नीट परीक्षा में गड़बड़झाले पर मोदी क्यों हैं चुप, कांग्रेस का सीधा सवाल
नीट एग्जाम को लेकर केंद्र सरकार पर विपक्ष पहले से ही निशाना साधा रहा है. गोधरा में नीट सेंटर के जरिए गड़बड़झाला के आरोपों के बीच कांग्रेस ने नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है.
Mallikarjun Kharge on Neet Paper: नीट परीक्षा मुद्दे पर सरकार पर हमला तेज करते हुए कांग्रेस ने शुक्रवार को इस मामले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘‘चुप्पी’’ पर सवाल उठाया और कहा कि केवल उच्चतम न्यायालय की निगरानी में फोरेंसिक जांच ही लाखों युवा छात्रों के भविष्य की रक्षा कर सकती है।कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दावा किया कि मोदी सरकार ने शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) के माध्यम से "नीट घोटाले को ढंकना" शुरू कर दिया है।
खड़गे ने कहा, "इससे क्या निष्कर्ष निकलता है? क्या मोदी सरकार देश के लोगों को पहले बेवकूफ बनाने की कोशिश कर रही थी या अब? मोदी सरकार ने 24 लाख युवाओं की आकांक्षाओं को कुचल दिया है।"उन्होंने कहा कि चौबीस लाख युवा डॉक्टर बनने के लिए नीट परीक्षा में बैठते हैं और एक लाख मेडिकल सीटों के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करते हैं।कांग्रेस प्रमुख ने आरोप लगाया, "इन एक लाख सीटों में से करीब 55,000 सीटें सरकारी कॉलेजों में हैं जहां एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस श्रेणियों के लिए सीटें आरक्षित हैं। इस बार मोदी सरकार ने एनटीए का दुरुपयोग किया है और अंकों और रैंक में बड़े पैमाने पर धांधली की है, जिसके कारण आरक्षित सीटों के लिए कटऑफ भी बढ़ गया है।"
पेपर लीक और धांधली का खेल
खड़गे ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि मेधावी छात्रों को रियायती दरों पर सरकारी प्रवेश पाने से वंचित करने के लिए ग्रेस मार्क्स, पेपर लीक और धांधली का खेल खेला गया।कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा।उन्होंने हिंदी में लिखे एक पोस्ट में कहा, "नई भाजपा सरकार ने शपथ लेते ही फिर से युवाओं के सपनों पर हमला करना शुरू कर दिया है। नीट परीक्षा परिणामों में अनियमितताओं पर शिक्षा मंत्री का अहंकारी जवाब 24 लाख छात्रों और उनके अभिभावकों की चीख-पुकार को पूरी तरह से नजरअंदाज करता है।"उन्होंने पूछा कि क्या शिक्षा मंत्री सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध तथ्यों को नहीं देखते?
प्रियंका गांधी ने कहा, "क्या सरकार बिहार और गुजरात में पुलिस की कार्रवाई और पकड़े गए रैकेट को भी झूठ मानती है? क्या यह भी झूठ है कि 67 टॉपर्स को पूरे अंक मिले? सवाल यह है कि लाखों युवाओं और उनके अभिभावकों की अनदेखी करके सरकार सिस्टम में किसे बचाना चाहती है?"उन्होंने कहा कि क्या युवाओं के सपनों को इस भ्रष्ट परीक्षा प्रणाली की बलि चढ़ना बंद नहीं होना चाहिए?प्रियंका गांधी ने कहा, "क्या यह सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि वह छात्रों और अभिभावकों की अनदेखी करने के बजाय शिकायतों को गंभीरता से देखे और कार्रवाई करे? भाजपा सरकार को अपना अहंकार त्यागकर युवाओं के भविष्य के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए और परीक्षाओं में भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम उठाने चाहिए।" कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री मोदी हमेशा मूकदर्शक नहीं बने रह सकते। जब 24 लाख युवाओं का भविष्य दांव पर है तो वह चुप क्यों हैं?"खेड़ा ने पूछा कि मोदी सरकार और एनटीए ने इस वर्ष रैंक के मुकाबले अंकों को क्यों बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।उन्होंने कहा, "अगर मोदी सरकार दावा करती है कि पूरी परीक्षा प्रक्रिया पारदर्शी है तो एनटीए को पिछले साल और इस साल 580 से अधिक अंक लाने वाले छात्रों का पूरा परिणाम सार्वजनिक करना चाहिए। 580 से अधिक अंक लाने वाले छात्रों के केंद्रों को भी सार्वजनिक किया जाना चाहिए ताकि पता चल सके कि कितने छात्र नीट परीक्षा देने के लिए अपने स्थान से दूर आए हैं।"
केंद्र और एनटीए ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उन्होंने एमबीबीएस और अन्य ऐसे पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए परीक्षा देने वाले 1,563 उम्मीदवारों को दिए गए अनुग्रह अंक रद्द कर दिए हैं।केंद्र ने कहा था कि उनके पास या तो दोबारा परीक्षा देने या समय की हानि के लिए दिए गए क्षतिपूर्ति अंकों को छोड़ने का विकल्प होगा।