
UP Police Controversy: DGP ने तोड़ी चुप्पी, अखिलेश के जातीय आरोपों पर दिया जवाब
UP DGP reply to Akhilesh: सपा और यूपी सरकार के बीच जातीय प्रतिनिधित्व को लेकर तनातनी तेज हो गई है. जहां अखिलेश यादव इसे भेदभाव का प्रतीक बता रहे हैं. वहीं, डीजीपी ने इसे तथ्यहीन और राजनीति से प्रेरित कहा है.
UP Thakur thanedar controversy: समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा यूपी पुलिस में ठाकुर बिरादरी के थानेदारों की अधिक नियुक्ति के आरोपों पर राज्य के डीजीपी प्रशांत कुमार ने सोमवार को प्रतिक्रिया दी. डीजीपी ने साफ कहा कि थानों पर पोस्टिंग जाति के आधार पर नहीं, बल्कि शासन के दिशा-निर्देशों और आरक्षण के अनुसार होती है. बता दें कि प्रयागराज में एक जनसभा को संबोधित करते हुए अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि यूपी में कई जिलों के थानों में ठाकुर बिरादरी के पुलिस अफसरों की संख्या अधिक है. इतना ही नहीं, उन्होंने आगरा, मैनपुरी, चित्रकूट और महोबा जैसे जिलों के उदाहरण दिए और आंकड़े गिनाए कि वहां कितने थानेदार ‘क्षत्रिय’ हैं.
उन्होंने कहा कि आगरा में कुल 48 थाने, जिसमें 15 पीडीए (पिछड़ा, दलित, आदिवासी) और बाकी ‘सिंह भाई’. मैनपुरी में 15 में से 3 पीडीए और 10 सिंह, चित्रकूट में 10 में से 2 पीडीए और 5 सिंह, महोबा में 11 में से 3 पीडीए और 6 सिंह. अखिलेश ने कहा कि यदि उनका डाटा गलत है तो पत्रकार सत्यापन कर लें.
डीजीपी का पलटवार
इन आरोपों के जवाब में डीजीपी प्रशांत कुमार ने बिना अखिलेश का नाम लिए कहा कि पुलिस विभाग में पोस्टिंग जाति नहीं, योग्यता और आरक्षण नियमों के आधार पर होती है. हर जिले में सामान्य, ओबीसी और एससी-एसटी वर्गों के लिए तय कोटे के अनुसार तैनाती की जाती है. यह बात पहले भी स्पष्ट की जा चुकी है. उन्होंने यह भी कहा कि संबंधित जिलों और यूनिट्स ने सोशल मीडिया पर एसएचओ की, जातिगत नहीं, बल्कि वर्ग आधारित जानकारी (Gen/OBC/SC-ST) जारी की है.
भ्रामक जानकारी पर चेतावनी
डीजीपी ने स्पष्ट किया कि बिना तथ्यों के भ्रामक जानकारी फैलाना अनुचित है और इससे संवेदनशील संस्थानों की साख को ठेस पहुंचती है. उन्होंने अपील की कि कोई भी सार्वजनिक बयान तथ्यों की जांच के बाद ही दें.