
लद्दाख में हिंसा क्यों भड़की, सोनम वांगचुक को क्यों किया गया गिरफ्तार? Capital Beat
प्रदर्शनकारी संगठनों ने कहा है कि जब तक केंद्र से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा। 6 अक्टूबर की बैठक अब आंदोलन की दिशा और केंद्र की नीयत की असली परीक्षा होगी।
लेह में हाल ही में हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों, कर्फ्यू, मौतों, घायलों की बड़ी संख्या और सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी जैसे गंभीर हालातों पर चर्चा करते हुए Capital Beat कार्यक्रम में The Federal के प्रधान संपादक एस. श्रीनिवासन और लद्दाख रिसर्च स्कॉलर्स फोरम के सदस्य डॉ. मुतासिफ लद्दाखी ने जमीनी हालात, आंदोलन की नेतृत्व भूमिका और केंद्र सरकार के साथ होने वाली वार्ता की योजना पर प्रकाश डाला।
24 सितंबर को लेह में हिंसा, कर्फ्यू लागू
बुधवार, 24 सितंबर को लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही Leh Apex Body (LAB) के आह्वान पर हजारों लोग सड़कों पर उतरे। प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई, जिसके बाद चार लोगों की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हो गए। इसके बाद प्रशासन ने लेह में कर्फ्यू लगा दिया। कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गईं और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई।
सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी और NSA के तहत कार्रवाई
शुक्रवार को पुलिस ने सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया और उन पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत मामला दर्ज किया गया। रिपोर्टों के अनुसार, उन्हें गुप्त स्थान पर ले जाया गया है।
दिन-दहाड़े हमारे चार युवा मारे गए– डॉ. मुतासिफ
डॉ. मुतासिफ लद्दाखी ने लेह की स्थिति को "क्रोध और शोक" का मिश्रण बताया। उन्होंने कहा कि दिन-दहाड़े चार युवाओं की मौत हो गई। 40 से 50 युवा हिरासत में हैं, जिनमें कई घायल हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पुलिस हिरासत में युवाओं को पीटे जाने की खबरें भी आई हैं।
आंदोलन का नेतृत्व
लेह में आंदोलन का नेतृत्व Leh Apex Body (LAB) कर रही है, जो स्थानीय धार्मिक और सामाजिक संगठनों का गठबंधन है। करगिल में इसी तरह की भूमिका Kargil Democratic Alliance (KDA) निभा रही है। हालांकि, सोनम वांगचुक इस आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा हैं, लेकिन यह आंदोलन लेह और कारगिल दोनों में फैले संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से चलाया जा रहा है।
केंद्र से वार्ता: 6 अक्टूबर को उच्च स्तरीय समिति की बैठक
गृह मंत्रालय (MHA) और LAB-KDA प्रतिनिधियों के बीच एक पूर्व-वार्ता बैठक जल्द होने वाली है। इसके बाद 6 अक्टूबर को केंद्र के साथ हाई-पावर्ड कमेटी (HPC) की बैठक निर्धारित की गई है। विरोध कर रहे संगठनों ने स्पष्ट किया है कि जब तक संतोषजनक समाधान नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।
हिंसा कैसे भड़की?
चर्चा में बताया गया कि हिंसा मुख्य प्रदर्शन स्थल से दूर भड़की। जब प्रदर्शनकारी हिल काउंसिल कार्यालय की ओर मार्च कर रहे थे, उन्हें रोका गया और आंसू गैस के गोले छोड़े गए। इसके बाद गुस्साई भीड़ बीजेपी कार्यालय की ओर बढ़ी, जहां आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाएं हुईं।
डॉ. मुतासिफ ने कहा कि सोनम वांगचुक हमेशा अहिंसा और पर्यावरण संरक्षण के पक्षधर रहे हैं और यह हिंसा स्पॉनटेनियस (स्वतःस्फूर्त) प्रतिक्रिया थी, जो प्रदर्शनकारियों और सुरक्षाबलों की टकराव से उत्पन्न हुई।
रोजमर्रा की ज़िंदगी पर असर
कर्फ्यू के चलते लेह में राशन, दूध और सब्जियों जैसी जरूरी चीजों की भारी कमी देखी जा रही है। नागरिकों की आवाजाही पर भी कड़ी निगरानी रखी जा रही है और चेकपॉइंट्स पर सघन जांच हो रही है।
बाहरी ताकतों का आरोप लद्दाखियों के लिए अपमानजनक
डॉ. मुतासिफ ने कहा कि लद्दाखी समाज का सेना और सुरक्षा बलों से गहरा जुड़ाव रहा है। ऐसे में उन्हें बाहरी ताकतों से प्रभावित बताना अपमानजनक और अस्वीकार्य है। हाल के वार्ताओं में केंद्र ने स्थानीय लोगों को प्राथमिकता देने वाली डोमिसाइल योजना का प्रस्ताव दिया है, लेकिन छठी अनुसूची और पूर्ण राज्य का दर्जा जैसे मुद्दे अभी भी अधर में हैं। डॉ. मुतासिफ ने कहा कि अगर प्रशासन पहले ही स्पष्ट रूप से बात करता तो यह स्थिति टाली जा सकती थी।