AI एजेंट Comet से भर्ती करने वालों पर खतरा, पर्प्लेक्सिटी CEO का दावा
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पर्प्लेक्सिटी एआई के सीईओ अरविंद श्रीनिवास

AI एजेंट Comet से भर्ती करने वालों पर खतरा, पर्प्लेक्सिटी CEO का दावा

पर्प्लेक्सिटी एआई के सीईओ अरविंद श्रीनिवास का दावा है कि AI टूल 'Comet' इतनी तेज़ी से काम कर रहा है कि रिक्रूटर्स की नौकरी अब 6 महीने में खत्म हो सकती है।


कुछ नौकरियों का भविष्य अब टाइमर पर टिक-टिक कर रहा हैवो भी सिर्फ छह महीने का। पर्प्लेक्सिटी एआई के सीईओ अरविंद श्रीनिवास का मानना है कि जिस रफ्तार से एआई टूल्स विकसित हो रहे हैं, उसके चलते भविष्य में "रिक्रूटर्स" यानी भर्तीकर्ताओं की ज़रूरत ही खत्म हो सकती है।

द वर्ज के लोकप्रिय पॉडकास्ट “डिकोडर” में बातचीत के दौरान श्रीनिवास ने दावा किया कि रिक्रूटर एक हफ्ते में जो काम करता है, वो अब एक एआई प्रॉम्प्ट से हो सकता है।उनका कहना है कि एआई अब सिर्फ इंसानों को छोटे-छोटे कामों में मदद करने तक सीमित नहीं रहा, बल्कि अब ये पूरे वर्कफ़्लो को स्वतः पूर्ण रूप से संभालने की क्षमता विकसित कर चुका है।

AI एजेंट Comet है बदलाव की धुरी

इस बदलाव के केंद्र में है Perplexity का नया AI ब्राउज़र 'Comet' जो सिर्फ एक सर्च इंजन नहीं, बल्कि एक पूरी तरह से स्वतंत्र कार्य करने वाला AI एजेंट है। यह निर्देश ले सकता है, जानकारी प्रोसेस कर सकता है, और शुरू से अंत तक टास्क को पूरा कर सकता है वो भी बिना इंसानी दखल के। श्रीनिवास के मुताबिक, सबसे पहले रिक्रूटमेंट सेक्टर इस बदलाव की मार झेलेगा। क्यों? क्योंकि उम्मीदवार खोजना, लोगों से संपर्क करना, इंटरव्यू शेड्यूल करना जैसे अधिकतर कार्य एआई के लिए कहीं अधिक तेज़ और आसान हो गए हैं।

Comet क्या कर सकता है?

उदाहरण के तौर पर, Comet खुद ही स्टैनफोर्ड से पढ़े हुए इंजीनियरों की पहचान कर सकता है जो शीर्ष AI कंपनियों में काम कर चुके हों उनके LinkedIn प्रोफाइल निकाल सकता है संपर्क विवरण इकट्ठा कर सकता है और बिना इंसानी मदद के व्यक्तिगत ईमेल भेज सकता है। बात यहीं खत्म नहीं होती। Executive Assistant की नौकरी भी खतरे में है Comet आपके Gmail और Google Calendar में (आपकी अनुमति से) लॉग इन कर सकता है. मीटिंग शेड्यूल कर सकता है ईमेल फॉलो-अप कर सकता है।कैलेंडर टकराव (conflicts) सुलझा सकता है, और आपकी मीटिंग से पहले एक संक्षिप्त सारांश (briefing) भी तैयार कर सकता है।

आदेश दो, नतीजे लो

श्रीनिवास का कहना है कि यह पूरी तरह से काम करने का तरीका बदल देगा। अब इंसान ये सारे काम खुद नहीं करेंगे। बल्कि बस एआई को बताएंगे कि उन्हें क्या चाहिए, और AI उनके लिए सब कुछ करेगा।

क्रांति या संकट?

जहाँ यह तकनीक कार्यकुशलता (productivity) बढ़ाने का संकेत देती है, वहीं सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या यह एक अधिक स्मार्ट भविष्य की शुरुआत है या व्यापक बेरोज़गारी का संकेत? श्रीनिवास का उत्तर सीधा है। रिक्रूटर्स के पास अब सिर्फ छह महीने हैं, फिर एआई उनकी कुर्सी ले लेगा।

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