
त्रिशूर में भाजपा की जीत पर ‘वोट चोरी’ के आरोप, सियासत गरमाई
त्रिशूर में भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर फर्जी वोटिंग और मतदाता सूची में हेरफेर के आरोप, विपक्ष ने चुनाव आयोग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए।
भाजपा की केरल के त्रिशूर लोकसभा सीट पर ऐतिहासिक जीत के बाद से ही राजनीतिक माहौल में बेचैनी है। अभिनेता से नेता बने सुरेश गोपी की 2024 लोकसभा चुनाव में जीत ने जहां भाजपा के लिए राज्य में नई राह खोली, वहीं अब इस जीत पर मतदाता सूची में हेरफेर के गंभीर आरोप लगने लगे हैं। वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (LDF) और यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (UDF) के नेताओं का दावा है कि मतदाता सूची में अंतिम समय में संदिग्ध पते वाले मतदाताओं को जोड़ा गया, और यह सब चुनावी मशीनरी की आंखों के सामने हुआ।
पते में गड़बड़ी का आरोप
पहला मामला पूंकुनम से सामने आया, जहां कैपिटल विलेज अपार्टमेंट्स के फ्लैट 4C के पते पर 9 मतदाता पंजीकृत पाए गए। लेकिन वहां रहने वाली प्रसन्ना अशोकन ने बताया कि इन 9 लोगों से उनका कोई संबंध नहीं, वे वहां कभी नहीं रहे, और उनके नाम मतदाता सूची के अंतिम संशोधन में ही आए।
इसी तरह चैतत्रम अपार्टमेंट्स और टॉप पैराडाइज में भी कई ऐसे नाम जुड़े, जिनके बारे में असली निवासियों को कोई जानकारी नहीं थी। केवल इस एक बूथ में लगभग 45 संदिग्ध प्रविष्टियां पाई गईं।
सुरेश गोपी के पुराने घर पर भी सवाल
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ‘भारत हेरिटेज’ (नेटिस्सेरी) में सुरेश गोपी के नाम, उनके परिवार और रिश्तेदारों के कुल 11 वोट दर्ज थे, जबकि चुनाव के दौरान वे वहां नहीं रह रहे थे। कांग्रेस नेता जोसेफ ताजेट के अनुसार, भाजपा नेता ने यहां थोड़े समय के लिए रहकर वोट दर्ज कराए और फिर बाहर के लोगों को मुख्यतः आलथुर और त्रिपुनिथुरा से लाकर मतदाता सूची में जोड़ दिया।
अंतिम समय में बड़े पैमाने पर नाम जोड़ने का आरोप
पूर्व मंत्री और LDF उम्मीदवार वी.एस. सुनील कुमार ने कहा कि यह केवल उनकी हार का मामला नहीं, बल्कि भाजपा की ‘सिस्टेमैटिक जीत’ थी। उन्होंने दावा किया कि कुछ बूथों में एक साथ सैकड़ों आवेदन मंजूर हुए, जिनमें दूसरे निर्वाचन क्षेत्रों और प्रवासी मजदूरों को भी जोड़ा गया। उनके अनुसार, चुनाव आयोग ने न्यूनतम दस्तावेज की शर्त रखी, और केवल एक पोस्टकार्ड के आधार पर भी नाम जोड़ दिए गए।
मतदाता सूची में असामान्य वृद्धि
CPI(M) के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री टी.एम. थॉमस इसाक ने कहा कि 2019 की तुलना में 2024 में प्रति निर्वाचन क्षेत्र औसतन 79,881 मतदाताओं की वृद्धि हुई, जबकि त्रिशूर में यह संख्या 1,45,945 रही। CPM महासचिव एम.ए. बेबी ने आरोप लगाया कि चुनाव से पहले लगभग 30,000 फर्जी नाम मतदाता सूची में डाले गए, कई के पते नकली थे, जिससे लोग एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्रों में वोट डाल सकते थे। उन्होंने कहा कि निवास अवधि की न्यूनतम शर्त 6 महीने से घटाकर 2 दिन कर दी गई, जिससे दुरुपयोग का रास्ता खुल गया।
भाजपा का पलटवार
भाजपा के राज्य महासचिव एम.टी. रमेश ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हर नाम जोड़ना चुनाव आयोग के नियमों के तहत और वैध दस्तावेजों के आधार पर हुआ। उनके मुताबिक, कांग्रेस और LDF सुरेश गोपी की ऐतिहासिक जीत पचा नहीं पा रहे हैं, इसलिए झूठे आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह जीत वर्षों की मेहनत और कार्यकर्ताओं की लगन का नतीजा है।
सवालों के घेरे में चुनाव आयोग
LDF और UDF के मुताबिक, यह मामूली खामी नहीं बल्कि एक सुनियोजित प्रयास था, जिससे केरल की सबसे चर्चित सीटों में से एक पर परिणाम प्रभावित हुआ। एक अपार्टमेंट में 9 अज्ञात नामों से लेकर दसियों हजार कृत्रिम प्रविष्टियों तक के आरोप ने राजनीतिक हलकों में बवाल खड़ा कर दिया है। इस विवाद ने न केवल चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाए हैं, बल्कि मतदाताओं के बीच लोकतांत्रिक प्रक्रिया की निष्पक्षता को लेकर भी संदेह पैदा किया है।