2D मटेरियल रेवोल्यूशन: क्या भारत वैश्विक नेताओं की बराबरी कर पाएगा?
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वैज्ञानिक विशेषज्ञता, बढ़ती औद्योगिक साझेदारियों और नई सरकारी पहलों के साथ, भारत 2D क्रांति के एक निर्णायक मोड़ पर खड़ा है। (प्रतीकात्मक चित्र)

2D मटेरियल रेवोल्यूशन: क्या भारत वैश्विक नेताओं की बराबरी कर पाएगा?

स्टील से भी मज़बूत, बाल से भी पतले — 2D पदार्थ चिप्स, बैटरी और इलेक्ट्रॉनिक्स की दुनिया बदल सकते हैं। भारत के लिए असली चुनौती है — आज के हासिल करने योग्य लक्ष्यों और कल के बड़े सपनों के बीच संतुलन बनाना।


कल्पना कीजिए, ऐसा पदार्थ जो मानव बाल से 80,000 गुना पतला, लेकिन स्टील से 200 गुना मज़बूत हो।

ये किसी विज्ञान-कथा की बात नहीं, बल्कि 2D मटेरियल्स (द्वि-आयामी पदार्थों) का वादा है।

ये अत्यंत पतली, परमाणु-स्तर की परतों वाले पदार्थ हैं जो आज पूरी दुनिया में भौतिकी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऊर्जा प्रणालियों को नया आकार दे रहे हैं।

इनकी संभावनाओं को समझने के लिए The Federal ने बात की डॉ. अभिषेक मिश्रा, प्रमुख शोधकर्ता, 2D मटेरियल्स इनोवेशन एंड रिसर्च सेंटर, IIT मद्रास से।

उन्होंने बताया कि ये पदार्थ विज्ञान और उद्योग की परिभाषा ही बदल रहे हैं।

डॉ. मिश्रा ने समझाया, “2D मटेरियल्स का मतलब है कि उनकी ऊर्ध्वाधर मोटाई बेहद कम होती है, लेकिन वे एक शीट-जैसी संरचना बनाए रखते हैं।”

“ग्रेफाइट से प्राप्त ग्रेफीन की एकल परत अब तक ज्ञात सबसे पतला प्राकृतिक पदार्थ है।”

क्या बनाता है 2D मटेरियल्स को खास?

2D मटेरियल्स

* बिजली को अत्यधिक तेजी से प्रवाहित करते हैं,

* गर्मी को अधिक कुशलता से स्थानांतरित करते हैं,

* और बिना टूटे झुक सकते हैं।

इनसे बने सुपरफास्ट ट्रांजिस्टर, लचीले इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, पारदर्शी सोलर पैनल, और मिनटों में चार्ज होने वाली अगली पीढ़ी की बैटरियाँ — भविष्य में आम हो सकती हैं।

इस यात्रा की शुरुआत 2004 में हुई, जब ब्रिटेन के वैज्ञानिक आंद्रे गीम और कॉन्स्टेंटिन नोवोसेलोव ने स्कॉच टेप की मदद से ग्रेफाइट से एक परमाणु मोटी परत अलग की थी — जिसके लिए उन्हें 2010 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार मिला।

तब से अब तक वैज्ञानिक सैकड़ों अन्य 2D पदार्थों की खोज कर चुके हैं — जैसे बोरॉन नाइट्राइड, फॉस्फोरीन आदि — जिनमें से हर एक के गुण अलग-अलग हैं।

भारत की नई पहल: इनोवेशन हब योजना

जहाँ चीन, अमेरिका और सिंगापुर जैसे देश पहले से ही 2D रिसर्च में भारी निवेश कर रहे हैं, वहीं अब भारत भी इस दौड़ में कदम रख रहा है।

भारत सरकार ने अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (Anusandhan National Research Foundation - ANRF) के तहत एक “2D मटेरियल फैब एंड इनोवेशन हब” स्थापित करने की योजना बनाई है।

“फैब” यानी ऐसा नियंत्रित केंद्र जहाँ इलेक्ट्रॉनिक चिप्स और माइक्रो-कंपोनेंट्स बनाए जाते हैं।

इस योजना का उद्देश्य है — वैज्ञानिकों और उद्योग जगत को साथ लाकर भारत की भागीदारी को वैश्विक 2D मटेरियल इकोसिस्टम में तेज़ी से आगे बढ़ाना।

हालांकि, डॉ. मिश्रा ने चेतावनी दी कि इतने बड़े देश में केवल एक हब बनाना पर्याप्त नहीं होगा।

उन्होंने कहा, “अगर कोई शोधकर्ता जम्मू से कन्याकुमारी तक कहीं भी काम कर रहा है, तो एक ही केंद्र तक पहुँचना संभव नहीं। हमें देश के अलग-अलग हिस्सों में कई हब बनाने होंगे ताकि यह वास्तव में सुलभ और प्रभावी बन सके।”

क्या 2D सिलिकॉन की जगह ले सकता है?

इस समय सिलिकॉन (Silicon) आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक्स की रीढ़ है। यह एक 3D पदार्थ है, जिसमें परमाणु सभी दिशाओं में घनीभूत रूप से जुड़े होते हैं।

इसके विपरीत, 2D मटेरियल्स समतल, बिना मोटाई वाली परतें हैं — जो मुड़ सकती हैं, पारदर्शी रह सकती हैं, और फिर भी अत्यधिक चालकता रखती हैं।

लेकिन डॉ. मिश्रा ने सिलिकॉन को जल्दबाज़ी में छोड़ने से सावधान किया। बोले, “सीधे सिलिकॉन को छोड़कर 2D मटेरियल्स पर जाना अभी बहुत महत्वाकांक्षी कदम होगा। हमें सिलिकॉन से सीखना होगा और 2D मटेरियल्स को मौजूदा CMOS तकनीकों के साथ एकीकृत करना होगा।”

हाइब्रिड दृष्टिकोण

पारंपरिक सिलिकॉन चिप्स में 2D लेयर जोड़ने का यह संयोजन भविष्य के लिए लचीले, अधिक कुशल और छोटे आकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का मार्ग खोल सकता है।

भारत के लिए आगे की राह

जहाँ वैश्विक कंपनियाँ तेजी से आगे बढ़ रही हैं, वहीं भारत अभी इस तकनीक के प्रारंभिक चरण में है।

फिर भी, डॉ. मिश्रा का मानना है कि भारत को प्रभाव डालने के लिए दशकों का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।

उन्होंने बताया,“बैटरी इलेक्ट्रोड, डिस्प्ले या एंटी-करोसिव कोटिंग जैसी लो-एंड एप्लिकेशंस में विकास समानांतर रूप से हो सकता है।”

“ये शुरुआती प्रयोग भविष्य में चिप-स्तर की उन्नत खोजों के लिए सीढ़ी का काम कर सकते हैं।”

भारत 2D क्रांति के निर्णायक मोड़ पर

वैज्ञानिक विशेषज्ञता, बढ़ती औद्योगिक साझेदारियों और नई सरकारी पहलों के साथ, भारत आज 2D तकनीक की क्रांति के एक पिवोटल मोमेंट पर खड़ा है।

सफलता की कुंजी यही है — आज के व्यावहारिक लक्ष्यों और भविष्य के भव्य सपनों के बीच संतुलन बनाना। क्योंकि 2D मटेरियल्स की दुनिया में तकनीक का भविष्य सिर्फ़ पतला या तेज़ नहीं होगा — वह होगा ‘एटॉमिक’।

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