कोलकाता: कालीघाट CM आवास में बातचीत के लिए आए जूनियर डॉक्टर, उनको मुख्यमंत्री नहीं, दीदी की थी जरूरत
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कोलकाता: कालीघाट CM आवास में बातचीत के लिए आए जूनियर डॉक्टर, उनको मुख्यमंत्री नहीं, 'दीदी' की थी जरूरत

सीएम ममता बनर्जी ने विरोध स्थल पर जाकर करीब आधे घंटे तक समय बिताया और 14 मिनट तक प्रदर्शनकारी जूनियर डॉक्टरों को संबोधित किया.


CM Mamata Banerjee: कोलकाता के आरजी कर जूनियर डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या के बाद सरकार और जूनियर डॉक्टरों के बीच पहली बातचीत का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सीएम ममता बनर्जी ने विरोध स्थल पर जाकर करीब आधे घंटे तक समय बिताया और 14 मिनट तक प्रदर्शनकारियों को संबोधित किया. यह एक राजनीतिक मास्टरस्ट्रोक और एक ऐसा कदम है, जो बंगाल के किसी भी मुख्यमंत्री ने पहले कभी नहीं उठाया था.

सीएम ममता ने सैकड़ों प्रदर्शनकारियों और टेलीविजन कैमरों के सामने सार्वजनिक रूप से बात की. संदेश सीधा था और इसमें तीन मुख्य बिंदु थे: कृपया काम पर वापस जाएं, क्योंकि मरीज़ पीड़ित हैं, हम आपकी सभी मांगों पर सहानुभूति के साथ विचार करेंगे लेकिन हमें कुछ समय चाहिए और सरकार काम बंद करने वाले एक भी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी. यह याद दिलाने के साथ-साथ था कि वह उनके पास एक सीएम के रूप में नहीं, बल्कि आपकी दीदी के रूप में आई थीं और उन्होंने अपने राजनीतिक अतीत को याद किया, जिसमें विरोध-प्रदर्शनों ने प्रमुख भूमिका निभाई थी.

बनर्जी दोपहर 1 बजे से थोड़ा पहले साल्ट लेक में विरोध स्थल पर पहुंचीं और कहा कि मैं पांच मिनट का समय लूंगी. मैं आपके आंदोलन को सलाम करती हूं. मैं इस आंदोलन के दर्द को समझती हूं. मैं भी छात्र राजनीति से उठी हूं. मैंने बहुत कुछ सहा है. उन्होंने रात भर हुई बारिश का जिक्र करते हुए कहा कि आप इस खराब मौसम में विरोध कर रहे हैं और पीड़ित हैं. मैं सो नहीं पाई, मैंने भी पीड़ा सही, आपका दर्द महसूस किया है.

सीएम ममता ने आगे कहा कि आप 32-34 दिनों से इस आंदोलन पर हैं. मैंने भी रातों की नींद हराम की है. उन्होंने प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगों पर आगे बढ़ने से पहले कहा कि मैं आपकी सभी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक बातचीत करूंगी. लेकिन मुझे उनका अध्ययन करने के लिए कुछ समय चाहिए. मैं अकेले सरकार नहीं चलाती- मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक हैं.

उन्होंने कहा कि लेकिन हर दोषी को सजा मिलेगी और हम भी मृतक डॉक्टर के लिए न्याय चाहते हैं. हम सीबीआई से जांच में तेजी लाने का अनुरोध करते हैं, ताकि हमें तीन महीने में न्याय मिल सके. बनर्जी ने फिर दोहराया कि मैं आपसे कुछ समय देने की अपील करती हूं. अगर आप मुझ पर भरोसा रखेंगे तो मैं आपकी सभी मांगों पर विचार करूंगी. आपने कष्ट झेले हैं और आपके परिवार चिंतित हैं. लेकिन कई मरीज सरकारी अस्पतालों में मर रहे हैं.

बंगाल की सीएम ने कहा कि बुनियादी ढांचे और विकास पर काम शुरू हो गया है. आरजी कर और अन्य अस्पतालों में रोगी कल्याण समितियों को भंग कर दिया जाएगा और प्रिंसिपल इन निकायों का नेतृत्व करेंगे, जिसमें वरिष्ठ और जूनियर डॉक्टर, नर्स, एक जनप्रतिनिधि और एक पुलिसकर्मी भी होंगे. बनर्जी ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों और डॉक्टरों के उस वर्ग से खुद को अलग करते हुए, जिनके खिलाफ बड़ा चिकित्सा समुदाय अपना गुस्सा जाहिर कर रहा है, कहा कि उनका दोषियों से "कोई संबंध" नहीं है और "मैं उन्हें नहीं जानती". वे सभी एक प्रक्रिया से गुजरते हैं. फाइलें आखिरकार मेरे पास (हस्ताक्षर के लिए) आती हैं. मैं हत्या और भ्रष्टाचार से जुड़े दोषियों के खिलाफ अपने तरीके से कार्रवाई करूंगी. मेरा एकमात्र विनम्र अनुरोध है कि कृपया हमसे बात करें और काम पर लौट आएं. हम उत्तर प्रदेश पुलिस नहीं हैं. मैं एक भी डॉक्टर के खिलाफ किसी भी कार्रवाई के खिलाफ हूं. मैं आपके काम को जानती हूं.

बनर्जी ने हाल ही में एक सरकारी अस्पताल में हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जहां एक मरीज की मौत इसलिए हो गई. क्योंकि वरिष्ठ डॉक्टर "कैथेटर नहीं बदल पाए". उन्होंने कहा कि मैं यहां एक साथी सैनिक के तौर पर आई हूं. मैं काम करूंगी, बस मुझे थोड़ा समय दीजिए. वह एक राज्य की मुख्यमंत्री हैं और एक राजनीतिक पार्टी से जुड़ी हैं. लेकिन वह "आपकी दीदी" के तौर पर विरोध प्रदर्शन में मौजूद थीं. उन्होंने कहा कि मैं आपका दर्द समझती हूं. इसके बाद बनर्जी ने अपने विरोध प्रदर्शन के बारे में बात की और बताया कि कैसे उन्होंने सिंगूर आंदोलन के दौरान 26 दिनों तक उपवास किया था. सीपीएम सरकार वहां थी. मुझसे मिलने एक भी व्यक्ति नहीं आया. मैं आपको अपना आंदोलन वापस लेने के लिए मजबूर नहीं कर सकती. मैं सिर्फ अपील कर सकती हूं.

उन्होंने कहा कि मेरे यहां आने से मेरा कद कम नहीं होगा, बल्कि मेरा कद बढ़ेगा. बनर्जी दोपहर करीब 1.30 बजे वहां से चली गईं और प्रदर्शनकारियों को याद दिलाया कि यह उनका "अंतिम प्रयास" था, जो आखिरकार रंग लाया और प्रदर्शनकारी डॉक्टरों को कालीघाट स्थित उनके घर पर बातचीत की मेज पर ले आया.

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