यूपी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मदरसा छात्रों का भविष्य अनिश्चित
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यूपी: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मदरसा छात्रों का भविष्य अनिश्चित

यूपी सरकार पर सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले से प्रभावित 25,000 छात्रों का भविष्य सुरक्षित करने का दबाव है जिसमें यूपी मदरसा बोर्ड से कामिल और फाजिल की डिग्री को असंवैधानिक बताया गया है.


Madrasa Higher Education : सुप्रीम कोर्ट द्वारा मदरसा बोर्ड द्वारा दी जाने वाली उच्च शिक्षा की डिग्रियों की मान्यता को असंवैधानिक करार देने के बाद से मदरसा में उच्च शिक्षा ले रहे लगभग 25 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. यही वजह है कि अब इन छात्रों को किसी अन्य मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय में समायोजित करने की मांग उठ रही है.

इस मांग को ध्यान में रखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने ये कहा है कि वो इस मामले के सभी कानूनी पहलुओं पर विचार करने के बाद कोई रास्ता निकालेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कामिल और फाजिल डिग्रियों को करार दिया था असंवैधानिक
5 नवंबर को दिए गए आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड द्वारा प्रदान की जा रही कामिल और फाज़िल डिग्रियों (स्नातक और स्नातकोत्तर डिग्री के समकक्ष) को असंवैधानिक घोषित कर दिया था और कहा था कि ये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के विपरीत है.
टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया उत्तर प्रदेश के महासचिव जमान खान ने कहा कि अदालत के फैसले से हजारों मौजूदा छात्रों के लिए मुश्किल स्थिति पैदा हो गई है क्योंकि बोर्ड अब इन पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा आयोजित नहीं कर पाएगा.

सरकार को निकलना चाहिए कोई रास्ता
जमान खान ने रविवार को पीटीआई-भाषा से कहा, "सुप्रीम कोर्ट का आदेश सर्वोच्च है. लेकिन सरकार को उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए कोई रास्ता निकालना चाहिए ताकि मदरसा बोर्ड के कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों में पढ़ने वाले छात्रों का भविष्य अंधकार में न रहे."

मंत्री ने कहा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्यन करके निकाला जाएगा रास्ता
अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करके और इसके विभिन्न कानूनी पहलुओं पर चर्चा करके निश्चित रूप से कोई रास्ता निकालेगी.
मदरसा बोर्ड के कामिल और फाजिल कोर्स में पढ़ने वाले छात्रों को किसी अन्य विश्वविद्यालय से जोड़ने के सवाल पर मंत्री ने कहा, ‘‘सभी पहलुओं पर विचार किया जाएगा और उसके बाद ही सरकार कोई निर्णय लेगी.’’ मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह ने कहा कि बोर्ड द्वारा संचालित कामिल और फाजिल कोर्स में इस समय करीब 25 हजार छात्र पढ़ रहे हैं और सरकार जो भी निर्णय लेगी उसका पालन किया जाएगा.

पहले भी प्रतियोगिता में बैठने की नहीं थी इजाजत
इस बीच, मदरसा बोर्ड के पूर्व सदस्य कमर अली ने कहा कि बोर्ड की कामिल डिग्री को स्नातक और फाजिल डिग्री को स्नातकोत्तर का दर्जा प्राप्त है, लेकिन पहले भी उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए मान्यता नहीं दी जाती थी. उन्होंने कहा कि इन डिग्री धारकों को केवल मदरसों में ही नौकरी मिलेगी, जो सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद समाप्त हो गई है. उन्होंने मांग की कि वर्तमान छात्रों को मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालयों में मौका दिया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि मदरसा बोर्ड ने पहले सरकार को अपने कामिल और फाजिल पाठ्यक्रमों के छात्रों को लखनऊ स्थित 'ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती उर्दू-अरबी-फारसी विश्वविद्यालय' में समायोजित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया. उन्होंने कहा कि आदेश से यह स्पष्ट नहीं है कि कब से इन डिग्रियों को असंवैधानिक माना जाएगा, लेकिन सरकार को इन छात्रों को यूजीसी से मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से संबद्ध करने के लिए कदम उठाना चाहिए.

उत्तर प्रदेश में 25 हजार मदरसे हैं
उत्तर प्रदेश में करीब 25,000 मदरसे हैं - 16,500 राज्य मदरसा बोर्ड से मान्यता प्राप्त हैं और 8,500 गैर-मान्यता प्राप्त हैं. इनमें से कुल 560 को राज्य सरकार से अनुदान मिलता है. 5 अक्टूबर को अपने आदेश में, सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा और मार्च 2024 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को पलट दिया, जिसमें इसे असंवैधानिक घोषित किया गया था.
हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय ने उच्च शिक्षा (कामिल और फाज़िल डिग्री) से संबंधित प्रावधानों को असंवैधानिक घोषित कर दिया (जिसका अर्थ है कि मदरसा बोर्ड इन डिग्रियों की पेशकश नहीं कर सकता) क्योंकि वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के साथ संघर्ष में हैं।
इसमें कहा गया है, "यूजीसी अधिनियम उच्च शिक्षा के मानकों को नियंत्रित करता है और कोई राज्य कानून यूजीसी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए उच्च शिक्षा को विनियमित करने की कोशिश नहीं कर सकता."

(शीर्षक को छोड़कर, इस कहानी को फेडरल स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है और एक सिंडिकेटेड फीड से स्वतः प्रकाशित किया गया है।)


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