दिल्ली की ज़हरीली हवा के पीछे पंजाब की पराली वाली थ्योरी का सच क्या है?
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दिल्ली की ज़हरीली हवा के पीछे पंजाब की पराली वाली थ्योरी का सच क्या है?

पंजाब के जिन किसानों की खरीफ की फसल अगस्त-सितंबर की भीषण बाढ़ में तबाह हो चुकी है, वो अक्टूबर में उन खेतों में पराली कैसे जला रहे हैं, ये एक बडी पहेली है।


लगता है कि दिल्ली की जहरीली हवा के लिए पराली को कोसना अब न्यू नॉर्मल हो गया है। ये हर साल की रीत सी बन गई है। इस बार दिल्ली में दीवाली के बाद प्रदूषण का रिकॉर्ड टूट गया। दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में इसका नंंबर आ गया तो इसका ठीकरा फोड़ने के लिए सिर ढूंढे जाने लगे। फिर हुआ ये कि दीवाली के अगले दिन दिल्ली सरकार के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने बाकायदा प्रेस क़ॉन्फ्रेंस करके आरोप लगा दिया कि आम आदमी पार्टी ज़बरदस्ती किसानों के मुँह बांधकर तरन तारन और बठिंडा में पराली जलवा रही है ताकि दिल्ली के अंदर इसका असर हो।


कमाल की बात ये है कि पिछले दिनों आई भीषण बाढ़ से पंजाब के खेत-खलिहान और खड़ी फसल तहस-नहस हो चुकी है। सितंबर महीने में प्रकाशित मीडिया रिपोर्ट्स से पता चल रहा है कि पंजाब में बाढ़ की वजह से 1 लाख 91 हजार 926 हेक्टेयर फसल बाढ से तबाह हो गई। अगर हम इसे एकड़ में कहें तो 4 लाख 80 हज़ार एकड़ में खड़ी फसल बर्बाद हो गई। इनमें सबसे ज्यादा नुकसान हुआ गुरदासपुर जिले में।

तो जिन किसानों की खरीफ की फसल अगस्त-सितंबर की बाढ़ में तबाह हो चुकी है, वो अक्टूबर में उन्हें खेतों में पराली कैसे जला रहे हैं, ये एक बडी पहेली है। आपको पता ही होगा कि धान या गेहूँ जैसी फसलों की कटाई के बाद खेतों में जो तने और पत्तियाँ बच जाती हैं, वही पराली कहलाती है। उसे फसल का अवशेष भी कह सकते हैं। तो किसान अक्सर ये करते हैं कि उन्हें अगले मौसम में गेहूँ या दूसरी फसल बोने से पहले खेत को जल्दी साफ़ और तैयार करना पड़ता है। तो पराली को जलाने लगते हैं ताकि खेत तेजी से खाली और साफ़ हो जाए।

लेकिन इस बार तो पंजाब में खेतों में खड़ी ज्यादातर फसल ही चौपट हो गई है तो वहां पराली का जलाया जाना और उस पराली से दिल्ली के आसमान का जहरीले धुएं से भर जाना, ये बात कई लोगों को पच नहीं रही है। ऐसा लग रहा है कि सरकार पराली के पीछे अपनी नाकामियों को छिपाने की जुगत कर रही है। इसीलिए ऐसे समय में जबकि दिल्ली में लोगों की सांसों पर संकट छाया हुआ है, बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों अपने पॉलिटिकल स्कोर सेट करने में लगे हुए हैं। आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस मांग की कि बीजेपी ऐसी बयानबाजी के लिए पंजाब के किसानों से माफी मांगे। उन्होंने कहा कि बड़े वैज्ञानिक भी कह रहे हैं कि दिल्ली के प्रदूषण में पंजाब की पराली का धुआं 1% से भी कम है।



वैसे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों से इतर अगर डेटा पर नजर दौड़ाएं तो सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट के आंकड़े बता रहे हैं कि सर्दियों के सीजन में दिल्ली में जो पॉल्यूशन बढ़ जाता है, उसमें पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी यूपी के खेतों में जलने वाली पराली का योगदान महज 8.1 परसेंट है। सबसे ज्यादा 51.5% योगदान तो गाड़ियों से निकलने वाले धुएं का है। उसके बाद पड़ोसी जिलों से उत्सर्जन का 34.9% और धूल का 3.7% परसेंट योगदान है।

जाहिर है, दिल्ली की हवा खराब करने में पराली का योगदान इतना नहीं है, जितना उसका हौव्वा खड़ा किया जा रहा है और वो भी सिर्फ पंजाब की पराली का जबकि वहां तो इस बार खरीफ की फसल ही चौपट हो गई। असली चैलेंज तो आगे है जब रबी की फसल तैयार होगी। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सरकारें मिलकर प्रदूषण के असली कारणों पर काम नहीं करतीं, तब तक हवा की समस्या का स्थायी समाधान नहीं होगा।

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