West Bengal: राज्यपाल बनाम ममता बनर्जी, विधेयकों को मूंजरी न मिलने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंची TMC
ममता बनर्जी की अगुआई वाली बंगाल सरकार ने आठ विधेयकों को मंजूरी न देने के लिए राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
TMC vs Governor: ममता बनर्जी की अगुआई वाली बंगाल सरकार ने आठ विधेयकों को मंजूरी न देने के लिए राज्यपाल सीवी आनंद बोस के खिलाफ शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा कि राज्यपाल की ओर से की गई देरी पश्चिम बंगाल राज्य के निवासियों को प्रभावित कर रही है, जिनके कल्याण के लिए ये विधेयक पारित किए गए थे.
पिछले साल नवंबर में बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने आरोप लगाया था कि राजभवन 22 विधेयकों पर बैठा हुआ है, जिनमें से कुछ साल 2013 से लंबित हैं. वहीं, राज्यपाल सचिवालय ने कहा था कि 22 विधेयकों में से 12 राज्य सरकार के पास स्पष्टीकरण के लिए लंबित हैं. जबकि, पश्चिम बंगाल वित्तीय प्रतिष्ठानों में जमाकर्ताओं के हितों का संरक्षण विधेयक को राष्ट्रपति ने शर्तों के साथ मंजूरी दे दी है.
बंगाल के राज्यपाल ने कहा था कि वह लंबित विधेयकों को निपटाने और कुलपतियों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों को लागू करेंगे. साल 2023 में अपने कार्यकाल का पहला साल पूरा होने पर मीडिया से बात करते हुए बोस ने कहा था कि राजभवन ने जानबूझकर कोई विधेयक लंबित नहीं रखा है. यह लोगों के प्रति जिम्मेदारी है. अधिकांश विधेयकों को स्पष्टीकरण के लिए राज्य सरकार को भेजा गया था और कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा गया था.
उन्होंने कहा था कि वह विधेयकों को लंबे समय तक लंबित रखने के इच्छुक नहीं हैं. क्योंकि ये लोगों के कल्याण के लिए हैं. बंगाल सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव का यह नया मोर्चा बंगाल में हिंसा के मामलों और सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ राज्यपाल के मानहानि के मुकदमे सहित कई मुद्दों पर चल रही खींचतान के बीच आया है. राज्यपाल बोस ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया है, जब उन्होंने कहा कि महिलाएं राजभवन की हालिया गतिविधियों के कारण राजभवन जाने से डरती हैं.
इससे पहले बोस ने टिप्पणी के लिए सीएम ममता की आलोचना की थी और कहा था कि जनप्रतिनिधियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे गलत और बदनामी वाली धारणा न बनाएं. राज्यपाल ने इसी तरह की टिप्पणी करने वाले कुछ टीएमसी नेताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी शुरू की. बनर्जी ने आरोप लगाया था कि राजभवन में कुछ गतिविधियों की रिपोर्ट के बाद वहां जाने में असुरक्षित महसूस करने वाली महिलाओं ने उनसे शिकायत की थी. मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा कि राजभवन में जो कुछ हुआ, उसके बाद महिलाएं वहां जाने से डरती हैं. मई में, महिला कर्मचारियों में से एक ने राज्य के राज्यपाल पर उसके साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था, जिसे बोस ने निराधार और बेतुका नाटक बताकर खारिज कर दिया था.