शाह का जीरो टेरर प्लान, लेकिन आतंकियों के निशाने पर क्यों है जम्मू रीजन
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शाह का जीरो टेरर प्लान, लेकिन आतंकियों के निशाने पर क्यों है जम्मू रीजन

हाल ही में जम्मू में आतंकी हमले के संबंध में दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हुई. इस बैठक में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि हमें लीक से हटकर तरीकों को अपनाना होगा.


Jammu Kashmir Terrorism: तारीख 9 जून 2024, शाम का वक्त था. राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी तीसरी दफा पीएम पद की शपथ ले चुके थे. दिल्ली से करीब 700 किमी दूर रियासी में आतंकी एक तीर्थयात्रियों से भरी बस को निशाना बनाते हैं. उस आतंकी वारदात में 9 लोगों की मौत हो जाती है. 9 जून के बाद अगले तीन दिन जम्मू के अलग अलग जैसे कठुआ और डोडा में भी आतंकी हमला होता है. कुछ दहशतगर्द मारे भी जाते हैं. इन सबके बीच विपक्ष ने जमकर हल्ला मचाया कि सरकार की नाकामी का नतीजा है. देश की सीमाएं सुरक्षित नहीं है, हालांकि गृहमंत्री अमित शाह ने कहा जिसने यह नापाक हरकत की है उसे बख्शेंगे नहीं. इस संबंधन में नॉर्थ ब्लॉक में उच्च स्तरीय बैठक हुई. इसमें अमरनाथ यात्रा की तैयारियों को लेकर भी समीक्षा हुई.



टेरर के खिलाफ जंग में बदलना होगा तरीका
नॉर्थ ब्लॉक की उच्च स्तरीय बैठक में जब बड़े बड़े अधिकारी मौजूद थे तो जाहिर सी बात थी कि कुछ बड़ी जानकारी भी सामने आती. गृहमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि नए तरीकों से आतंकियों की कमर की रीढ़ तोड़ देंगे. उन्होंने कहा कि जिन इलाकों से आतंकियों का सफाया हो चुका है वहां हमे किसी भी सूरत में आतंकियों को सक्रिय नहीं होने देना है. यही नहीं जम्मू रीजन में भी जीरो टेरर प्लान पर काम करने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि पहले आतंकी व्यवस्थित तरीके से हमले किया करते थे. लेकिन अब यह लगभग प्राक्सी वॉर हो गया है.
पीर पंजाल के दक्षिण में आतंकी क्यों हो रहे हैं सक्रिय
अब सवाल यह है कि आतंकी अब कश्मीर घाटी की जगह जम्मू को निशाना क्यों बना रहे हैं. इस सवाल के जवाब में जानकार बताते हैं कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद और उससे पहले नोटबंदी वजह से घाटी में आतंक को काबू करने में मदद मिली. घाटी के अंदर आतंकियों के जितने भी खैरख्वाह थे उनकी कमर टूट गई. जिस तरह से पत्थरबाजी पर लगाम लगी उससे धीरे धीरे आतंकियों की कमर टूटने लगी. यहां पर आप को गृहमंत्री अमित शाह की एक बात याद होगी. संसद में कहा था कि पहले जो आतंकी मारे जाते थे उनका महिमामंडन घाटी में होता था. लेकिन सरकार ने फैसला किया कि जो आतंकी जिस जगह पर मुठभेड़ में मारा जाएगा उसे वहीं धार्मिक रीति रिवाजों के साथ उसे वहीं दफ्न कर दिया जाएगा और उसका असर दिखाई भी दिया. हम निश्चित तौर पर आतंकियों की कमर तोड़ने में कामयाब रहे हैं.
इसके साथ ही जानकार यह भी कहते हैं कि जब घाटी में सख्ती बढ़ गई. सुरक्षा बलों से आतंक के गढ़ों से आतंकियों को सफाया कर दिया उसके बाद पाकिस्तान में हलचल मची. आईएसआई और उसके संरक्षण में पले बढ़े आतंकी तंजीमों ने रणनीति में बदलाव किया और अब वो पीरपंजाल के दक्षिण इलाकों को निशाना बना रहे हैं, रियासी, कठुआ और डोडा में हाल में आतंकी हमले उदाहरण है. ऐसे में जाहिर सी बात है कि ना सिर्फ सुरक्षा बलों और सिविल प्रशासन को अपनी रणनीति में बदलाव करना होगा ताकि आतंकियों के लिए ये इलाके शरणगाह ना बन सके.
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