
उनकी नजर में दंगाई शांतिदूत, ममता बनर्जी पर 'योगी' के तेवर तल्ख
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद और दक्षिण 24 परगना में हिंसा पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि सीएम ममता बनर्जी खामोश बैठी हैं।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पश्चिम बंगाल में हाल ही में भड़की हिंसा को लेकर हरदोई में एक जनसभा को संबोधित करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि बंगाल जल रहा है, लेकिन वहाँ की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी दंगाइयों को ‘शांतिदूत’ बताकर चुप बैठी हैं। योगी ने कहा, "लातों के भूत बातों से नहीं मानते। इनका इलाज सिर्फ डंडा है।"
"सेक्युलरिज्म के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट"
मुख्यमंत्री योगी ने ममता बनर्जी पर आरोप लगाया कि वे धर्मनिरपेक्षता (सेक्युलरिज्म) के नाम पर दंगाइयों को खुली छूट दे रही हैं। उन्होंने कहा, “पूरा मुर्शिदाबाद एक हफ्ते से जल रहा है, लेकिन सरकार चुप है। दंगाइयों को दंगा करने की इजाज़त दे दी गई है।”उन्होंने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि बंगाल की हिंसा पर वे खामोश हैं, और जनता यह सब देख रही है।
"बांग्लादेश पसंद है तो वहीं चले जाएं"
अपने संबोधन में योगी ने कड़े शब्दों का इस्तेमाल करते हुए कहा, “जो लोग बांग्लादेश के समर्थन में हैं, वे वहीं चले जाएं। दंगाइयों को केवल डंडे से ही समझाया जा सकता है।” उन्होंने आगे कहा कि इस तरह की अराजकता पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए।योगी ने पश्चिम बंगाल के न्यायालय का भी आभार जताया, जिन्होंने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए केंद्रीय बलों (Central Forces) की तैनाती का आदेश दिया। इसके जरिए राज्य के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की गई।
क्या है बंगाल हिंसा का मामला?
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के सूती, जंगीपुर और शमशेरगंज इलाकों में शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद अचानक हालात बिगड़ गए। वक्फ विधेयक के विरोध में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और नेशनल हाईवे-34 को ब्लॉक कर दिया। जब पुलिस ने हाईवे से जाम हटाने की कोशिश की, तो हिंसा भड़क उठी।पथराव, आगजनी और लाठीचार्ज की घटनाओं के बीच पुलिस को आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। स्थिति इतनी गंभीर हो गई कि BSF को मैदान में उतरना पड़ा। तब तक इलाकों में भारी नुकसान हो चुका था।
शुक्रवार दोपहर से शुरू हुई यह हिंसा देर रात तक जारी रही। जब तक मालदा और बहरामपुर से अतिरिक्त फोर्स नहीं पहुंची, हालात काबू में नहीं आ सके।
पुलिस पर हमले और पुराने तनाव
यह पहली बार नहीं है जब मुर्शिदाबाद हिंसा की चपेट में आया है। कुछ दिन पहले भी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर हमला किया और दो गाड़ियों में आग लगा दी थी। इससे पहले NRC विरोध के दौरान भी यहां भारी हिंसा देखी गई थी।बंगाल की यह हिंसा केवल कानून व्यवस्था का मामला नहीं रह गई है, बल्कि यह अब राजनीतिक और सामाजिक विमर्श का केंद्र बन चुकी है। योगी आदित्यनाथ की टिप्पणियां जहां कानून की सख्ती की बात करती हैं, वहीं राज्य सरकार की चुप्पी पर सवाल खड़े करती हैं।