बिहार में एनडीए की सुनामी के पीछे क्या बनी महत्वपूर्ण कड़ी, अब कौन होगा मुख्यमंत्री

15 Nov 2025 11:24 AM IST  ( Updated:2025-11-15 05:55:54  )

महिलाओं और युवाओं के वोट निर्णायक, जेडीयू और बीजेपी गठबंधन ने भारी बहुमत हासिल किया, महागठबंधन के दावों पर पानी फिरा।

Bihar Elections Result 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों ने राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव की झलक दिखाई। द फेडरल के मुख्य संपादक श्री एस श्रीनिवासन ने इस चुनाव परिणाम पर समीक्षा करते हुए कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। उन्होंने एनडीए की जीत का विश्लेषण करते हुए इसे “सुनामी” बताया, जिसमें जातीय समीकरण के बजाय सुशासन, विकास और महिलाओं की भागीदारी निर्णायक साबित हुई।


एस श्रीनिवासन के अनुसार इस चुनाव में सबसे अहम कड़ी जेडीयू और उनके नेता नीतीश कुमार रहे। उनका सुशासन, ईमानदार नेतृत्व और महिलाओं के लिए किए गए कल्याणकारी कदमों ने जनता के बीच विश्वास बढ़ाया। महिलाओं के वोट में इस बार 8-9% की उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई, जिसे शिक्षा, साइकिल वितरण, सैनिटरी पैड की उपलब्धता और शराब प्रतिबंध जैसे कदमों का प्रत्यक्ष परिणाम माना जा रहा है।

इसके साथ ही, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अंतिम समय में महिलाओं के खातों में 10,000 रुपये की राशि के ट्रांसफर ने भी चुनावी माहौल को प्रभावित किया। श्रीनिवासन ने इसे “रिटर्न गिफ्ट” के रूप में वर्णित किया, जिसका असर महिला मतदाताओं के समर्थन में दिखा।

बीजेपी के मजबूत प्रदर्शन के पीछे भी कई कारक हैं। कार्यकर्ता नेटवर्क, मजबूत चुनावी मशीनरी और जेडीयू और एलजेपी के साथ गठबंधन ने वोट शेयर में इजाफा किया। जमीनी स्तर पर भाजपा कार्यकर्ताओं ने लगातार अभियान चलाया और वोट बैंक को प्रभावी तरीके से संगठित किया।

वहीं, महागठबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ा। एग्जिट पोल में अनुमानित 100 सीटों की अपेक्षा पूरी तरह बुरी हार हुई। आरजेडी और कांग्रेस के घोषणापत्रों, युवाओं और पिछड़ी जातियों को लुभाने के प्रयासों और जातीय समीकरण के बावजूद विपक्षी गठबंधन अपने दावों में असफल रहा। युवाओं की अपेक्षित भागीदारी महागठबंधन के पक्ष में असरदार साबित नहीं हुई।

इस चुनाव में प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन स्वराज ने सीमित प्रभाव डाला। उनकी तटस्थ रणनीति और जाति से ऊपर उठकर काम करने की नीति को जनता ने तो जाना, लेकिन सीटों में बदलाव नहीं दिखा। विशेषज्ञों का कहना है कि उनका राजनीतिक प्रयोग अगले चुनावों में अधिक प्रभावी हो सकता है।

एस श्रीनिवासन के अनुसार इस चुनाव में बिहार की राजनीति ने विकास और कल्याण को प्राथमिकता दी। जातीय समीकरण पिछड़े, लेकिन महिलाओं और युवाओं के वोट निर्णायक बने। पलायन और वोटिंग प्रतिशत में बढ़ोतरी ने एनडीए को भारी बहुमत दिलाया।

मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति जटिल है। एनडीए को बहुमत मिलने के बावजूद नीतीश कुमार की भूमिका महत्वपूर्ण है। हालांकि, बीजेपी जेडीयू के बगैर भी सरकार बनाने के लिए आवश्यक सीटें हासिल कर चुकी है, लेकिन गठबंधन के भीतर संतुलन बनाए रखना और मुख्यमंत्री का निर्णय लेना चुनौतीपूर्ण होगा। इसके साथ ही केंद्र सरकार को जेडीयू का समर्थन है, इसलिए बिहार में नितीश कुमार से अलग होना आसान नहीं होगा।

इस चुनाव में वोट चोरी और चुनावी आचार संहिता उल्लंघन के आरोप भी उठे हैं, लेकिन इनका असर सीमित दिख रहा है। कांग्रेस और आरजेडी इस पर अपनी-अपनी राय रख रहे हैं, लेकिन जनता ने विकास और सुशासन को प्राथमिकता दी।
बिहार का यह चुनाव एक ‘वेव’ के रूप में देखा जा सकता है। महागठबंधन की हार, महिलाओं और युवाओं की बढ़ी भागीदारी, और नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू की साख ने एनडीए की ऐतिहासिक जीत सुनिश्चित की।
अंततः, मुख्यमंत्री पद के लिए नीतीश कुमार का नाम सबसे मजबूत माना जा रहा है, लेकिन अगले दो-तीन दिनों में चुनाव परिणाम के पूर्ण आंकड़े आने के बाद ही अंतिम फैसला स्पष्ट होगा। इस चुनाव ने साबित कर दिया कि बिहार में विकास, सुशासन और महिलाओं की भागीदारी ने पारंपरिक जातीय समीकरणों को पीछे छोड़ दिया है।