के जरिए तो कभी तस्वीरों के जरिए वो इस तरह का संदेश देने की कोशिश करते हैं कि उन्हें कमतर आंकना सही नहीं होगा।

Read More
Next Story