जिन सीटों पर था गुमान बचा ना सके अखिलेश यादव, कटेहरी-कुंदरकी दोनों गए
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जिन सीटों पर था गुमान बचा ना सके अखिलेश यादव, कटेहरी-कुंदरकी दोनों गए

यूपी में समाजवादी पार्टी के सपनों पर बीजेपी ने पानी फेर दिया। समाजवादी पार्टी को सिर्फ दो सीट पर ही कामयाबी मिली। खास बात यह है कि कटेहरी, कुंदरकी जैसे गढ़ को हार गई।


यूपी विधानसभा की सभी 9 सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे घोषित किए जा चुके हैं। आंकड़ों की लड़ाई में बीजेपी गठबंधन को शानदार कामयाबी मिली है। बीजेपी 6 सीट, आरएलडी 1 सीट और समाजवादी पार्टी को 2 सीट पर जीत मिली है। समाजवादी पार्टी सिर्फ दो सीटों को जीतने या यूं कहिए कि बचा पाने में कामयाब रही। पहली सीट यादव परिवार की पारंपरिक सीट करहल और दूसरी कानपुर की सीसामऊ है, जबकि बीजेपी के खाते में कटेहरी, फूलपुर, मझवां, खैर, गाजियाबाद और कुंदरकी है। बता दें कि कुंदरकी, मीरापुर और सीसामऊ मुस्लिम बहुल सीट है। यहां पर हम दो सीटों की चर्चा करेंगे। पहली सीट अंबेडकर नगर जिले की कटेहरी और दूसरी सीट मुरादाबाद की कुंदरकी है। कटेहरी में बीजेपी उम्मीदवार धर्मराज निषाद ने सपा प्रत्याशी शोभावती वर्मा को 34 हजार मतों से हरा दिया। वहीं कुंदरकी सीट से बीजेपी उम्मीदवार रामवीर सिंह ने सपा उम्मीदवार को 1 लाख वोट के अंतर से हरा दिया।

कटेहरी सीट और कुंदरकी सीट को बीजेपी करीब 33 साल बाद अपने पाले में लाने में कामयाब रही है। कटेहरी सीट पारंपरिक तौर पर सपा और बीएसपी की रही है। लालजी वर्मा जो कि अब अंबेकरनगर से सपा के टिकट पर सांसद है उनकी पारंपरिक सीट हुआ करती थी। यानी कि चाहे वो किसी भी दल में रहे हों जीत उनके नाम ही दर्ज होती रही है। इस दफा उनकी पत्नी शोभावती वर्मा पर समाजवादी पार्टी ने भरोसा जताया था। लेकिन उन्हें नाकामी मिली। इस सीट पर बीजेपी की जीत से एक संदेश भी गया है कि उसके सहयोगी दलों सुभासपा और निषाद पार्टी ने जमीनी स्तर पर सहयोग दिया जिसका नतीजा जीत है।

इसी तरह मुरादाबाद की कुंदरकी सीट है। कुंदरकी सीट पर बीजेपी प्रत्याशी की सीट इसलिए अहम है क्योंकि उस सीट पर 64 फीसद मुसलमान है। इस सीट पर बीजेपी ने रामवीर सिंह नाम के कैंडिडेट को उतारा था। खास बात ये कि इस सीट पर तुर्क मुसलमान और शेखजादे मुसलमान का नारा बहुत तेज चला और उसका फायदा बीजेपी कैंडिडेट को मिला।

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