फैजाबाद लोकसभा सीट: बीजेपी का बिगड़ सकता है चुनावी गणित
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फैजाबाद लोकसभा सीट: बीजेपी का बिगड़ सकता है चुनावी गणित

अयोध्या और उसके आसपास के चार विधानसभा क्षेत्रों से बने फैजाबाद लोकसभा सीट में बीजेपी के राम मंदिर के मुद्दे पर लोगों की मौन प्रतिक्रिया मिल रही है.


Faizabad Lok Sabha Seat: राम मंदिर का अभिषेक भाजपा के मौजूदा लोकसभा चुनावों का मूलमंत्र है. लेकिन 'राम नगरी' अयोध्या और उसके आसपास के चार विधानसभा क्षेत्रों से बने फैजाबाद लोकसभा सीट में बीजेपी के इस मुद्दे पर लोगों की मौन प्रतिक्रिया मिल रही है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि राम मंदिर अयोध्या और फैजाबाद के अन्य हिस्सों के लोगों में गर्व और उल्लास पैदा नहीं करता है और साल 2014 से फैजाबाद से भाजपा सांसद और उम्मीदवार लल्लू सिंह को तीसरी बार जिताने में राम मंदिर का मुद्दा अहम भूमिका निभा सकता है. वहीं, इस बार लोग राम मंदिर के साथ बढ़ती कीमतों और बेरोजगारी पर भी बात कर रहे हैं. जो बीजेपी की वोट बैंक में सेंध लगा सकता है. बता दें कि फैजाबाद लोकसभा सीट में पांचवें चरण के तहत 20 मई को मतदान होना है.

इस बार समाजवादी पार्टी कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. ऐसे में सपा ने सामान्य फैजाबाद सीट में अपने प्रमुख दलित नेता और नौ बार के विधायक औधेश प्रसाद को मैदान में उतारा है. इस सामान्य सीट से दलित उम्मीदवार को टिकट देना सपा के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है. फैजाबाद के अलावा सपा ने भाजपा की मेनका गांधी के खिलाफ सुल्तानपुर की सामान्य सीट से एक और दलित उम्मीदवार राम भुआल निषाद को मैदान में उतारा है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि राम पर बहुत राजनीति हो गई, मंदिर के मुद्दे पर कितने चुनाव हो गए, अब बन गया ना, अब तो हमारी बात होनी चाहिए. मंदिर के उद्घाटन के बाद दो महीनों में अयोध्या के दुकानदारों ने व्यापार में जो बढ़ोतरी देखी थी, वह अब कम होने लगी है. मंदिर ने "नई चुनौतियों" को जन्म दिया है. प्रशासन ने आवाजाही पर इतनी पाबंदियां लगा दी हैं कि तीर्थयात्रियों की संख्या में लगातार गिरावट जारी है. कुछ दिनों के अंतराल में कोई न कोई वीवीआईपी मंदिर में आता है और सब कुछ रुक जाता है.

लोगों का कहना है कि अयोध्या में सबसे महत्वपूर्ण त्योहार राम नवमी है और उस दौरान एक बड़ा मेला लगता है, जिसके लिए आसपास के सभी जिलों से राम भक्त आते हैं. मंदिर बनने से पहले दुकानदारों को मेले से एक सप्ताह के दौरान दो से तीन महीने की आय के बराबर आमदनी हो जाती थी. लेकिन इस बार यह एक फ्लॉप शो रहा. केवल राजनेता और वीवीआईपी ही आये. जबकि आम जनता पर प्रतिबंध लगा दिया गया और हर दुकानदार को भारी नुकसान हुआ. फ़ैज़ाबाद में हिंदी दैनिक जन मोर्चा के संपादक सुमन गुप्ता ने द फ़ेडरल को बताया कि राम मंदिर के खुलने से निश्चित रूप से भाजपा को चुनावी मदद मिलेगी. हालांकि, फ़ैज़ाबाद इससे अधिक फायदा नहीं होने वाला है. जिस तरह से परिसर का निर्माण, आसपास के क्षेत्रों का भूनिर्माण और शहर का पुनर्विकास किया गया, उससे कई स्थानीय लोग नाखुश हैं. कम मुआवज़ा या मुआवज़े के भुगतान में देरी लोगों की शिकायत बनी हुई है. अब एक नया डर है कि राम पथ और अन्य सड़कों के विस्तार से घरों और दुकानों के विनाश की दूसरी लहर पैदा हो जाएगी. लोगों की इन चिंताओं का राज्य प्रशासन पर्याप्त रूप से समाधान नहीं कर रहा है.

उन्होंने कहा कि भाजपा को अयोध्या में भारी चुनावी नुकसान नहीं होगा. जो दुकान के मालिक वर्तमान में असंतोष जाहिर कर रहे हैं, वह आखिरकार लल्लू सिंह को ही वोट देंगे. क्योंकि वे लोग जानते हैं कि बिजली, पानी की आपूर्ति और नागरिक सुविधाओं जैसी रोजमर्रा के मुद्दों के लिए उन्हें अभी भी भाजपा के नेतृत्व वाले प्रशासन के पास ही जाना होगा. फैजाबाद में असली मुकाबला अयोध्या विधानसभा क्षेत्र में नहीं, बल्कि दरियाबाद, रुदौली, मिल्कीपुर और बीकापुर में है. इन क्षेत्रों में भाजपा के खिलाफ जनता में काफी अधिक गुस्सा है.

वहीं, एक लड़की ने द फेडरल को बताया कि साल 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को वोट दिया. क्योंकि परिवार में हर कोई भाजपा का समर्थन करता है. लेकिन इस बार हम सभी सपा उम्मीदवार को वोट देने जा रहे हैं. मेरे पिता एक गन्ना किसान हैं. उनके पास छोटी जोत है और उन्हें भारी कर्ज चुकाना है. मेरे चार भाई-बहन हैं और हममें से तीन ने स्नातक की पढ़ाई की है. लेकिन अब कोई नौकरी नहीं मिली है. पिछले दो वर्षों में यूपी लेखपाल परीक्षा के साथ-साथ आरओ-एआरओ परीक्षा की तैयारी की थी, लेकिन अंतिम समय में दोनों परीक्षा रद्द कर दी गई. क्योंकि परीक्षा के पेपर "लीक" हो गए थे. उन दोनों परीक्षाओं की तैयारी के लिए मेरे पिता ने लगभग एक लाख रुपये उधार लिए, ताकि मैं ट्यूशन ले सकूं; वह पैसा बर्बाद हो गया है. लेकिन कर्ज तो चुकाना ही पड़ेगा. मेरे बड़े भाई ने एमएससी की है. लेकिन अब वह लखनऊ में एक सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करते हैं और प्रति माह केवल 4,000 रुपये कमाते हैं. हम इस तरह कब तक चल सकते हैं. हमें ऐसी सरकार चाहिए, जो नौकरियां दें.

सीता कुंड में चाय की दुकान के मालिक बीकापुर निवासी राम स्वरूप ने कहा कि वह हमेशा से भाजपा समर्थक रहे हैं और पिछले दो लोकसभा चुनावों में लल्लू सिंह के लिए प्रचार भी किया था. लेकिन इस बार वह सपा के प्रसाद को वोट देंगे. क्योंकि उम्मीदवार हमारी बिरादरी से है. स्वरूप का मानना है कि सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक सामान्य सीट से एक पासी दलित को मैदान में उतारकर एक "साहसी कदम" उठाया है. हालांकि, रुदौली विधानसभा क्षेत्र के मतदाता काफी हद तक भाजपा के प्रति प्रतिबद्ध दिखे. उन्होंने दावा किया कि मोदी और योगी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं. उन्होंने राम मंदिर के लिए सदियों से चले आ रहे इंतजार को खत्म किया है. वे शासन करने के लायक हैं.

वरिष्ठ पत्रकार सुमन गुप्ता का मानना है कि प्रसाद की उम्मीदवारी ने फैजाबाद में भाजपा को वास्तव में मुश्किल में डाल दिया है. भले ही सपा की चुनावी पहुंच अपने प्रमुख प्रतिद्वंद्वी की तुलना में काफी कमजोर है. लेकिन बीजेपी को इसकी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है. फैजाबाद निर्वाचन क्षेत्र में लगभग चार लाख दलित मतदाता हैं और इस सीट से एक दलित की उम्मीदवारी स्वाभाविक रूप से प्रसाद के पीछे समुदाय का एक बड़ा हिस्सा एकजुट करेगी. इसमें यादवों और मुसलमानों को भी जोड़ सकते हैं, जो फैजाबाद के मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा है और सपा का समर्थक है. वहीं, बढ़ती कीमतों और बढ़ती बेरोजगारी के मुद्दों से नाराज जनता भी सपा के साथ जा सकती है.

REPORT BY: Puneet Nicholas Yadav

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