WFH या हॉलिडे पैकेज? काम हुआ प्रभावित तो स्टेकेशन पर कर्मचारी ने मांगा 5G
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WFH या हॉलिडे पैकेज? काम हुआ प्रभावित तो स्टेकेशन पर कर्मचारी ने मांगा 5G

क्रिटिकल प्रोजेक्ट के बीच देहरादून स्टेकेशन पर गए कर्मचारी पर बॉस का आरोप, खराब परफॉर्मेंस पर 5G डोंगल और लैपटॉप बैकअप का बिल कंपनी से मांगा।


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Debate On WFH Policy : वर्क फ्रॉम होम (WFH) को लेकर एक मैनेजर की पोस्ट सोशल मीडिया पर चर्चा में है। मैनेजर ने आरोप लगाया कि उनकी कंपनी की फ्लेक्सिबल WFH पॉलिसी का एक कर्मचारी गलत फायदा उठा रहा है।


कंपनी की नीति क्या है?

मैनेजर के मुताबिक कंपनी में ऑफिस आने या WFH की कोई सख्त बाध्यता नहीं है। क्लाइंट मीटिंग या जरूरी सहयोग वाले काम में ऑफिस आना जरूरी है। कर्मचारियों को उसी शहर/बेस लोकेशन से काम करने का निर्देश, जहां ऑफिस मौजूद हो।

क्रिटिकल प्रोजेक्ट के बीच स्टेकेशन

मैनेजर ने बताया कि संबंधित कर्मचारी पत्नी के साथ एक महीने के लिए देहरादून स्टेकेशन पर चला गया। शुरुआत में यह स्वीकार्य था, बशर्ते वह काम समय पर पूरा करता, लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर बताई गई। जिसकी वजह से काम प्रभावित हुआ।

काम बार-बार रुका

कई घंटों तक कर्मचारी उपलब्ध नहीं रहा। कभी बिजली तो कभी इंटरनेट का बहाना। कुल मिला कर वर्क फ्रॉम होम को लेकर मैनेजर और कर्मचारी के बीच अनबन शुरू हो गयी। मैनेजर के अनुसार, कर्मचारी ने बार-बार “फ्रिक्वेंट पावर कट”, “कमजोर इंटरनेट” का हवाला देकर अहम काम अधूरा छोड़ा।

टकराव के बाद ‘डिमांड’

कई दिनों की खराब परफॉर्मेंस के बाद जब मैनेजर ने कर्मचारी से जवाब मांगा तो जवाब चौंकाने वाला था। मैनेजर के अनुसार कर्मचारी ने जवाब में लिखा कि “अगर आपको मेरी उपलब्धता की चिंता है तो कंपनी मुझे 5G हाई-स्पीड इंटरनेट डोंगल और लैपटॉप पावर बैकअप का खर्च दे।”

मैनेजर ने इस मांग को ‘हक जताने की हद’ बताया।

परफॉर्मेंस रिव्यू में झटका

मैनेजर ने साफ किया कि इस व्यवहार के चलते कर्मचारी को परफॉर्मेंस रिव्यू में ‘3-स्टार’ रेटिंग दी जाएगी।

सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रियाएं

इस पोस्ट के बाद सोशल मीडिया पर लोगों की प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई।

एक यूजर ने लिखा कि “मैं पूरी जिंदगी देहरादून में रहा हूं। यहां बिजली कटौती बहुत कम होती है और इंटरनेट भी शानदार है। यह एक नॉर्मल शहर है, लगता है कर्मचारी घूम रहा है।”

दूसरे ने लिखा “अगर आपने सब कुछ डॉक्यूमेंट किया है और फिर भी सुधार नहीं हुआ, तो HR तक मामला ले जाएं। ऐसी लापरवाही बर्दाश्त नहीं होनी चाहिए।”

देहरादून को लेकर दावों पर सवाल

एक अन्य यूजर ने लिखा “देहरादून में इंटरनेट बेहतरीन है और बिजली कटौती कुछ मिनटों की होती है। शक है कि कर्मचारी वाकई देहरादून में है या पास के हिल स्टेशन घूम रहा है।”

‘गलत उदाहरण सेट करता है’

एक और टिप्पणी में कहा गया “10 लोग ईमानदारी से काम करते हैं और 1-2 लोग पूरी टीम के लिए समस्या बनते हैं। ऐसे मामलों में सख्ती जरूरी है, वरना बाकी लोग भी यही करने लगेंगे।”

WFH पॉलिसी पर बड़ा सवाल

यह मामला एक बार फिर वर्क फ्रॉम होम की आज़ादी, जवाबदेही और कर्मचारियों की ईमानदारी पर सवाल खड़े करता है। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसे उदाहरण कंपनियों को WFH नियम सख्त करने पर मजबूर कर सकते हैं।

(डिस्क्लेमर: यह रिपोर्ट सोशल मीडिया से मिले यूज़र-जेनरेटेड कंटेंट पर आधारित है। द फेडरल देश ने दावों को स्वतंत्र रूप से वेरिफाई नहीं किया है और उनका समर्थन नहीं करता है।)

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