अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने किया समर्थन, कमला हैरिस के पैतृक गांव में जश्न की तैयारी
तमिलनाडु के तिरुवरुर जिले के एक छोटे से गांव के निवासियों को उम्मीद है कि उनका कोई अपना दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होगा. इस गांव में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नाना का जन्म हुआ था.
US Presidential Elections: वॉशिंगटन से बारह हजार किलोमीटर दूर तमिल नाडु के तिरुवरुर जिले के एक छोटे से गांव के निवासियों को उम्मीद है कि उनका कोई अपना दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होगा. तमिलनाडु थुलासेंद्रपुरम गांव चेन्नई से 320 किलोमीटर दूर है, जो यहां से आठ घंटे की दूरी पर है. इस गांव में अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के नाना का जन्म हुआ था. साल 2020 में, जब हैरिस अमेरिकी चुनावों में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव लड़ रही थीं तो इस गांव के निवासियों ने एक मंदिर में पूजा की थी और उनकी जीत के लिए प्रार्थना की थी. उन्होंने मंदिर के अंदर उनका नाम भी अंकित किया था.
वहीं, जब वह संयुक्त राज्य अमेरिका की उपराष्ट्रपति बनीं तो गांव वालों ने पटाखे फोड़कर, मुफ्त चॉकलेट बांटकर और गांव के चारों ओर उनके बड़े-बड़े पोस्टर चिपकाकर जश्न मनाया था. गांव वालों के लिए हैरिस गांव की मिट्टी की बेटी हैं और अमेरिका में राजनीति की दुनिया में उनका उदय उन्हें अविश्वसनीय लगता है. हैरिस खुद अक्सर अपने भारतीय दादा पीवी गोपालन को याद करती हैं, जिन्होंने उन्हें बचपन में प्रेरित किया था. अंतरराष्ट्रीय समाचार रिपोर्टों के अनुसार, गोपालन ने अपनी बेटी श्यामला गोपालन को स्तन कैंसर शोधकर्ता के रूप में अपना करियर बनाने के लिए 1950 के दशक के अंत में अमेरिका जाने की अनुमति दी थी. श्यामला ने एक जमैकावासी से विवाह किया था और बाद में उनसे तलाक ले लिया था. वहीं, साल 2009 में उनकी कैंसर से मौत हो गई थी.
आज, हैरिस के डेमोक्रेटिक उम्मीदवार बनने और संभवतः संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के पक्ष में हवा बहुत तेज़ चल रही है. एक्स पर एक पोस्ट में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने घोषणा की है कि वह राष्ट्रपति पद की दौड़ से बाहर हो गए हैं और हैरिस को डेमोक्रेटिक उम्मीदवार के रूप में समर्थन दिया है. जैसे-जैसे हैरिस के लिए समर्थन बढ़ रहा है, थुलसेंद्रपुरम के गांव वासी अपनी खुशी को रोक नहीं पा रहे हैं.
थुलसेन्द्रपुरम की बेटी
हैरिस भले ही लंबे समय से गांव में नहीं आई हों. लेकिन गांव वालों के लिए वह अब भी उनकी बेटी हैं. हैरिस के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने के करीब पहुंचने पर गांव के लोग एक बार फिर जश्न मनाने की तैयारी कर रहे हैं. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, गांव की समिति के सदस्य के. कलियापेरुमल ने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति बनती हैं तो गांव में जश्न बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा. उन्होंने इसकी तुलना क्रिकेट विश्व कप में भारत की हालिया जीत से की. उन्होंने कहा कि जब वह उपराष्ट्रपति बनी थीं, तब लोग अपने घरों के बाहर उनकी तस्वीर वाले कैलेंडर टांगते थे और अब ये कैलेंडर फिर से घर के बाहर टांगा जा सकता है.
हालांकि, गांव वाले इस बात से थोड़े निराश हो सकते हैं कि हैरिस ने अपने किसी भी भाषण में गांव का जिक्र नहीं किया. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक ऐसा इसलिए संभव है. क्योंकि उनका परिवार 1930 के दशक में थुलसेंद्रपुरम गांव छोड़कर चला गया था. एक अमेरिकी होने के नाते, हैरिस को शायद इस बात का अंदाजा न हो कि थुलसेंद्रपुरम के गांव वालों का दिल उनके लिए किस तरह धड़कता है. लेकिन यह बात उन्हें उन पर दांव लगाने और उनका उत्साह बढ़ाने से नहीं रोक पाएगी.
पहली भारतीय मूल की महिला
कमला हैरिस तमिल जीवविज्ञानी श्यामा गोपालन और जमैकन-अमेरिकन प्रोफेसर पिता डोनाल्ड जे हैरिस के घर कैलिफोर्निया में पैदा हुई थीं. कमला हैरिस ने कहा कि वह राष्ट्रपति का समर्थन पाकर सम्मानित महसूस कर रही हैं और मेरा इरादा इस नामांकन को अर्जित करना और जीतना है. अगर हैरिस नामांकन जीत जाती हैं तो वह संयुक्त राज्य अमेरिका में चुनाव लड़ने वाली पहली भारतीय मूल की महिला होंगी और अगर वह शीर्ष राजनीतिक कुर्सी संभालती हैं तो वह देश की पहली महिला राष्ट्रपति बन जाएंगी. आगामी अमेरिकी चुनावों में उनकी भारतीय पहचान एक बड़ी भूमिका निभाने वाली है. क्योंकि रिपब्लिकन उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जेडी वेंस की पत्नी भारतीय हैं. वेंस की पत्नी उषा भी अप्रवासी मतदाताओं को आकर्षित करेंगी.