
2024 में दिखा ट्रेलर अब 2025 की बारी, क्या बिहार में कमाल कर पाएंगे तेजस्वी
बिहार की सियासत को समझने वाले मानते हैं कि भले ही आम चुनाव 2024 में तेजस्वी यादव को उतनी सीटें ना मिलीं हो आने वाला विधानसभा चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है.
Tejashwi Yadav News: सियासत में व्यत्तिगत संबंधों की भूमिका बहुत प्रासंगिक नजर नहीं आती. क्योंकि यदि ऐसा होता तो बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का चाचा- भतीजा वाला रिश्ता राजनीतिक तौर पर कायम रहता. सच तो ये है कि राजनीति में व्यक्तिगत संबंध तब तक ही स्थाई है जब तक उससे फायदा मिल रहा हो. अगर आप भारत खासतौर से बिहार की राजनीति को देखें तो यहां के नेता मौसम की तरह बदलते और उन्हें कुछ गलत भी नजर नहीं आता. बिहार की भलाई के नाम पर वो अपने सभी फैसलों को जायज भी ठहरा देते हैं. यहां बात हम नीतीश कुमारड तेजस्वी यादव की करेंगे. तेजस्वी यादव, नीतीश कुमार को चाचा कहते हैं लेकिन पलटू राम बोलने से नहीं चुकते यानी कि उनके संबोधन में तंज का पुट अधिक रहता है. यहां हम बात 2024 आम चुनाव में तेजस्वी यादव के प्रदर्शन की करेंगे.
तेजस्वी को इस तरह मिला फायदा
2024 आम चुनाव में तेजस्वी यादव की रैलियों को आपने भी देखा होगा. हेलिकॉप्टर से हवा में उड़ते हुए तो वो बिहार के सियासी तापमान को भांपते थे. उसके हिसाब से बयान देते थे. नए नए जुमले भी गढ़ते थे.तेजस्वी कहा करते थे कि उनके चाचा यानी कब फिर से पलट जाएं कुछ नहीं कह सकते. उनके बयानों का जमीन पर असर होता था. लेकिन क्या लोकसभा चुनाव में आरजेडी को फायदा हुआ. अगर आप सीट संख्या की बात करें तो तेजस्वी का बहुत अधिक फायदा नहीं हुआ. लेकिन इंडिया ब्लॉक ने एनडीए को 2019 जैसा प्रदर्शन करने पर ब्रेक लगा दिया. अगर एनडीए की बात करें तो 2019 की तुलना में बीजेपी और जेडीयू दोनों को नुकसान हुआ है.
करीब 18 महीने बाद बिहार में विधानसभा का चुनाव होना है. अब सबकी नजर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के सियासी कदमों पर टिकी है, 2025 में कौम किस पर भारी पड़ेगा उसका फैसला तो समय खुद लिख देगा. लेकिन अतीत की घटनाएं आकलन करने का मौका देती हैं. 2019 के आम चुनाव में बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों में से 39 सीट पर एनडीए को जीत मिली थी. लेकिन 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन यानी आरजेडी ने शानदार वापसी की और नंबर एक पार्टी बन गई. बिहार में सरकार बनाने से मात्र 10 सीट पीछे रह गई. 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए के खाते में 125 सीटें आईं थीं. बता दें कि बिहार में विधानसभा की 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए 122 सीटों की जरूरत पड़ती है.यहां पर एक बात और ध्यान देने वाली है कि लोकसभा चुनाव में एनडीए की तरफ से पीएम नरेंद्र मोदी बड़ा चेहरा थे. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने नीतीश कुमार और राज्य बीजेपी के कामकाज को आधार बनाकर चुनाव में उतरी थी.
तेजस्वी यादव के प्रचार ने दिखाया रंग
2024 के नतीजों को अगर देखें तो 40 में से एनडीए को 30 सीट मिली है, जबकि इंडिया गठबंधन सिर्फ 9 सीटें ही जीत सका जबकि 2019 में आंकड़ा अलग था. एनडीए को कुल 39 सीटें जीतने में कामयाबी मिली थी. अगर विधानसभा की बात करें तो एनडीए के हिस्से में 125 और इंडिया गठबंधन के हिस्से में 110 सीट आई. लेकिन यहां ध्यान देने वाली बात है कि 2024 में जिन सीटों पर एनडीए को जीत मिली है वहां जीत का अंतर नहीं बढ़ा है. यानी कि इंडिया ब्लॉक या यूं कहें कि तेजस्वी यादव ने हार के अंतर को कम करने में कामयाबी हासिल की है और इसकी वजह से तेजस्वी यादव का आत्मविश्वास बढ़ा है. अगर बात किशनगंज की करें तो 2019 में महागठबंधन ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी. 2024 में जीत के साथ मतों में बढ़ोतरी हुई है. 2019 में जीत का अंतर 34 हजार वोट था उसमें करीब 12 हजार की बढ़त हुई है.
2019 में महागठबंधन जिन सीटों पर एक लाख से भी कम अंतर से हारी थी. उन सीटों पर 2024 में कब्जा कर लिया है. उदाहरण के लिए काराकाट, कटिहार, जहानाबाद, पाटलिपुत्र और औरंगाबाद को अपनी झोली में कर लिया है. इनमें से चार सीटों जहानाबाद, पाटलिपुत्र और काराकाट और औरंगाबाद में जीत का अंतर अधिक है. 2019 में एनडीए ने नवादा, सीवान, बक्सर,अररिया, सारण और आरा में डेढ़ लाख के अधिक अंतर से जीत दर्ज की थी. लेकिन 2024 में इंडिया ब्लॉक ने बक्सर और आरा की सीट को 30 और करीब 60 हजार के अंतर से जीत ली. वहीं सीवान, सारण, नवादा और अररिया में इंडिया एनडीए के बीच जीत हार का अंतर कम हुआ है.