
यूपी में बिजली रेट 6 साल से वही, तो फिर बिल इतना ज्यादा कैसे?
यूपी में 6 साल से बिजली दर नहीं बढ़ी, पर डिमांड बेस्ड टैरिफ और फ्यूल सरचार्ज ने बिल बढ़ा दिए। 925 करोड़ की वसूली, दिसंबर में रिकॉर्ड 5.56% सरचार्ज से उपभोक्ता परेशान हैं।
UP Electricity Bill: देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में पिछले छह साल से भले ही उपभोक्ताओं पर बिजली दरों में बढ़ोतरी का बोझ नहीं डाला गया हो। लेकिन एक सच यह भी है कि बिजली के बिल लगातार बढ़ते जा रहे हैं। सस्ती बिजली देने के इरादे से शुरू की गई डिमांड बेस्ड टैरिफ व्यवस्था अब उपभोक्ताओं की जेब पर उल्टा भार डाल रही है। अप्रैल 2025 में जब यह व्यवस्था लागू हुई थी तब दावा किया गया कि इससे लोगों को राहत मिलेगी। लेकिन पिछले नौ महीनों का रिकॉर्ड अलग ही कहानी कह रहा है। उपभोक्ताओं को सिर्फ दो बार कम ईंधन अधिभार शुल्क का फायदा मिला और सात बार उनके बिल बढ़े।
दिसंबर के बिल में तो उपभोक्ताओं को अब तक का सबसे ज्यादा 5.56% फ्यूल सरचार्ज देना होगा। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के मुताबिक जब से डिमांड बेस्ड टैरिफ लागू हुआ है। पावर कॉरपोरेशन अब तक 925 करोड़ रुपये ईंधन अधिभार के रूप में वसूल चुका है। केवल दिसंबर में ही इसकी वसूली करीब 264 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। इससे पहले जून में लगभग 390 करोड़ और सितंबर में करीब 184 करोड़ रुपये फ्यूल सरचार्ज के रूप में ली गई राशि ने उपभोक्ताओं का बोझ और बढ़ाया था।
यही नहीं मल्टी-स्टोरी बिल्डिंग्स में रहने वाले लोगों के लिए भी नए नियम लागू किए गए हैं। अब टाउनशिप के साझा क्षेत्र यानी कॉमन एरिया में जितनी बिजली खर्च होती है उसका पूरा ब्योरा हर महीने देना अनिवार्य किया गया है और हर तीन महीने में उस बिल की ऑडिट कॉपी पोर्टल पर सार्वजनिक करनी होगी। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद का कहना है।
अगर नियमों का पालन नहीं किया गया तो पहले 5000, फिर 10000 और तीसरी बार 15000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। और अगर उसके बाद भी हालात नहीं सुधरे तो सिंगल पॉइंट कनेक्शन खत्म कर दिया जाएगा। कुल मिलाकर उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए जिन नियमों की शुरुआत हुई थी, वही अब उनके लिए नई चुनौती बनते जा रहे हैं।"

