
‘साफ हवा, मेरा हक’ अभियान: यूथ कांग्रेस ने प्रदूषण पर सरकार को घेरा
युवा कांग्रेस ने इस सम्मेलन में प्रदूषण को गंभीर स्वास्थ्य और राजनीतिक संकट के रूप में पेश किया। केंद्र और राज्य सरकारों की जवाबदेही, अरावली संरक्षण, अनौपचारिक श्रमिकों की सुरक्षा और जागरूकता अभियान को आगे बढ़ाने के लिए संगठन ने ठोस रोडमैप भी पेश किया।
बढ़ते शीतकालीन स्मॉग और खराब होती वायु गुणवत्ता (AQI) के बीच भारतीय युवा कांग्रेस (IYC) ने बुधवार (17 दिसंबर) को ‘Clean Air, My Right’ सम्मेलन का आयोजन कर हवा प्रदूषण को न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट, बल्कि शासन की नाकामी के रूप में प्रस्तुत किया।
सम्मेलन में जुटे नेता और विशेषज्ञ
इंदिरा भवन, एआईसीसी मुख्यालय में आयोजित इस कार्यक्रम में वरिष्ठ कांग्रेस नेता, पर्यावरण विशेषज्ञ, एक्टिविस्ट और प्रदूषण प्रभावित इलाकों के निवासी मौजूद रहे। सम्मेलन में नीति में सुस्ती और राजनीतिक उदासीनता की आलोचना की गई। वहीं, इस मौके पर IYC ने ‘SaafHawa.in’ वेबसाइट लॉन्च की, जिसे अब तक 4,000 से अधिक प्रतिक्रियाएं मिली हैं।
हवा प्रदूषण संकट
IYC के राष्ट्रीय अध्यक्ष उदय भानु चिब ने कहा कि हवा प्रदूषण नई समस्या नहीं है, लेकिन इस बार स्थिति बेहद गंभीर है और आम लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा असर डाल रही है। सभी नागरिक समाज संगठन, एनजीओ और पर्यावरण विशेषज्ञ जो प्रदूषण की जड़ और नीति विफलताओं पर काम कर रहे हैं, उनकी सराहना होनी चाहिए। हर कोई इस आंदोलन से जुड़ सकता है।
केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया
लोकसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हूडा ने केंद्र सरकार पर सबसे तेज़ हमला करते हुए कहा कि पर्यावरण राज्य का विषय नहीं है, बल्कि यह सम्मिलित सूची में आता है, इसलिए केंद्र और राज्यों दोनों की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण पर संसद में गंभीर चर्चा करने के लिए केंद्र सरकार ने पिछले 12 सालों में कोई पहल नहीं की।
दिल्ली सरकार पर गंभीरता छुपाने का आरोप
दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कहा कि दिल्ली सरकार समस्या की गंभीरता छुपा रही है और पूर्व नीतियों को कमजोर कर रही है। उन्होंने कांग्रेस शासनकाल के दौरान दिल्ली में हरित आवरण और सार्वजनिक परिवहन सुधारों को उदाहरण के तौर पर पेश किया।
राजनीतिक संकल्प की जरूरत
राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा कि प्रदूषण संकट से निपटने के लिए राजनीतिक संकल्प और प्रतिबद्ध लोग जरूरी हैं। उन्होंने लंदन के प्रदूषण नियंत्रण उदाहरण का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली भी ऐसा कर सकती है।
पर्यावरण विशेषज्ञों और नागरिकों की चिंता
पर्यावरण विशेषज्ञ नीला अहलुवालिया ने अरावली पर्वत श्रृंखला के कमजोर होने के खतरों की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर अरावली नहीं रही तो दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण में 1000 गुना वृद्धि होगी। प्रदूषण प्रभावित इलाकों के निवासी रोजमर्रा के प्रदूषण के असर से जूझते हैं। मन्जू गोयल (Gig Workers India) ने सांस की समस्याओं, जलती आंखों और अस्पतालों में भीड़ के बारे में बताया। वहीं, बावना के पास रहने वाले राजपाल सैनी ने कहा कि वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट के कारण दशकों से स्वास्थ्य पर गंभीर असर पड़ा है। Indian Hawkers Alliance के संदीप वर्मा ने कहा कि अनौपचारिक श्रमिकों के लिए सरकारी निर्देश बेअसर हैं। सड़क विक्रेता और निर्माण श्रमिक प्रत्यक्ष रूप से प्रदूषण के संपर्क में हैं और उन्हें रोज मरना पड़ता है ताकि जी सके।
भविष्य की योजना
सम्मेलन के अंत में IYC के राष्ट्रीय प्रभारी मनीष शर्मा ने बताया कि संगठन प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याओं के बीच संबंध को समझाने के लिए दिल्ली के वार्ड और कैंपस स्तर पर अभियान चलाएगा। उन्होंने कहा कि 2026 में जल, पर्वत और पेड़ के लिए जलवायु न्याय हमारी मुख्य योजना होगी।

