बागी बलिया के दिल में क्या है, पूर्व पीएम के बेटे लड़ रहे हैं चुनाव
2019 के आम चुनाव में बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त ने समाजवादी पार्टी को हराया था. हालांकि इस दफा बीजेपी ने पूर्व पीएम चंद्रशेखर के बेटे नीरज शेखर को टिकट दिया है.
आम चुनाव के सातवें चरण में पूर्वांचल में चुनाव होना है. यहां पूर्वांचल का मतलब यूपी का पूर्वी हिस्सा.इस हिस्से में वाराणसी, आजमगढ़ और गोरखपुर मंडल में वोटर्स अपने मत का इस्तेमाल करेंगे. लेकिन यहां हम एक खास सीट बलिया की करेंगे. बलिया की पहचान बागी और बगावत से है. इस जिले की खासियत लीक से हट कर कुछ काम करने की रही है. 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में इस जिले की खास भूमिका थी.औद्योगिक तौर पर यह जिला पिछड़ा भले ही हो लेकिन राजनीतिक चेतना में पीछे नहीं रहा. इस धरती से चंद्रशेखर राष्ट्रीय फलक पर युवा तुर्क के नाम से जाने गए. देश के प्रधानमंत्री बने. हम यहां पर उनके बेटे नीरज शेखर की बात करेंगे जो चुनावी मैदान में हैं.
नीरज शेखर की राह में कितनी मुश्किल
बलिया के बारे में कहावत है कि जो लोग सोचते हैं काम उससे थोड़ा हटकर करते हैं. यूपी की जातीय राजनीति से यह जिला भी अछूता नहीं है. अब जाति की गांठ इतनी मजबूत हो तो स्वाभाविक है कि नेताओं की राजनीति भी उसके आस पास घूमती रहती है. अब ऐसी सूरत में सामान्य संभावना यही है कि जीत उसी की होगी जिसके पास जाति की ताकत हो. जाति की गोलबंदी हो. यानी कि चुनावी नतीजों में कहीं न कहीं जाति का फैक्टर आ जाता है. अगर पिछले चुनाव की बात करें तो बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे को चुनाव हराने में कामयाब हुए थे. बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी इजाफा हुआ था. क्या इस दफा भी कुछ वैसा ही होगा. इसे समझने के लिए बलिया लोकसभा की विधानसभाओं के साथ जातीय समीकरण पर भी नजर डालना होगा.
बलिया लोकसभा में कुल पांच विधानसभाएं बलिया नगर,फेफना, बैरिया और गाजीपुर जनपद की दो विधानसभा मोहम्मदाबाद और जहूराबाद सीट हैं. इनमें से तीन सीटों पर सपा का कब्जा है. बलिया की बैरिया, फेफना औरा गाजीपुर के मोहम्मदाबाद सीट पर सपा की जीत हुई थी. जबकि जहूराबाद सीट सुभासपा और बलिया नगर की सीट बीजेपी के खाते में गई थी. अगर विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखें तो सपा की बढ़त है.इस हिसाब से लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का पलड़ा भारी मान सकते हैं.
अब एक नजर डालते हैं जातीय समीकरण पर
- ब्राह्मण- 15 फीसद
- क्षत्रिय- 13 फीसद
- भूमिहार- 8 फीसद
- यादव- 12 फीसद
- मुसलमान- 8 फीसद
- एसटी- 2.5
- एससी-15.5
क्या है सियासी राय
बलिया के स्थानीय पत्रकार गौरी शंकर कहते हैं कि इस दफा लड़ाई दिलचस्प है. यहां के ब्राह्मण उम्मीदवारों में एक धारणा बन रही है कि ब्राह्मणों को अच्छी खासी आबादी के बाद भी कोई उम्मीदवार जीत नहीं सका. लिहाजा उनका मूड समाजवादी पार्टी के सनातन पांडे की तरफ है. क्योंकि सपा का मुस्लिम यादव गठजोड़ भी मदद कर सकता है. वो 2019 के नतीजों का जिक्र करते हुए कहते हैं उस चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार की जीत तो हुई लेकिन सपा के सनातन पांडे भी पीछे नहीं रहे. बीजेपी के वीरेंद्र सिंह मस्त महज 15 हजार वोटों से ही चुनाव जीत सके. हालांकि आप यह कह सकते हैं कि इस दफा सपा के साथ बीएसपी नहीं है और उसका फायदा बीजेपी के नीरज शेखर को मिल सकता है.