एक्टर विजय की रैली में भगदड़ की वजह : ‘लंबा इंतज़ार और खराब भीड़ प्रबंधन’
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टीवीके प्रमुख और अभिनेता विजय का करूर में भाषण रोकना पड़ा, जब उनकी रैली में भगदड़ जैसी स्थिति बन गई। इस घटना में कम से कम 31 लोग, जिनमें छह बच्चे भी शामिल थे, मारे गए | पीटीआई फोटो

एक्टर विजय की रैली में भगदड़ की वजह : ‘लंबा इंतज़ार और खराब भीड़ प्रबंधन’

पुलिस अधिकारी ने कहा कि टीवीके ने पुलिस विभाग द्वारा लगाई गई ज्यादातर शर्तों का उल्लंघन किया, जिसकी वजह से यह हादसा हुआ; चश्मदीदों ने भी खराब इंतज़ाम बताए


करूर ज़िले में अभिनेता-से-राजनीतिज्ञ बने विजय की रैली में हुई भगदड़ जैसी स्थिति, जिसमें कम से कम 31 लोगों की मौत हो गई, का कारण खराब भीड़ प्रबंधन बताया जा रहा है। तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम ने शनिवार (27 सितम्बर) को पुष्टि की कि मरने वालों में नौ पुरुष, 16 महिलाएँ और छह बच्चे शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सभी को स्थानीय अस्पताल पहुँचने पर मृत घोषित कर दिया गया।

चश्मदीदों और स्थानीय लोगों ने इस आपदा के लिए तमिलगा वेत्रि कझगम (टीवीके) रैली के आयोजकों की गंभीर लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया।

एक स्थानीय निवासी ने बताया, “प्रशंसकों को घंटों तक बिना सही भोजन, पानी और छाँव के इंतज़ार करना पड़ा। पड़ोसी ज़िलों से आए लोग सात घंटे से अधिक समय तक तेज़ धूप में खड़े रहे।”

काबू से बाहर हालात

यह रैली टीवीके की 2026 विधानसभा चुनावों से पहले की राज्यव्यापी प्रचार यात्रा का हिस्सा थी, लेकिन प्रतिभागियों की संख्या उम्मीद से कहीं ज़्यादा रही। नतीजा यह हुआ कि लोग बेहोश होने लगे, भीड़ बेकाबू हो गई और अफरातफरी फैल गई।

पुलिस सूत्रों ने द फेडरल को बताया कि टीवीके ने अनुमति लेते समय दावा किया था कि स्थल में 60,000 लोगों की क्षमता है लेकिन 10,000 लोगों के आने की उम्मीद जताई थी। लेकिन वास्तविक भीड़ अनुमान से कहीं अधिक हो गई। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “टीवीके ने हमारी ज्यादातर शर्तों का उल्लंघन किया, और यही हादसे की सीधी वजह बनी।”

जांच जारी

पुलिस अधिकारी ने कहा कि आयोजक अनुभवहीन थे और उन्होंने बुनियादी निर्देशों का भी पालन नहीं किया। विजय स्थल पर शाम 7 बजे पहुँचे, जबकि दोपहर 12 बजे की घोषणा की गई थी। इसने लोगों का इंतज़ार और नाराज़गी और बढ़ा दी। पुलिस ने सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने के आरोप में आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। उन्होंने कहा, “पूरी जांच चल रही है और कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

अदालत की चेतावनी और आलोचना

यह घटना टीवीके के कार्यक्रम प्रबंधन पर पहले से उठ रही चिंताओं को और गहरा करती है। कुछ दिन पहले 19 सितम्बर को मद्रास हाईकोर्ट ने राजनीतिक रैलियों पर गंभीर सवाल उठाए थे, जिनमें टीवीके भी शामिल था। अदालत ने तमिलनाडु पुलिस से राज्यव्यापी समान नियम बनाने और सार्वजनिक कार्यक्रमों से संभावित नुकसान के लिए अग्रिम राशि वसूलने का निर्देश दिया था।

टीवीके ने unequal treatment की शिकायत की थी, लेकिन अदालत ने उलटे उनकी रैलियों से हुई अव्यवस्था और संपत्ति नुकसान की तस्वीरें पेश कीं। अदालत ने कहा, “राज्य को स्पष्ट नियम बनाने होंगे ताकि सभी दलों को जवाबदेह ठहराया जा सके।”

विजय का सदमा और राजनीतिक असर

विजय, जो भाषण के दौरान स्पष्ट रूप से सदमे में थे, ने कार्यक्रम रोक दिया और शांति की अपील की, लेकिन तब तक हालात बिगड़ चुके थे। करूर के अस्पताल घायलों से भरे पड़े हैं, जिनमें से 30 से अधिक लोग अब भी इलाज के अधीन हैं।

चेन्नई में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम ने “दिल दहला देने वाले नुकसान” पर शोक जताया और मृतकों के परिवारों के लिए मुआवज़े की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हमारी संवेदनाएँ पीड़ित परिवारों के साथ हैं। ऐसी घटनाएँ दोबारा न हों, इसके लिए हर प्रयास किए जा रहे हैं।”

यह विकसित होती घटना भारत के जीवंत राजनीतिक मंच के खतरों को रेखांकित करती है, जहाँ सितारों की लोकप्रियता अक्सर व्यवस्थागत वास्तविकताओं से टकराती है।

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