मां से बोली थी मेला देखूंगी, खुशबू की ज़िंदगी मलबे में दबी
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उत्तरकाशी जिले की धराली की रहने वाली खुशबू का पूरा परिवार सैलाब की चपेट में आ गया था।

मां से बोली थी मेला देखूंगी, खुशबू की ज़िंदगी मलबे में दबी

उत्तरकाशी में आई भीषण आपदा में धराली की खुशबू ने अपना पूरा परिवार खो दिया। आंखों में आंसू लिए वो सिर्फ एक गुहार लगाती रही एक बार उनसे बात करा दो।


पांच अगस्त 2025 की वो तारीख थी। दोपहर के करीब पौने दो बज रहे थे। उत्तरकाशी जिले के हर्षिल और धराली में बारिश तो वैसे सुबह से ही हो रही थी। लेकिन कोई बड़ी तबाही दस्तक देने वाली है उसका अंदेशा किसी को ना था। एक बड़ा सैलाब तेजी से धराली कस्बे की तरफ आता दिखा। सैलाब का वेग इतना प्रचंड कि किसी को संभलने का मौका नहीं मिला। धराली का एक हिस्सा पूरी तरह मलबे की आगोश में कैद हो गया और अब सिर्फ चारों तरफ तबाही। इस तबाही में बड़ी संख्या में लोग शिकार हुए। लेकिन खुशबू की चीख, दर्द और पुकार सुनकर आप मर्माहत और दहल जाएंगे।

हर्षिल और धराली में तबाही के मंजर को द फेडरल देश के कैमरे ने कैद किया। बहुत से दृश्य ऐसे हैं जिन्हें दिखा पाना संभव नहीं है। द फेडरल देश के संवाददाता अभिषेक रावत जब धराली के चप्पे चप्पे को खंगाल रहे थे तो एक युवती मिलीं जिनका नाम खुशबू है, खूशबू की दुनिया उजड़ चुकी है क्योंकि उनका परिवार उस सैलाब की चपेट में आ गया। जब हमारे संवाददाता ने उनसे बात की तो आंखों में आंसू, थरथराती आवाज, चेहरे पर गम का भाव साफ नजर आ रहा था। खुशबू कह रही थीं कि एक बार उनसे बात करा दो। उनसे का मतलब उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी से। पुष्कर सिंह धामी जब आपदा स्थल पर पहुंचे तो खुशबू से मिले, बात भी हुई और मदद का आश्वासन भी मिला। लेकिन उससे पहले उन्होंने हमारे संवाददाता से उस पल के बारे में बताया जिसकी चर्चा देश और दुनिया की मीडिया कर रही है।


द फेडरल देश के संवाददाता अभिषेक रावत से खुशबू ने बताया कि सावन के महीने में धराली में हारदूत का मेला लगता है। अन्य धराली वासियों की तरह वो भी खुश थीं। अपनी मां से कहा था कि वो मेला देखने जाएंगी। हादसे वाले दिन से ठीक एक दिन पहले रात से ही बारिश हो रही थी। हालांकि बारिश इस तरह की नहीं थी कि कोई आपदा आ जाए। लेकिन सैलाब ने सबकुछ बर्बाद कर दिया। उनके चाचा अपने बच्चे को बचाने के लिए होमस्टे की तरफ गए। लेकिन सैलाब ने जिंदगी पर ब्रेक लगा दी। अब उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि शासन-प्रशासन उनकी मदद करे ताकि जिंदगी पटरी पर आ सके। खुशबू कहती हैं कि उनका परिवार उजड़ चुका है। उनके पास अब दिक्कतें पहाड़ बन चुकी हैं।

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