स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका ख़ारिज
x

स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका ख़ारिज

तीस हजारी अदलत में पूरी हुई सुनवाई. बिभव कुमार, स्वाति मालीवाल और दिल्ली पुलिस की तरफ से अदालत के सामने रखा गया पक्ष. दिल्ली पुलिस ने कहा कि इस स्टेज पर बिभव को न दी जाए जमानत, वो एक प्रभावशाली व्यक्ति है


Swati Maliwal assault case:

आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका को अदालत ने खारिज कर दी है. इसे न केवल बिभव कुमार के लिए बल्कि मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. बता दें कि बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई दोपहर लगभग डेढ़ बजे पूरी हो गयी थी. बिभव कुमार, दिल्ली पुलिस और स्वाति मालीवाल का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने 4 बजे के लिए फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. खासबात ये है कि इस इस सुनवाई के दौरान पीड़ित स्वाति मालीवाल भी कोर्ट रूम के अंदर मौजूद रहीं. एक बार ऐसा भी देखने को मिला कि बचाव पक्ष (बिभव कुमार) की दलील सुनकर स्वाति मालीवाल की आँखों में आंसू भी आ गये लेकिन उन्होंने खुद को संभाला. अदालत में सुनवाई लगभग 2 से ढाई घंटे तक चली इस दौरान न केवल बचाव पक्ष की तरफ से दलील दी गयी बल्कि पुलिस और स्वाति मालीवाल की तरफ से भी उनके वकीलों ने अपनी अपनी दलील अदालत के सामने रखीं.

सुबह लगभग 11 बजे शुरू हुई सुनवाई

स्वाति मालीवाल के साथ कथित मारपीट के आरोपी बिभव कुमार की जमानत याचिका पर सुनवाई सुबह लगभग 11 बजे शुरू हुई. इस दौरान बचाव पक्ष की तरफ से वकील हरिहरन पेश हुए. उन्होंने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कहा कि आरोप में सत्यता नहीं है. उन्होंने स्वाति मालीवाल को लेकर कहा कि वो मुख्यमंत्री आवास पर बगैर किसी अपॉइंटमेंट के पहुंची थीं और लगातार बिभव को लेकर पूछती भी रहीं. वो पहले से ही कुछ सोच कर आयीं थीं. अपनी दलील के दौरान अदालत के सामने मुख्यमंत्री आवास का विडियो भी दिखाया गया . विडियो में स्वाति मालीवाल मुख्यमंत्री आवास से बहार निकलती दिख रही हैं. इस दौरान वकील हरिहरन ने मालीवाल द्वारा दर्ज करायी एफआईआर के सन्दर्भ में भी दलील दी और कहा कि एफआईआर दर्ज कराने में 3 दिन का समय क्यों लिया गया.

रो पड़ी मालीवाल

बिभव कुमार के वकील की इन दलीलों को सुनकर और विडियो को देख कर स्वाति मालीवाल कोर्ट रूम में ही रो पड़ी. फिर खुद को संभाला और अदालत में चल रही सुनवाई को सुनने लगी.

बिभव के वकील ने कहा की सांसद होने का ये मतलब नहीं की कुछ भी करने की छूट है


बिभव के वकील हरिहरन ने कोर्ट को बताया कि सीसीटीवी फुटेज पुलिस ने बरामद कर लिया है. किसी तरह का कोई छेड़छाड़ का सवाल ही नहीं उठता. जब से इस मामले की शुरुआत हुई है तभी से बिभव कुमार पुलिस जाँच के लिए उपलब्ध रहा है. हरिहरन ने अदालत के समक्ष कहा कि स्वाति मालीवाल एक सांसद हैं तो क्या इसका मतलब ये है कि उन्हें कुछ भी करने की छूट है. जब स्वाति मालीवाल से अपॉइंटमेंट न होने की बात कही तो स्वाति मालीवाल ने कहा कि "सांसद को इंतजार करवाओगे"?

स्वाति मालीवाल इस तरह की बात करके उकसाने का काम आकर रहीं थीं. उनके पास मुख्यमंत्री से मिलने का अपॉइंटमेंट नहीं था. यही बात जब उनसे पूछी कि आपको किसने मिलने के लिए बुलाया? तो वो बिफर पड़ी. ऐसा लगता है कि वो पहले से कोई इरादा करके मुख्यमंत्री आवास पर आयीं थीं.

वकील हरिहरण ने अदालत को बताया कि स्वाति मालीवाल के पास कोई अपॉइंटमेंट नहीं था. सुरक्षा कर्मियों ने भी उन्हें इस बात को लेकर टोका था. स्वाति मालीवाल लगातार सुर्काक्षा कर्मियों से बिभव को लेकर पुच रही थीं. बार बार कह रही थीं कि बिभव से बात की.

सवाल ये है कि आखिर स्वाति मालीवाल को किसने बुलाया था? वो जबरन अन्दर घुसीं चली आयीं. ये सीधे सीधे ट्रेसपास(अतिक्रमण) का मामला है. विडम्बना ये है कि पुलिस एफआईआर हमारे ही खिलाफ दर्ज की है. ये किस तरह की जाँच है.

सबसे बड़ी बात ये है कि स्वाति मालीवाल जिस दिन अपने साथ मारपीट होने की बात कहतीं हैं लेकिन उस दिन पुलिस में शिकायत नहीं देती. 3 दिन बाद वो एफआईआर दर्ज करवाती हैं. पुलिस उनकी एमएलसी नजदीक के अस्पताल में न करा कर एम्स अस्पताल में करवाती है.

बचाव पक्ष की तरफ से ये कहा गया कि ये अदालत बिभव को जमानत दे सकती है. बिभव पूरी तरह से पुलिस को सहयोग कर रहा है. इस मामले में आरोप सही नहीं हैं.

पुलिस ने क्या दलील दी

दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष कहा कि स्वाति मालीवाल मौजूदा सांसद हैं. वो दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष रह चुकी हैं. खुद मुख्यमंत्री केजरीवाल ने उन्हें लेडी सिंग्हम कहा था. पीड़ित ने अपनी शिकायत में ये आरोप लगाया है कि तरह से आरोपी ने उनके साथ मारपीट की उसकी वजह से उनके कपड़े के बटन टूट गए. दिल्ली पुलिस ने कहा कि क्या स्वाति मालीवाल बिभव कुमार की छवि ख़राब करेंगी, जो सीएम का परमानेंट एम्प्लोयी भी नहीं है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या अपनी पार्टी के मुखिया के यहाँ जाने के लिए बिभव सर की इजाजत लेनी जरुरत है? ये तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे वाली बात हो गयी.

दिल्ली पुलिस ने कहा कि विभव के फोन की जांच इसलिए जरुरी है क्योंकि ये जानना है कि वो किस किस से बात करता था. कुछ समय पहले ही बिभव की सेवाएं समाप्त कर डी गयीं थीं. सेवा समाप्त होने के बाद भी वो सीएम हाउस में कैसे काम कर रहा था. हमें शक है कि सीएम हाउस के कुछ वीडियो डिलीट किये गए हैं. बिभव जब मुख्यमंत्री के साथ मुंबई गया तो उसने वहां जान बुझ कर अपना फोन फॉर्मेट किया. फॉर्मेट करने से उसने बैकअप तैयार किया जाता है. बिभव ने अभी तक भी अपने फोन का पासवर्ड हमें नहीं बताया है.


प्रभावशाली व्यक्ति है बिभव

दिल्ली पुलिस ने अदालत के समक्ष ये भी कहा कि बिभव एक प्रभावशाली व्यक्ति है. केस जी जो स्टेज है , अगर इस स्टेज पर उसे ज़मानत दी जाती है, तो वो सबूतों को प्रभावित कर सकता है.



स्वाति मालीवाल के वकील ने अदालत में क्या कहा

स्वाति मालीवाल की तरफ से अदालत में अपना पक्ष रखते हुए ये कहा कि जैसे ही मैंने एफआईआर दर्ज करायी, वैसे ही आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं और दिल्ली सरकार में उनके मंत्रियों ने मुझ पर हमले बोलने शुरू कर दिए. मेरे खिलाफ एक दिन में तीन - तीन चार - चार बार प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुझे बीजेपी का एजेंट बताया गया. इस मामले के बावजूद भी मुख्यमंत्री बिभव को अपने साथ लखनऊ, मुंबई लेकर गए. स्वाति मालीवाल ने कोर्ट में कहा इनके पास ट्रोलिंग की फ़ौज है, स्वाति मालीवाल ने अदालत के सामने ये भी कहा कि आप के बड़े नेता की तरफ से कहा गया है कि जो स्वाति मालीवाल के साथ या समर्थन में बोलेगा उसको बक्शा नहीं जाएगा. स्वाति मालीवाल ने कोर्ट में कहा कि अगर बिभव को ज़मानत दी गई, तो मुझको और मेरे परिवार को जान का खतरा हो सकता है. मेरे पास गाड़ी नहीं है. रिश्तेदार की गाड़ी से अपना बयान दर्ज कराने के लिए गई. उस गाड़ी को फोकस किया गया.

स्वाति मालीवाल ने ये भी कहा कि बिभव अब सरकार की तरफ से मुख्यमंत्री का पीएस नहीं है लेकिन इसके बावजूद भी उसे सुविधाएँ दी जा रही हैं.

Read More
Next Story