कौन होगा यूपी बीजेपी का अगला अध्यक्ष, जानें- क्या रहेंगी चुनौतियां
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कौन होगा यूपी बीजेपी का अगला अध्यक्ष, जानें- क्या रहेंगी चुनौतियां

2027 विधानसभा चुनाव से पहले यूपी में बीजेपी अपने संगठन को चुस्त दुरुस्त कर रही है। 98 में से 70 जिलाध्यक्षों के चयन के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


यूपी बीजेपी को इस महीने के अंत तक अगला अध्यक्ष मिल जाएगा। प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव से पहले 70 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान कर दिया गया है। बीजेपी ने यूपी में अपने संगठन को 98 जिलों में बांटा है। पार्टी के संविधान के मुताबिक प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के लिए 50 फीसद जिलाध्यक्षों का कोरम पूरा होना चाहिए। इस लिहाज से देखें तो कोरम पूरा हो चुका है। अब सवाल यह है कि यूपी बीजेपी का अगला अध्यक्ष कौन होगा। उसके चयन में राज्य या केंद्रीय नेतृत्व किसकी चलेगी। इस दफा कमान जिस किसी भी शख्स के हाथ में आए उसके सामने चुनौती बड़ी होने वाली है, क्योंकि बीजेपी के पास 2027 में हैट्रिक लगाने का मौका है। हालांकि विपक्ष खासतौर से अखिलेश यादव ताल ठोंक रहे हैं।
यूपी बीजेपी में जब कभी बदलाव की सुगबुगाहट होती है तो चर्चा अक्सर दिल्ली और लखनऊ की होने लगती है। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि कहने के लिए डबल इंजन की सरकार है, दिल्ली वाले चलने कहां देते हैं। दिल्ली और लखनऊ में तकरार जगजाहिर है। ये जो सरकार है वो 2027 में नहीं आने जा रही है। इसका अर्थ यह हुआ कि प्रदेश बीजेपी की कमान जिसके भी हाथ में होगी उसके सामने अखिलेश यादव के तीखे सवालों का जवाब देना होगा।
2022 के चुनावी नतीजों को देखें तो इसमें दो मत नहीं कि बीजेपी दूसरी बार कमल खिलाने में कामयाब रही। जीत का सेहरा ना सिर्फ सीएम योगी आदित्यनाथ के सिर बंधा। बल्कि अध्यक्ष रहे स्वतंत्र देव सिंह के खाते में कामयाबी दर्ज की गई। लेकिन योगी सरकार का हिस्सा बनने के बाद मौका भूपेंद्र सिंह चौधरी को मिला। चौधरी ने पार्टी की कमान तो संभाली। लेकिन 2024 के आम चुनाव में बीजेपी को कामयाबी नहीं मिली। पार्टी के अंदरखाने का इस तरह की चर्चा शुरू हुई कि हार के पीछे कहीं न कहीं संगठन का जमीनी स्तर पर कमजोर होना था और मांग भी हुई कि अब समय चेहरा बदलने का है। हालांकि इस सवाल को बीजेपी के नेता खारिज करते हैं। उनका कहना है कि बीजेपी संविधान के तहत अध्यक्ष बदलने का समय आ चुका है।
सियासी जानकार कहते हैं कि 2014 से पहले बीजेपी की मौजूदगी यूपी में शून्य थी। 2012 में यूपी बीजेपी की कमान डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी को मिली थी। उनके सामने आम चुनाव 2014 की चुनौती थी। 2014 के आम चुनाव के बारे में कहा जाता है कि कमान भले ही उनके हाथ में रही हो, जीत की रात बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने की थी। 2014 की जीत के बाद अखिलेश यादव के लिए खतरे की घंटी बज चुकी थी।
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