
यूपी में अपने ब्राह्मण विधायकों की गोलबंदी पर BJP सख्त, प्रदेश अध्यक्ष ने किया आगाह
उत्तर प्रदेश में बीजेपी के ब्राह्मण विधायकों का 'सहभोज' के लिए जुटना पार्टी को खटक गया है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी ने इसे नकारात्मक राजनीति ठहराया है।
विपक्ष की पार्टियों पर जातिवादी राजनीति का आरोप लगाने वाली बीजेपी को अपने भीतर के 'जातिवाद' से लड़ना ही एक चुनौती बन गया है। सत्ता और सिस्टम में 'ठाकुरवाद' के वर्चस्व के आरोपों की आंच बीजेपी के भीतर भी महसूस की जाने लगी तो पार्टी नेतृत्व के कान खड़े हो गए। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान बीजेपी के 30 से ज्यादा ब्राह्मण विधायकों का सहभोज करना पार्टी को खटक गया है। नौबत ये आ गई कि यूपी बीजेपी के नए नवेले प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी को ब्राह्मण समाज की बैठकें करने वाले विधायकों को चेतावनी जारी करनी पड़ी।
'द फेडरल देश' ने 24 दिसंबर की अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि कैसे मंगलवार 23 दिसंबर की रात कुशीनगर से बीजेपी विधायक पीएन पाठक के लखनऊ स्थित सरकारी आवास में रखी गई एक दावत में 30 से ज्यादा ब्राह्मण विधायक शामिल हुए थे। इसमें बीजेपी के विधायक तो थे ही, विधान परिषद के कुछ सदस्य भी शामिल हुए।ख़बर आई कि इस बैठक में प्रदेश की राजनीति में ब्राह्मणों की सियासी स्थिति को लेकर चर्चा की गई थी। राजनीतिक हलकों में इसे ब्राह्मण समाज से आने वाले विधायकों के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा गया। लेकिन इससे जुड़ी ख़बरों का संज्ञान लेते हुए यूपी में बीजेपी नेतृत्व ने अपने इन विधायकों को आगाह किया है कि वे किसी तरह की नकारात्मक राजनीति का शिकार न बनें।
यूपी बीजेपी अध्यक्ष पंकज चौधरी ने कहा, "इस तरह का कोई भी कृत्य भाजपा के संविधान एवं आदर्शो के अनुरूप नहीं माना जाना चाहिये। भाजपा सिद्धांतों और आदर्शों पर आधारित राजनीतिक दल है। पार्टी और उसके कार्यकर्ता परिवार या वर्ग विशेष को लेकर राजनीति करने में विश्वास नहीं करते हैं।"
पंकज चौधरी ने आगे कहा, "हमने जनप्रतिनिधियों के साथ बातचीत कर सभी को स्पष्ट कहा है कि ऐसी कोई भी गतिविधि भाजपा की संवैधानिक परंपराओं के अनुकूल नहीं है। जनप्रतिनिधियों से भविष्य में ऐसी गतिविधियों के लिए सतर्कता बरतने को कहा है। उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर भाजपा के किसी जनप्रतिनिधि द्वारा इस तरह की गतिविधियों को दोहराया गया, तब ऐसी स्थिति में पार्टी के संविधान के अनुरूप अनुशासन हीनता माना जाएगा।"
तो इस तरह यूपी बीजेपी ने 23 दिसंबर के सहभोज में शामिल हुए अपने 30 से ज्यादा विधायकों और विधान परिषद सदस्यों को चेतावनी जारी कर दी है। बीजेपी के ही भीतर यह जातीय गोलबंदी ऐसे समय में हो रही है जबकि नया साल आने वाला है और अगला साल चुनावी साल होगा क्योंकि 2027 की शुरुआत में ही उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। फिलहाल बीजेपी के भीतर राजपूत बनाम ब्राह्मण की यह गोलबंदी क्या रंग दिखाएगी, इस पर सभी की नज़र है।

