
दिल्ली में महागठबंधन का 'डॉक्टर' कौन है?, सीट शेयरिंग पर क्यों फंसा है पेच?
बिहार में पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन की आखिरी तारीख 17 अक्तूबर है, लेकिन महागठबंधन अभी तक सीट शेयरिंंग पर फैसला नहीं ले पाया है। सहयोगी मुकेश सहनी ने कह दिया कि महागठबंधन अभी थोड़ा अस्वस्थ है।
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने सीट शेयरिंग की घोषणा करके इस मामले में विपक्षी महागठबंधन पर लीड ले ली है। जो घोषणा हुई है, उसके मुताबिक बीजेपी और जेडीयू दोनों बराबर सीटों यानी 101-101 सीटों पर लड़ेंगी। जबकि एनडीए के सहयोगी चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.।वहीं एनडीए के अन्य सहयोगी दल जैसे जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम पार्टी (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा के हिस्से में 6-6 सीटें आई हैं.
ये तो हुई बिहार में सत्ताधारी गठबंधन की बात, लेकिन वहीं विपक्ष के खेमे में क्या चल रहा है, इसकी झलक दिखाई देती है महागठबंधन की सहयोगी पार्टी वीआईपी यानी विकासशील इंसान पार्टी के सुप्रीमो मुकेश सहनी के बयान में। जिन्होंने पटना से दिल्ली रवाना होने से पहले यह कहकर खलबली मचा दी कि 'महागठबंधन थोड़ा सा अस्वस्थ हुआ है। हम दिल्ली जा रहे हैं और सब डॉक्टर दिल्ली में हैं, तो वहां बेहतर उपचार हो जाएगा। हम स्वस्थ होकर पटना लौटेंगे।'
मुकेश सहनी, जिन डॉक्टरों की बात कर रहे हैं, वो कोई बड़ी पहेली नहीं है। जाहिर है, उनका इशारा कांग्रेस पार्टी की लीडरशिप की तरफ ही रहा होगा लेकिन मुकेश सहनी का ये बयान कि महागठबंधन कुछ अस्वस्थ हो गया है, ये बड़ा बयान है। इस बयान से इतना तो साफ पता चल रहा है कि महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बहुत तनातनी चल रही है। दूसरी बात ये भी इससे पता चल रहा है कि पटना में महागठबंधन में बात बन नहीं पाई है और सबकी नज़रें अब दिल्ली की तरफ है।
महागठबंधन के नेता दिल्ली में है। लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव और उनका परिवार लैंड फॉर जॉब मामले में पेशी के लिए आया था। अब दिल्ली में सीट शेयरिंग पर बातचीत होना ही एक प्रमुख एजेंडा दिखाई दे रहा है। और ये नहीं भूलना चाहिए कि 6 नवंबर को जो पहले चरण का चुनाव होना है, उसके लिए नामांकन की आख़िरी तारीख़ 17 अक्तूबर है। यानी अब गिनती के दिन बचे हुए हैं और आरजेडी, कांग्रेस वाला महागठबंधन अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कुछ फाइनल ही नहीं कर पाया है. शायद गठबंधन के दूसरे सहयोगियों से सीट बंटवारे पर बात नहीं बन पा रही है या उनकी नाराजगी दूर नहीं हो पा रही है।
यह आलम तब है जबकि महागठबंधन के बड़े नेता यानी राहुल गांधी और तेजस्वी यादव वोटर लिस्ट में संशोधन यानी SIR के मुद्दे पर बिहार में यात्रायें करके कैंपेन में बढ़त ले चुके थे। लेकिन नामांकन की आखिरी तारीख से तीन-चार दिन पहले भी सीट शेयरिंग फाइनल न होने से लग रहा है कि महागठबंधन में समस्या बड़ी है।