मेरी कौन-सी हरकत पार्टी विरोधी? निलंबन के बाद आरके सिंह का BJP नेतृत्व से सवाल
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मेरी कौन-सी हरकत पार्टी विरोधी? निलंबन के बाद आरके सिंह का BJP नेतृत्व से सवाल

RK Singh ने कहा कि उन्होंने बिहार भाजपा से साफ पूछा है कि आखिर मेरी कौन-सी गतिविधि पार्टी विरोधी है? मैंने ऐसा क्या गलत किया?


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Bihar politics: पूर्व केंद्रीय मंत्री और BJP के वरिष्ठ नेता रहे राजकुमार सिंह (आरके सिंह) ने बिहार भाजपा द्वारा किए गए निलंबन पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि पार्टी ने यह साफ नहीं बताया है कि उनकी कौन-सी गतिविधि “पार्टी विरोधी” मानी गई। आरके सिंह ने बताया कि भाजपा से शो-कॉज़ नोटिस मिलने के बाद उन्होंने तुरंत अपना इस्तीफा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को भेज दिया है।

मैंने क्या गुनाह किया?

आरके सिंह ने कहा कि उन्होंने बिहार भाजपा से साफ पूछा है कि आखिर मेरी कौन-सी गतिविधि पार्टी विरोधी है? मैंने ऐसा क्या गलत किया? उन्होंने आगे कहा कि मैंने सिर्फ इतना कहा था कि आपराधिक पृष्ठभूमि वाले या भ्रष्ट लोगों को टिकट नहीं मिलना चाहिए। क्या यह पार्टी विरोधी गतिविधि है? ऐसे लोगों को टिकट देने से पार्टी की छवि खराब होती है। यह न पार्टी के हित में है, न देश के और न जनता के। आरके सिंह ने कहा कि उनका बयान पूरी तरह पार्टी के भले के लिए था। उन्होंने यह भी कहा कि अगर अपराधियों पर सवाल उठाने से किसी को परेशानी होती है तो ऐसे माहौल में रहने का कोई मतलब नहीं है।

एक दिन पहले तीन नेताओं पर कार्रवाई

एक दिन पहले ही बिहार भाजपा ने तीन नेताओं पर सख्त कार्रवाई की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री और आरा के सांसद राजकुमार सिंह (आरके सिंह), कटिहार के विधान परिषद सदस्य अशोक अग्रवाल, कटिहार की मेयर उषा अग्रवाल, पार्टी ने तीनों नेताओं को 6 साल के लिए निष्कासित कर दिया।

पार्टी का आरोप

भाजपा बिहार प्रदेश कार्यालय प्रभारी अरविंद शर्मा ने तीनों नेताओं को अलग-अलग पत्र भेजे। पत्र में लिखा था कि आपकी गतिविधियाँ पार्टी के खिलाफ हैं। यह अनुशासनहीनता की श्रेणी में आती हैं। इससे पार्टी की छवि खराब हुई है। कार्यकर्ताओं का मनोबल प्रभावित हुआ है। इसी कारण पार्टी ने तीनों नेताओं को निलंबित करते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

एक सप्ताह में देना होगा जवाब

भाजपा ने तीनों नेताओं से कहा है कि वे एक सप्ताह के भीतर अपना जवाब भेजें। उन्हें बताना होगा कि आपको पार्टी से क्यों न पूरी तरह निष्कासित कर दिया जाए?

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