हो जाएं सावधान! आपके लोकेशन डेटा का हो सकता है गलत इस्तेमाल, ऐसे बचें
अगर आपको भी किसी के बारे में जानकारी लेनी हो तो उसके स्मार्टफोन के लोकेशन के जरिए पता लगा सकते हैं कि वह कहां है और क्या कर रहा होगा?
Location Data: विश्व में काफी तेजी से स्मार्टफोन का चलन बढ़ रहा है. स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के जहां अपने फायदे हैं, वहीं नुकसान भी हैं. स्मार्टफोन में लोकेशन डेटा के जरिए कंपनियां आपकी जरूरत, उपस्थित होने की जगह और व्यवहार के बारे में पता लगा रही हैं और इसका इस्तेमाल अपने बिजनेस को बढ़ाने में कर रही हैं. अगर आपको भी किसी के बारे में जानकारी लेनी हो तो उसके स्मार्टफोन लोकेशन के जरिए पता लगा सकते हैं कि वह कहां है और क्या कर रहा होगा. कुल मिलाकर मोबाइल लोकेशन डेटा से यह समझने में मदद मिलती है कि वह रियल टाइम में कहां पर मौजूद है.
कंपनियां लोकेशन डेटा की मदद से लोगों की जानकारी को दूसरे आंकड़ों के साथ एनालिसिस करके बिजनेस से संबंधित समस्याओं को सुलझाने का प्रयास करती है. दुनियाभर में मोबाइल की लोकेशन डेटा काफी महत्वपूर्ण जानकारी मानी जाती है. गूगल की प्राइवेसी पॉलिसी भी कहती है कि उसकी सेवाओं का इस्तेमाल करते समय कंपनी आपकी लोकेशन डेटा का इस्तेमाल करती है.
आखिर क्या है लोकेशन डेडा?
लोकेशन डेटा का मतलब आपका स्मार्टफोन किस समय कहां पर मौजूद है, इस बात की जानकारी देता है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इंसान अपना मोबाइल फोन हमेशा साथ रखता है. ऐसे में लोकेशन डेटा की वजह से कंपनियों को लोगों की आदतों, घूमने-फिरने, खाने की जगहों और व्यवहार को समझने में मदद मिलती है.
काफी मुश्किल है लोकेशन डेटा से बचना
लोकेशन डेटा टेक्नोलॉजी से बचना आसान नहीं है. क्योंकि अधिकतर लोग इसकी सेवाएं लेते हैं. जब कोई घर से बाहर या घूमने जाता है तो वह अपने लोकेशन की जानकारी दोस्तों या परिवारजनों से शेयर करता है. कई एप का इस्तेमाल करते समय अपनी लोकेशन को शेयर करना पड़ता है. लोग सोशल मीडिया पर भी जानकारी, फोटो, वीडियो और लोकेशन शेयर करते हैं. गूगल मैप का इस्तेमाल करते समय भी आपके लोकेशन का पता चल जाता है. ऑनलाइन फूड डिलीवरी कंपनियां और ऑनलाइन टैक्सी के लिए भी लोकेशन को शेयर करना पड़ता है. इसके साथ ही बैंकिंग ऐप जैसे कि पेटीएम, गूगल पे के जरिए भी कंपनियां फोन के लोकेशन डेटा को ट्रैक करती हैं, ताकि संदिग्ध लेनदेन होने पर रोका जा सके. लेपटॉप या डेस्कटॉप पर वेबसाइट्स पर क्लिक करते ही आपका लोकेशन शेयर हो जाता है. क्रेडिट कार्ड से खरीदारी करने पर भी कंपनियां आपकी पसंद और नापसंद का अंदाजा लगा लेती हैं. ऐसे में कोई चाहकर भी अपने लोकेशन डेटा को शेयर करने से बच नहीं सकता है.
ऐसे होता है लोकेशन डेटा का इस्तेमाल
दरअसल आपके लोकेशन डेटा को कंपनियां देश और विदेश में बेच सकती हैं. इनको खरीदने में कोई भी कंपनी, जांच एजेंसियां, पुलिस, विदेशी सरकारें दिलचस्पी दिखा सकती हैं. हालांकि, कोई इंसान यह नहीं जान सकता है कि उसका डेटा दुनिया भर में कहां-कहां फैला हुआ है. वहीं, हमेशा इस बात का भी अंदेशा लगा रहता है कि यह डेटा गलत हाथों में चला गया तो नुकसान भी उठाना पड़ सकता है. ऐसे में कहा जा सकता है कि लोकेशन डेटा का शेयर होना प्राइवेसी के लिए बहुत बड़ा खतरा है.
मोबाइल फोन/कंप्यूटर पर लोकेशन डेटा शेयरिंग को ऐसे करें कंट्रोल
लोकेशन डेटा को डिवाइस की सेटिंग्स में जाकर कंट्रोल किया जा सकता है. सेटिंग्स में जाने के बाद आपको यह ऑप्शन मिलता है कि कोई कंपनी आपकी सही लोकेशन जान सकती है या अनुमानित लोकेशन. इसके साथ ही यह भी कंट्रोल किया जा सकता है कि कोई एप आपकी लोकेशन को कब देख सकती है. क्योंकि अक्सर हम एप्स का इस्तेमाल करते समय जल्दबाजी में लोकेशन वाले ऑप्शन पर क्लिक कर लेते हैं. लेकिन जब भी आप कोई एप खोलें तो उसमें हमेशा, केवल अभी या इस्तेमाल करते समय लोकेशन शेयरिंग में से किसी एक का चुनाव करें.