यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार नए साल में- क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण साधने पर ज़ोर
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योगी मंत्रिमंडल विस्तार की सुगबुगाहट

यूपी में मंत्रिमंडल विस्तार नए साल में- क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण साधने पर ज़ोर

योगी 2.0 के आख़िरी मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय समीकरण साधने पर ज़ोर होगा।सपा के PDA की काट के लिए पार्टी दलित चेहरे को जगह दे सकती है।मनोज पांडे और पूजा पाल को भी शामिल किया जा सकता है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश को प्रतिनिधित्व देते हुए भूपेंद्र चौधरी का मंत्रिमंडल में शामिल होना तय माना जा रहा है।


उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा तेज़ हो गई है।यूपी बीजेपी अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद अब सरकार में फेरबदल पर शीर्ष नेतृत्व की नज़र है।वजह यह है कि आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए क्षेत्रीय संतुलन और जातीय समीकरण साधने का यह आखिरी मौका होगा।साथ ही विधानसभा चुनाव को देखते हुए कई चेहरों को संगठन में भी भेजा जा सकता है।माना जा रहा है कि जनवरी के चौथे सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में यह मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है।

सूत्रों के अनुसार 15 दिसंबर से शुरू हुए खरमास के खत्म होने के बाद जनवरी के चौथे सप्ताह या फरवरी के पहले सप्ताह में योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो सकता है।वर्तमान में योगी मंत्रिमंडल में 54 मंत्री हैं जबकि अधिकतम 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं।यानि करीब 6 नए चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।अगले साल के शुरू में मंत्रिमंडल विस्तार होने के बाद यूपी विधानसभा चुनाव के लिए एक साल का वक्त रह जाएगा।ऐसे में नए मंत्रियों को भी अपने क्षेत्र में परफॉर्म करने का मौका मिलेगा और निर्धारित जाति-वर्ग को संदेश देने के लिए भी वक्त मिल जाएगा।इसके अलावा चुनाव को देखते हुए मौजूदा मंत्रियों में से कुछ को संगठन की जिम्मेदारियां दी जा सकती हैं और उनकी जगह नए चेहरों को मौक़ा मिला सकता है।

क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधना ज़रूरी-

इस बार का मंत्रिमंडल विस्तार 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए होना तय है।केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद अब मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष दोनों एक ही क्षेत्र से हो गए हैं।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से आते हैं जबकि प्रदेश अध्यक्ष पंकज चौधरी पड़ोसी जिले महाराजगंज का प्रतिनिधित्व करते हैं।यही नहीं, प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है।ऐसे में पश्चिमी यूपी को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।हालाँकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी का नाम इसके लिए तय माना जा रहा है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटों को मजबूत करने के लिए यह कदम अहम होगा।नोएडा से विधायक पंकज सिंह के नाम की भी चर्चा है। इसके अलावा बुंदेलखंड और मध्य यूपी( अवध) से भी 2-3 चेहरे शामिल किए जा सकते हैं।रामपुर से विधायक आकाश सक्सेना ने आज़म ख़ान के ख़िलाफ़ मोर्चा संभाला था उनको भी संभावित बदलाव में जगह मिल सकती है।इसके अलावा एमएलसी महेंद्र सिंह का नाम चर्चा में है।

PDA चेहरों पर पार्टी लगा सकती है दांव-

मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के अलावा सबसे ज़्यादा ज़ोर जातीय समीकरण साधने पर रहेगा। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के पीडीए की सफलता के बाद सबसे ज़्यादा चुनौती बीजेपी को PDA से मिल रही है।ऐसे में इस वर्ग के चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है।पंकज चौधरी को अध्यक्ष बनाकर पार्टी ने कुर्मी मतदाताओं को संदेश दिया है।इसके अलावा ग़ैर जाटव दलित वर्ग से कोई मंत्री बनाया का सकता है।यानि बीजेपी पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) की काट के लिए अपने पिछड़े और दलित नेताओं को ज्यादा प्रतिनिधित्व देने पर विचार कर रही है।

सपा के बागियों को मिल सकता है ईनाम-

इस विस्तार में समाजवादी पार्टी के बागी विधायकों को जगह मिलने की भी संभावना है। ख़ास तौर पर अमेठी से आने वाले ब्राह्मण नेता मनोज पांडे और चायल से विधायक पूजा पाल के नाम पर मुहर लग सकती है।इससे दोनों को जातियों ब्राह्मण और पाल गरेडिया को भी प्रतिनिधित्व मिल जाएगा।इन दोनों को सपा ने पार्टी से निष्कासित कर दिया है। ऐसे में इन दोनों को शामिल करने में कोई दिक्कत भी नहीं होगी। बीजेपी पूजा पाल को मंत्री बनाकर माफिया के ख़िलाफ़ लड़ाई जारी रखने का संदेश भी दे सकती है।पूजा पाल के पति पूर्व विधायक राजू पाल की अतीक अहमद ने हत्या करवा दी थी।उसके बाद पूजा पाल राजनीती में आई थीं।

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