पश्चिम बंगाल के गवर्नर को लगता है डर, बिना नाम लिए बताया किससे
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पश्चिम बंगाल के गवर्नर को लगता है डर, बिना नाम लिए बताया किससे

पश्चिम बंगाल में राजनीतिक दल प्रतिशोध वाली सियासत की बात करते हैं.लेकिन अब तो गवर्नर सी वी आनंद बोस को भी डर लगने लगा है. नाम ना बताते हुए इशारा कर गए.


C V Ananda Bose News: पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी वी आनंद बोस ने गुरुवार को कहा कि राजभवन में तैनात कोलकाता पुलिस की मौजूदा टुकड़ी की वजह से उन्हें अपनी सुरक्षा को खतरा होने की आशंका है। उनका यह बयान पुलिस कर्मियों को राजभवन परिसर खाली करने का आदेश देने के कुछ दिनों बाद आया है। हालांकि वे अभी भी गवर्नर हाउस में ड्यूटी पर हैं।बोस ने मीडिया कहा कि उनके पास यह मानने के कारण हैं कि वर्तमान प्रभारी अधिकारी और उनकी टीम की मौजूदगी मेरी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए खतरा है।

'राजभवन में हूं असुरक्षित'

उन्होंने खुद बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को बताया था कि वो राजभवन में कोलकाता पुलिस से असुरक्षित महसूस कर रहा हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। राज्यपाल भवन के सूत्रों ने बताया कि बोस ने राज्य सरकार से शिकायत की है कि राजभवन में तैनात पुलिसकर्मी लगातार जासूसी कर रहे हैं और उन्हें लगता है कि वे बाहर से आए प्रभावशाली लोगों के कहने पर ऐसा कर रहे हैं। बोस ने कहा कि यहां तैनात पुलिसकर्मी उनके साथ साथ कई अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं। उनकी हरकतों को सरकार में बैठे उनके राजनीतिक आकाओं का मौन समर्थन हासिल है। यह संविधान का उल्लंघन है।"राज्यपाल ने समय-समय पर इस मामले को बनर्जी के संज्ञान में लाया है, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की है। मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है।

इनमें से कुछ पुलिस विभाग के सर्वोच्च अधिकारियों, जो गृह विभाग के अधीन है उनकी जानकारी के बिना नहीं हो सकता। बोस ने दावा किया कि उन्हें राजभवन में वर्तमान प्रभारी अधिकारी के अधीन तैनात पुलिस दल की गलत हरकतों के बारे में जानकारी थी। उन्होंने कहा कि विभिन्न स्रोतों से यह विश्वसनीय जानकारी मिली है कि यहां पुलिस राजभवन और लोगों के हितों के खिलाफ काम कर रही है। मैंने स्वयं भी इसकी पुष्टि की है। बोस ने कहा कि यहां तैनात कुछ पुलिसकर्मी पहले राज्य सचिवालय नबन्ना में तैनात थे।

पिछले साल भी लगाया था जासूसी का आरोप

गवर्नर ने कहा कि वे किसी के लिए जासूस के रूप में काम कर रहे हैं। वो अभी उस व्यक्ति का नाम नहीं लेना चाहते हैं। बोस ने नवंबर 2023 में राजभवन में जासूसी” के प्रयासों का आरोप लगाया था। इसके बाद, उन्होंने ग्राउंड फ्लोर को छोड़कर गवर्नर हाउस के अंदर कोलकाता पुलिस के कर्मियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। उनके पूर्ववर्ती जगदीप धनखड़, जो वर्तमान में देश के उपराष्ट्रपति हैं, ने भी राजभवन के अंदर कोलकाता पुलिस कर्मियों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने और उनके पूर्ववर्ती ने राजभवन के केवल कुछ क्षेत्रों में जो गेट के पास हैं और केवल भूतल तक, कोलकाता पुलिस की उपस्थिति की अनुमति दी थी।

1950 की घटना का किया जिक्र
लेकिन उन्होंने पाया कि लिफ्ट के पास उनके विजिटर्स पर नजर रखने के लिए पुलिसकर्मी अनधिकृत रूप से मौजूद थे। उन्हें रंगे हाथों पकड़ा गया और वहां से चले जाने को कहा गया। वे राजभवन में प्रभारी अधिकारी और बाहर के लोगों को रिपोर्ट करते पाए गए। इसे आपराधिक कृत्य कहा जा सकता है। पूर्व नौकरशाह बोस ने 1950 के दशक में हुए मुंद्रा घोटाले का जिक्र किया जिसके कारण तत्कालीन वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी को इस्तीफा देना पड़ा था, तथा एमसी चागला आयोग ने उन्हें अपने सचिव के कार्यों के लिए संवैधानिक रूप से जिम्मेदार ठहराया था। राज्यपाल ने कहा कि यदि राजभवन में तैनात पुलिस बल द्वारा आपराधिक गतिविधियां की गई हैं तो गृह मंत्री को जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।

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