Jio और Airtel की मस्क की कंपनी से डील, इंटरनेट की सूरत बदलने वाली है
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Jio और Airtel की मस्क की कंपनी से डील, इंटरनेट की सूरत बदलने वाली है

पहले एयरटेल और अब रिलायंस जिओ की एलन मस्क की स्टार लिंक के साथ हुई डील आईटी सेक्टर में एक नई क्रांति लाने वाला है। भारतीयों के लिए इस डील के मायने समझिए।


जिओ और एयरटेल ने एलॉन मस्क की कंपनी स्पेस एक्स की भारत में एंट्री रोकने के लिए पहले तो आपस में हाथ मिला लिया और अब लगभग छह महीने बाद दोनों ने स्टार लिंक को भारतीय बाजार में लाने के लिए समझौता कर लिया। यानी दोनों भारतीय कंपनियां अब मस्क के स्टार लिंक का इंटरनेट भारत में बेचेंगी।

डील की राह कैसे खुली?

ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर ये सब हुआ कैसे? दोनों बड़ी भारतीय कंपनियों को अपने पहले के रुख से यूटर्न क्यों लेना पड़ा? उन्हें मस्क की कंपनी से समझौता क्यों करना पड़ा? इसकी कहानी स्टार लिंक के सैटेलाइट इंटरनेट की ताकत में ही छिपी है।

ये सब जानते हैं कि इंटरनेट भारत ही नहीं, पूरी दुनिया की एक अहम जरूरत है। हालांकि भारत के ग्रामीण और दूरदराज इलाकों में इंटरनेट सर्विस की उपलब्धता अभी भी एक बड़ी चुनौती है। नेटवर्क की समस्या से हर कोई वाकिफ है।

इसलिए स्टार लिंक के पास उस समस्या का समाधान है तो उसे रोक पाना संभव नहीं था। इसी सच्चाई ने एलॉन मस्क की कंपनी स्टार लिंक के साथ रिलायंस जिओ और एयरटेल की अलग-अलग डील के दरवाजे खोले। इस समझौते ने नई संभावनाओं के द्वार भी खोले हैं।

अब सैटेलाइट के जरिये इंटरनेट सुविधा मुहैया करवाने के लिए स्टार लिंक के भारत आने के रास्ते लगभग साफ हो गए हैं। इस डील को अभी सरकार की औपचारिक मंजूरी मिलनी बाकी है।

सैटेलाइट इंटरनेट कितने काम का?

इंटरनेट सुविधा के लिए लिहाज से यह समझौता कितना क्रांतिकारी है, इसे समझना जरूरी है। अगर ऐसा न होता तो जो बड़ी भारतीय कंपनियां जियो और एयरटेल पहले स्टारलिंक की एंट्री रोकने के लिए गोलबंदी कर रही थीं, वो उसी कंपनी से डील न करतीं।

स्टार लिंक इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर है जोकि दूरदराज के इलाकों तक हाई स्पीड इंटरनेट पहुंचाने के लिए जाना जाता है। भारत में सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस में जियो और एयरटेल की एंट्री से आम यूजर्स को काफी लाभ हो सकता है, क्योंकि इस सेक्टर में कोई एक खिलाड़ी नहीं रहेगा।

कैसे काम करता है सैटेलाइट इंटरनेट?

सैटेलाइट इंटरनेट का काम करने का तरीका भी आसान है। इसके लिए एक सैटेलाइट डिश और मॉडेम की जरूरत पड़ती है। अगर आप अपने फोन पर या अपने लैपटॉप पर कोई वेबसाइट खोलना चाहते हैं तो इसकी रिक्वेस्ट तुरंत डिश के जरिये सैटेलाइट तक पहुंचती है।

सैटेलाइट द्वारा भेजा गया डेटा यूजर्स की डिश पर आता है और फिर मॉडेम इसे डिकोड करता है और इसे यूजर्स के मोबाइल, कंप्यूटर या दूसरी डिवाइस तक पहुंचाता है।

सैटेलाइट इंटरनेट खूबी ये है कि ये बिना किसी बाधा के आप तक इंटरनेट पहुंचाएगा। जियो और एयरटेल दोनों की कोशिश होगी कि वो भारत में सबसे कम कीमत में सैटेलाइट इंटरनेट की सुविधा मुहैय्या कराएं।

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