मध्य प्रदेश के इंदौर के एक आश्रम में क्यों हो रही है बच्चों की मौत?
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मध्य प्रदेश के इंदौर के एक आश्रम में क्यों हो रही है बच्चों की मौत?

1 जुलाई से 2 जुलाई के बीच आश्रम में हैजा के कारण चार बच्चों की मौत हो गई। 30 जून को दो और मौतों के लिए दिमागी दौरे और मिर्गी को जिम्मेदार ठहराया गया।


Mysterious Deaths in Indore Ashram: मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित एक आश्रम में छह बच्चों की रहस्यमय परिस्थितियों में मौत हो जाने का मामला सामने आया है, जिसके बाद पूरे शहर में सनसनी फ़ैल गयी है. साथ ही इस आश्रम से एक अन्य नाबालिग के लापता हो जाने की घटना भी सामने आई है. इन घटनाओं के बाद ये आश्रम आधिकारिक जांच के दायरे में आ गया है.

पुलिस ने बुधवार को बताया कि मल्हारगंज क्षेत्र में एक गैर सरकारी संगठन द्वारा संचालित श्री युगपुरुष धाम बाल आश्रम के प्रबंधन ने कहा कि लापता 16 वर्षीय लड़का मानसिक रूप से कमजोर है और उसका अपहरण कर लिया गया है.

29 जून से अब तक आश्रम में छह बच्चों की मौत हो चुकी है. इन मौतों ने विशेष बच्चों के आश्रय गृह में कुप्रबंधन, अत्यधिक प्रवेश और संदिग्ध हैजा प्रकोप को लेकर चिंताएं पैदा कर दी हैं.

लापता लड़के का मामला

सहायक पुलिस आयुक्त आशीष पटेल ने बताया कि आश्रम में हैजा फैलने के बाद कुछ बच्चों को 6 जुलाई को शहर के खंडवा नाका क्षेत्र स्थित एक अन्य आश्रम में स्थानांतरित कर दिया गया था. उन्होंने लापता बालक की पहचान आनंद के रूप में की, जिसके बारे में आश्रम प्रबंधन ने आरोप लगाया है कि उसे किसी अज्ञात बदमाश बहला-फुसलाकर 8 जुलाई को अगवा करके ले गए थे.

लेकिन आश्रम और उसके आस-पास के सीसीटीवी कैमरों की पुलिस जांच में उस दिन लड़का नहीं दिखा। पटेल ने कहा, "हम उस तारीख से पहले के सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रहे हैं."

अधिकारी ने बताया कि लापता बालक जनवरी में हरदा की बाल कल्याण समिति से इंदौर आया था. अधिकारी ने ये भी कहा कि "लापता लड़के से संबंधित सभी पहलुओं की जांच की जा रही है." 1 से 2 जुलाई के बीच आश्रम में हैजा से पीड़ित चार बच्चों की मौत हो गई. 30 जून को एक बच्चे की मौत का कारण दिमागी दौरा बताया गया.

आश्रम में समस्याएँ

29-30 जून की रात आश्रम में रहने वाले एक और बच्चे की मौत हो गई, लेकिन आश्रम प्रबंधन ने प्रशासन को इसकी जानकारी नहीं दी. प्रबंधन का दावा है कि बच्चे की मौत मिर्गी के कारण हुई. एसीपी पटेल ने कहा कि प्रशासन द्वारा गठित एक उच्च स्तरीय समिति की जांच में आश्रम में क्षमता से अधिक बच्चों को रखने, बच्चों के मेडिकल रिकॉर्ड सही न रखने तथा अन्य अनियमितताएं सामने आई हैं।

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