निवेशकों का तोड़ा भरोसा-बैंक को लगाया चूना, Gensol के जग्गी भाइयों का कारनामा
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निवेशकों का तोड़ा भरोसा-बैंक को लगाया चूना, Gensol के जग्गी भाइयों का कारनामा

BluSmart के प्रमोटर्स अनमोल जग्गी और पुनीत जग्गी चर्चा में हैं। चर्चा की वजह जेनसोल रॉकेट के बढ़ते हुए दाम नहीं बल्कि धोखाधड़ी है।


Gensol Promoter Fraud News: जेनसोल के शेयर कभी रॉकेट की तरह आसमान की बुलंदियों को छू रहे थे। लेकिन अब शेयर धड़ाम हो चुके हैं। फरवरी 2024 में शानदार रिटर्न देने वाले शेयर में 90 फीसद से अधिक गिरावट हुई है। सवाल यह है कि आखिर यह सब क्यों हुआ। दरअसल केयर और इकरा ने एक रिपोर्ट पेश की जिसमें वित्तीय अनियमितता का जिक्र था। जेनसोल के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी पर संगीन आरोप लगे। मामला सेबी की चौखट तक गया और सेबी ने जांच में पाया कि जग्गी भाइयों की तरफ से हेराफेरी की गई है।

सेबी द्वारा जारी दस्तावेजों से खुलासा हुआ है कि BluSmart के प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी ने कंपनी के करोड़ों रुपये का इस्तेमाल अपने शौक पूरे करने, परिवार को लाभ पहुंचाने और लग्ज़री जीवन जीने में किया। आइए जानते हैं, कहां-कहां खर्च किए गए कंपनी के पैसे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोविड-19 महामारी के दौरान Gensol ने 6,400 इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) खरीदने का फैसला किया था, जिसकी अनुमानित लागत 830 करोड़ रुपये थी। इन गाड़ियों को BluSmart को लीज़ पर देना था।

2012 में जेनसोल की स्थापना

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने साल 2012 में Gensol Engineering की स्थापना की थी। शुरुआत में यह कंपनी सोलर एनर्जी कंसल्टेंसी, प्रोक्योरमेंट और कंस्ट्रक्शन सेवाएं प्रदान करती थी।

सोलर से EV की ओर रुख

कुछ वर्षों के भीतर Gensol ने अपने कारोबार का विस्तार करते हुए इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) सेक्टर में कदम रखा। इसी दिशा में कंपनी ने BluSmart कैब सर्विस की शुरुआत की, जिसे भारत में पहली पूरी तरह इलेक्ट्रिक राइड-हेलिंग सेवा माना जाता है।

2019 में शेयर बाजार में एंट्री

2019 में Gensol का शेयर मार्केट में लिस्टिंग हुई।लिस्टिंग के बाद कंपनी को बड़े पैमाने पर निवेश और फाइनेंसिंग मिलने लगी।EV प्रोजेक्ट्स के नाम पर कंपनी ने करोड़ों रुपये के लोन भी हासिल किए।

फंडिंग का स्ट्रक्चर

कुल 830 करोड़ रुपये में से 80% राशि लोन से जुटाई गई।20% राशि इक्विटी (मार्जिन) के रूप में लगाई गई।लोन देने वालों में सरकारी स्वामित्व वाली वित्तीय संस्थाएं भी शामिल थीं।

क्या हुआ अब तक?

14 फरवरी 2025 तक Gensol ने सिर्फ 4,704 EV गाड़ियां ही खरीदी हैं। इन गाड़ियों की कुल लागत रही 568 करोड़ रुपये।

बाकी पैसों का क्या हुआ?

EV खरीद के लिए स्वीकृत 830 करोड़ और उपयोग में लाए गए 568 करोड़ रुपये के बीच करीब 262.13 करोड़ रुपये का अंतर है।इस 262 करोड़ रुपये की कोई स्पष्ट जानकारी Gensol की ओर से नहीं दी गई है।

पैसे की हेराफेरी

IREDA से मिले 71.41 करोड़ रुपये और 26 करोड़ रुपये मिलाकर कुल 97 करोड़ की राशि बनी।यह राशि Go-Auto नाम की एक कंपनी को भेजी गई, जो जग्गी और उनके प्रमोटर समूह से जुड़ी है।उसी दिन Go-Auto ने 50 करोड़ रुपये कैपब्रिज वेंचर्स को ट्रांसफर किए, जो कि जग्गी बंधुओं द्वारा चलाई जा रही फर्म है।फिर कैपब्रिज वेंचर्स ने 42.94 करोड़ रुपये डीएलएफ कैमलियास प्रोजेक्ट में एक अपार्टमेंट की खरीद के लिए भुगतान किए।

लग्ज़री अपार्टमेंट में निवेश

डीएलएफ कैमलियास, गुरुग्राम में खरीदे गए अपार्टमेंट की कीमत लगभग 5 करोड़ रुपये बताई जा रही है।यह प्रोजेक्ट 70 करोड़ रुपये से शुरू होने वाले 4BHK से 6BHK अपार्टमेंट्स के लिए जाना जाता है।इस खरीद के लिए जेंसोल कंपनी के जरिए IREDA से 71.41 करोड़ रुपये का कर्ज लिया गया और उसमें से 26 करोड़ रुपये खुद जग्गी ने जोड़े।

कंपनी फंड का दुरुपयोग

सेबी के अनुसार, अनमोल सिंह जग्गी ने BluSmart के करीब 25.76 करोड़ रुपये व्यक्तिगत और पारिवारिक इस्तेमाल में खर्च किए। इसमें शामिल हैं

क्रेडिट कार्ड पर भारी खर्च

10 लाख रुपये स्पा पर

लग्ज़री घड़ियों की खरीदारी

26 लाख के गोल्फ गियर

टाइटन कंपनी से 17.28 लाख के प्रीमियम उत्पाद

मेयो डिज़ाइन पर 8 लाख रुपये का खर्च

मेक मायट्रिप के जरिये यात्रा पर 3 लाख रुपये

परिवार को ट्रांसफर की गई राशि,

पत्नी के खाते में 2.98 करोड़ रुपये ट्रांसफर,

मां को 6.20 करोड़ रुपये भेजे गए

निवेशकों का कैसे भरोसा तोड़ा

सेबी की रिपोर्ट बताती है कि अनमोल सिंह जग्गी ने कंपनी के पैसे का सुनियोजित दुरुपयोग करते हुए आर्थिक हेराफेरी की। उन्होंने जटिल ट्रांजैक्शनों के ज़रिए पैसा इधर-उधर घुमाकर अपने लिए लग्ज़री संपत्ति और सुविधाएं जुटाईं। यानी कि जग्गी ब्रदर्स की मंशा शुरू से ही सही नहीं थी। वो किसी तरह से निवेशकों से पैसे ऐंठना चाहते थे। पहले शानदार रिटर्न दिया। लेकिन अंदरखाने धांधली को अंजाम देते रहे। अगर केयर और इक्रा की तरफ से खामी उजागर नहीं हुई होती तो इनका खेल सामने नहीं आता। जानकार कहते हैं कि शेयर बाजार में किसी भी कंपनी की साख और उसका वित्तीय अनुशासन अहम होता है, इसके साथ खिलवाड़ का मतलब ना सिर्फ कंपनी को नुकसान बल्ति छोटे छोटे लाखों निवेशकों के सपने टूट जाते हैं।

मामला अब नियामक एजेंसियों की जांच के घेरे में है।यह मामला कंपनी के वित्तीय संचालन और पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े करता है।सरकारी बैंकों और संस्थाओं से लिया गया लोन जनता के पैसों से जुड़ा होता है, ऐसे में इस रकम के उपयोग को लेकर जवाबदेही तय करना बेहद जरूरी है।अब देखना होगा कि Gensol इस राशि का हिसाब कब और कैसे सार्वजनिक करता है, और क्या नियामक एजेंसियां इस पर कोई सख्त कार्रवाई करेंगी।

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