
वोट चोरी का आरोप लगाने वाली सपा ने कई मृत वोटरों के हलफनामे ईमेल से भेजे- सीईसी
मुख्य निर्वाचन अधिकारी, उत्तर प्रदेश के कार्यालय ने यह कहा है कि अब तक एक भी शपथपत्र की मूल प्रति नहीं मिली है।साथ ही जाँच में था भी पाया गया है कि कई ऐसे लोगों के शपथपत्र सपा ने जमा किए हैं जिनकी कई साल पहले मृत्यु हो चुकी है।
शिल्पी सेन/लखनऊ
समाजवादी पार्टी द्वारा वोटर लिस्ट से लोगों के नाम काटने के आरोप पर अब चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया सामने आई है। चुनाव आयोग ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव के इन आरोपों का सिरे से खंडन करते हुए कहा है कि जिन शपथपत्रों का हवाला अखिलेश यादव और उनकी पार्टी दे रही हैं, उनमें कई ऐसे लोगों के नाम हैं, जो जीवित नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने समाजवादी पार्टी से शपथपत्रों की मूल कॉपी की मांग भी की है। चुनाव आयोग की तरफ से कहा गया है कि सपा की तरफ से शपथ पत्रों की स्कैन कॉपी ही भेजी गयीं हैं, इसलिए मूल कॉपी की आवश्यकता है।
एक भी शपथपत्र मूल प्रति में नहीं-
राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों के बीच यूपी में हलफ़नामे पर विवाद तूल पकड़ता जा रहा है। अखिलेश यादव लगातार हमलावर हैं और उनका कहना है कि 18 हज़ार मतदाताओं के वोट ग़ायब होने की शिकायत और शपथ पत्र देने के बावजूद अब तक कोई कार्यवाही नहीं हुई। सपा के इस आरोप पर अब यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय( CEO,UP) ने इस मुद्दे पर जवाब देते हुए कहा है कि शपथ पत्र ओरिजिनल नहीं बल्कि उनकी स्कैंड( scanned copy) चुनाव आयोग को ईमेल से भेजी गई। यह स्पष्ट किया गया है कि एक भी शपथ पत्र ओरिजिनल नहीं प्राप्त हुआ है।इसलिए ओरिजिनल प्रतियों को भेजा जाए जिससे जाँच हो सके।
कई मृत लोगों के हलफनामे भी सपा ने जमा किए -
सीईओ यूपी कार्यालय ने यह भी दावा किया है कि सपा ने ऐसे भी लोगों का शपथ पत्र भी भेज दिया है, जिनकी मृत्यु हो चुकी है। यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के अनुसार जाँच में पाया गया है कि ऐसे वोटरों के नाम से शपथ पत्र जमा किये गए हैं, जिनकी मृत्यु 2022 से कई साल पहले ही हो चुकी है। लेकिन सपा ने नवंबर 2022 में बने हलफनामे उनके नाम से ईमेल के जरिये भेजे हैं।
ग़लत साक्ष्य देना कानूनन अपराध-सीईसी
मुख्य निर्वाचन अधिकारी, यूपी के कार्यालय ने यह भी कहा है कि ग़लत साक्ष्य देना कानूनन अपराध है। पिछले कुछ समय से अखिलेश यादव लगातार इस बात को लेकर हमलावर हैं कि उनके समर्थकों और कई जिलों में वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से गायब कर दिए गए। आयोग ने स्पष्ट किया कि जो शिकायतें मिली थीं वो 33 जिलों की अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों की हैं। इनमें से 5 विधानसभा क्षेत्रों से संबंधित जाँच पूरी हो चुकी है।मुख्य चुनाव अधिकारी ने ये भी दावा किया है कि कई लोगों ने जांच में इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कोई हलफ़नामाँ नहीं दिया, जबकि सपा ने उनके नाम से तैयार हलफनामे स्कैन करके ई-मेल के जरिये भेजे हुए हैं।
सीईओ कार्यालय ने अपना जवाब सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए यह लिखा है कि ‘संभव है कि ईमेल भेजते समय आपका( समाजवादी पार्टी) कार्यालय त्रुटिवश सिर्फ़ 3919 शपथपत्रों को ही अटैच कर विभिन्न फ़ोल्डरों में सेव कर पाया हो। ईमेल से भारत निर्वाचन आयोग को जो शिकायतें की गई हैं, उन सभी 18000 शपथपत्रों की मूल प्रतियां सुविधानुसार मुख्य निर्वाचन अधिकारी यूपी के कार्यालय या संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारी के कार्यालय या संबंधित विधानसभा कमेटी के निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी को उपलब्ध कराने का कष्ट करें ताकि जाँच प्रक्रिया आगे बढ़ सके।’