राज्यपाल मानहानि मामला: हाई कोर्ट ने CM ममता के खिलाफ सुनवाई गुरुवार तक की स्थगित
कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार पश्चिम बंगाल के राज्यपाल द्वारा ममता बनर्जी और कुछ अन्य तृणमूल कांग्रेस नेताओं द्वारा की गई कथित टिप्पणियों को लेकर दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दी है.
West Bengal Governor Defamation Case: कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार (3 जुलाई) को पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस द्वारा मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ उनके और कुछ अन्य तृणमूल कांग्रेस नेताओं द्वारा की गई कथित टिप्पणियों को लेकर दायर मानहानि के मुकदमे की सुनवाई गुरुवार (4 जुलाई) तक के लिए स्थगित कर दी है. बोस के वकील द्वारा आवेदन में कुछ चेंज करने के बाद मामले की सुनवाई गुरुवार को होगी.
बोस के वकील ने कोर्ट को बताया था कि राज्यपाल के खिलाफ निराधार आरोप लगाए जा रहे हैं और उन्होंने मानहानि के मुकदमे में प्रतिवादियों द्वारा आगे दिए जाने वाले बयानों पर अंतरिम रोक लगाने की प्रार्थना की थी. जस्टिस कृष्ण राव ने कहा कि मुकदमे में संदर्भित प्रकाशनों को इसमें पक्ष नहीं बनाया गया है. ऐसे में बोस के वकील ने आवश्यक बदलावों के साथ नया आवेदन दायर करने के लिए समय मांगा. इसके बाद हाई कोर्ट ने अनुमति देते हुए मामले की सुनवाई के लिए गुरुवार का वक्त दिया.
मानहानि का मामला
बता दें कि बोस ने 28 जून को सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था. इससे एक दिन पहले बनर्जी ने दावा किया था कि महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी कि राजभवन में होने वाली गतिविधियों के कारण वे वहां जाने से डरती हैं. राज्य सचिवालय में एक प्रशासनिक बैठक के दौरान बनर्जी ने 27 जून को कहा था कि महिलाओं ने मुझे बताया है कि वे राजभवन में हाल में हुई घटनाओं के कारण वहां जाने से डर रही हैं.
बनर्जी की टिप्पणी के बाद राज्यपाल ने कहा था कि जन प्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे गलत और बदनामी वाली धारणा न बनाएं. 2 मई को राजभवन की एक संविदा महिला कर्मचारी ने बोस के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था, जिसके बाद कोलकाता पुलिस ने जांच शुरू की थी. संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत किसी राज्यपाल के खिलाफ उसके कार्यकाल के दौरान कोई आपराधिक कार्यवाही नहीं की जा सकती है.