साकार हरि का नाम सीधे सीधे FIR में नहीं, फिर 121 मौत का ज़िम्मेदार कौन ?
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साकार हरि का नाम सीधे सीधे FIR में नहीं, फिर 121 मौत का ज़िम्मेदार कौन ?

सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सत्संग करने वाले भोले बाबा साकार हरी उर्फ़ सूरजपाल का नाम FIR में आरोपी की श्रेणी में क्यों नहीं लिखा गया? क्या इस मामले में बाबा को बचाया जा रहा है या फिर अब भी बाबा इस FIR की जद में आ सकते हैं?


Hathras Stampede: हाथरस में सत्संग में हुए भीषण हादसे में मरने वालों की संख्या 121 हो चुकी है. पुलिस ने भी कार्रवाई के नाम पर एफआईआर दर्ज कर ली है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर सत्संग करने वाले भोले बाबा साकार हरी उर्फ़ सूरजपाल का नाम FIR में आरोपी की श्रेणी में क्यों नहीं लिखा गया? आखिर क्या वजह है, जो पुलिस ने इस आयोजन के सबसे प्रमुख किरदार को ही FIR में शामिल नहीं किया है? क्या इस मामले में बाबा को बचाया जा रहा है या फिर अब भी बाबा इस FIR की जद में आ सकते हैं?


हाथरस पुलिस ने जो FIR दर्ज की है, उसमें क्यों नहीं है सूरजपाल उर्फ़ भोले बाबा साकार हरी का नाम

हाथरस पुलिस ने जो FIR दर्ज की है, उसमें मुख्यारोपी के तौर पर मुख्यसेवादार देवप्रकाश मधुकर का नाम लिखा गया है, जबकि अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया गया है, जो इस आयोजन को कराने में शामिल रहे हैं. अब सवाल ये उठता है कि क्या बस इन्हीं लोगों के नाम पर FIR फाड़ कर काम चल जायेगा. वो क्या वजह है, जो आरोपियों की श्रेणी में भोले बाबा साकार हरी का नाम नहीं डाला गया? क्या उनकी कोई भी ज़िम्मेदारी इस कार्यक्रम में आने वाले लोगों के प्रति नहीं बनती है? ये वो सवाल हैं, जो इस भीषण हादसे के बाद लोगों के मन में उठ रहे हैं और पुलिस से भी ऐसे सवाल किये जा रहे हैं.

इस विषय पर दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड ACP किशन लाल शर्मा का कहना है कि इस मामले में जाँच का दायरा बहुत बड़ा है, इसलिए अभी के हालत को देखते हुए ये नहीं कह सकते कि अगर बाबा का नाम FIR में आरोपियों की श्रेणी में नहीं लिखा गया है तो इसे क्लीनचिट समझा जाए. ऐसा भी हो सकता है कि जब लोगों के बयान सामने आये तो स्थिति और स्पष्ट हो सके कि जब ये हादसा हुआ तो उस समय बाबा की भूमिका क्या थी?

जैसा समाचारों में चल रहा है कि बाबा अपनी गाडी की तरफ जा रहा था और लोग उसके पीछे पीछे चल रहे थे, चरण रज अपने माथे पर लगा रहे थे. उसकी गाड़ी के जाते ही लोग चरण रज लेने के लिए झुके और पीछे से भागते हुए आ रहे लोगों के निचे दब गए.

अब ऐसे में जाँच की दृष्टि से ये सवाल उठता है कि क्या बाबा को ये मालूम था कि इतनी बड़ी संख्या में लोग उसकी चरण रज के चक्कर में झुक रहे हैं और उसके गाड़ी में बैठने के बाद भी लोग उसके पीछे भागते हैं. क्या बाबा की तरफ से ऐसा करने से रोका गया? बाबा की सुरक्षा में जो लोग लगे रहते हैं, जो बाबा के करीब रहते हैं, क्या उनकी तरफ से लोगों को रोका जाता है या नहीं? इन सब बातों को जाँच की दृष्टि से देखा जाना चाहिए. पीड़ित लोग अपने बयान में बाबा को लेकर क्या कहते हैं?

ये जो आयोजन हुआ, उसके आयोजनकर्ताओं के बयान क्या रहते हैं? जो भी कार्यक्रम आयोजित किया गया, क्या उसमें बाबा की भूमिका सिर्फ सत्संग करने तक ही सिमित थी या फिर उस आयोजन को कराने में भी बाबा की या उसके ट्रस्ट आदि की भी कोई भूमिका थी. इन सब बातों पर गौर किया जाना जरुरी है.

यही वजह भी है कि सिर्फ FIR में बाबा का नामजद न होना, यूज़ क्लीनचिट नहीं देता है.

यूपी पुलिस के डीजीपी का क्या है कहना

यूपी पुलिस के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने बताया कि "घटना में 116 लोगों की मौत हुई है. सभी चीजों की जांच चल रही है और हम तत्काल निष्कर्ष पर पहुंचकर जांच को प्रभावित नहीं करना चाहते हैं.'' जब उनसे मीडिया ने ये सवाल किया कि बाबा को गिरफ्तार किया जायेगा या नहीं तो प्रशांत कुमार ने कहा कि जांच के निष्कर्षों के आधार पर मामला आगे बढ़ेगा. अभी जाँच जारी है, अभी से किसी के बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी.

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