बूथवार क्यों नहीं बता सकते वोटिंग प्रतिशत,  EC ने बताया ए बी सी डी
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बूथवार क्यों नहीं बता सकते वोटिंग प्रतिशत, EC ने बताया ए बी सी डी

चुनाव आयोग का कहना है कि बूथ वाइज वोटर टर्न आउट के बारे में बताने से अव्यवस्था फैलेगी. बता दें कि कुछ संस्थाओं ने वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी पर संदेह जताया है.


Loksabha Election 2024 Voter Turnout News: आम चुनाव 2024 के पहले और दूसरे चरण के चुनाव संपन्न हो चुके थे.चुनाव आयोग ने 61 फीसद के करीब मतदान प्रतिशत बताया था. लेकिन सात से आठ दिन के बाद जब फाइनल डेटा पेश किया तो मत प्रतिशत 66 से 67 प्रतिशत पर पहुंच गये. विपक्षी दलों ने हल्ला भी मचाया कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हो रहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी लगाई. जिस पर बुधवार को सुनवाई हुई थी. आयोग ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा है कि केन्द्रवार मतदाता प्रतिशत के आंकड़ों का खुलासा करने से चुनाव मशीनरी में अव्यवस्था पैदा होगी. निर्वाचन आयोग ने उन आरोपों को भी झूठा और भ्रामक बताकर खारिज कर दिया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में मतदान के दिन जारी मतदाता मतदान के आंकड़ों और उसके बाद दोनों चरणों के लिए जारी प्रेस विज्ञप्तियों में पांच-छह प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई थी.

'अंधाधुंध खुलासे से फैल सकती है अव्यवस्था'

चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17 सी जो मतदान केंद्र में डाले गए मतों की संख्या बताता है. उसके बारे में सार्वजनिक पोस्टिंग वैधानिक ढांचे में उपलब्ध नहीं है और इससे गड़बड़ी हो सकती है तथा पूरे चुनावी क्षेत्र में अशांति फैल सकती है. इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है. चुनाव आयोग ने यह बात एक गैर सरकारी संगठन की याचिका के जवाब में दायर हलफनामे में कही. अर्जी में चुनाव आयोग को लोकसभा चुनाव के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे के भीतर मतदान केंद्रवार मतदाता मतदान के आंकड़े अपनी वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. चुनाव आयोग ने अपने 225 पन्नों के हलफनामे में कहा कि यह यदि याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई राहत की अनुमति दी जाती है, तो यह न केवल उपरोक्त कानूनी स्थिति के खिलाफ होगा, बल्कि चुनाव मशीनरी में भी अराजकता पैदा करेगा.

'मतदान प्रतिशत पर झूठे आरोप'

इसमें कहा गया है कि याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स एक भी उदाहरण का उल्लेख करने में नाकाम रहा है जहां उम्मीदवारों या मतदाताओं ने 2019 में लोकसभा चुनाव के संबंध में याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए आरोपों के आधार पर चुनाव याचिका दायर की थी. इसमें कहा गया है कि यह संकेत करता है कि मुख्य याचिका के साथ-साथ वर्तमान आवेदन में याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए मतदाता मतदान डेटा में विसंगतियों का आरोप भ्रामक, झूठा और केवल संदेह पर आधारित है. चुनाव आयोग ने कहा कि फॉर्म 17 सी के संबंध में कानूनी व्यवस्था इस मायने में अजीब है कि यह पोलिंग एजेंट को मतदान के अंत में फॉर्म 17सी की एक प्रति प्राप्त करने के लिए अधिकृत करता है. लेकिन याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई प्रकृति का सामान्य खुलासा नहीं करता. वैधानिक ढांचे में .यह साफ साफ लिखा है कि फॉर्म 17 सी का संपूर्ण खुलासा पूरे चुनावी क्षेत्र को नुकसान पहुंचाने और बिगाड़ने के लिए जिम्मेदार हो सकता है. फिलहाल, मूल फॉर्म 17 सी केवल स्ट्रॉन्ग रूम में उपलब्ध है और इसकी एक प्रति केवल मतदान एजेंटों के पास है जिनके हस्ताक्षर हैं.

'फॉर्म 17C की कॉपी दूसरी संस्था को नहीं दे सकते

चुनाव आयोग ने कहा कि वेबसाइट पर अंधाधुंध खुलासा और सार्वजनिक पोस्टिंग से छवियों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है, जिसमें मतगणना परिणाम भी शामिल हैं, जो पूरी चुनावी प्रक्रिया में व्यापक सार्वजनिक असुविधा और अविश्वास पैदा कर सकता है. याचिकाकर्ता ने विशेष रूप से लोकसभा, 2024 के चल रहे आम चुनावों के पहले दो चरणों के संबंध में उत्तर देने वाले प्रतिवादी द्वारा प्रकाशित मतदान आंकड़ों पर भरोसा किया है और आरोप लगाया है कि वहां मतदान के दिन जारी किए गए मतदाता मतदान के आंकड़ों और उसके बाद दोनों चरणों में से प्रत्येक के लिए प्रेस विज्ञप्ति में पांच-छह प्रतिशत की वृद्धि हुई थी. इस संबंध में, यह प्रस्तुत किया गया है कि उपरोक्त आरोप भ्रामक और निराधार है.

याचिका में क्या कहा गया

17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने गैर सरकारी संगठन की याचिका पर चुनाव आयोग से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा था. जिसमें प्रत्येक चरण के मतदान की समाप्ति के 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर मतदान केंद्र-वार मतदाता मतदान डेटा अपलोड करने का निर्देश देने की मांग की गई थी. एडीआर ने अपनी 2019 की जनहित याचिका में एक अंतरिम आवेदन दायर किया था जिसमें चुनाव पैनल को निर्देश देने की मांग की गई थी कि सभी मतदान केंद्रों के फॉर्म 17 सी भाग- I (रिकॉर्ड किए गए वोटों का खाता) की स्कैन की गई प्रतियां मतदान के तुरंत बाद अपलोड की जाएं. इसमें कहा गया कि याचिका यह सुनिश्चित करने के लिए दायर की गई थी कि चुनावी अनियमितताओं से लोकतांत्रिक प्रक्रिया प्रभावित न हो.

चुनाव आयोग ने 30 अप्रैल को 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले दो चरणों के लिए मतदान के आंकड़ों को प्रकाशित किया था.( पहला चरण 19 अप्रैल और दूसरा चरण 26 अप्रैल को हुआ था).याचिका में कहा गया कि चुनाव आयोग ने जो डेटा पेश किया है उसमें वोट प्रतिशत में 5 से 6 फीसद तक की बढ़ोतरी है. याचिका में कहा गया है कि अंतिम मतदान प्रतिशत डेटा जारी करने में जरूरत से अधिक देरी की गई जिसकी वजह से शक होना लाजिमी है. हालांकि आयोग ने इस तरह के तर्क को बेबुनियाद बताया.

(एजेंसियों से इनपुट के साथ)

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