चीन पर नहीं, भारत पर भारी टैरिफ: रूस से तेल खरीद पर अमेरिका का दोहरा मापदंड?
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चीन पर नहीं, भारत पर भारी टैरिफ: रूस से तेल खरीद पर अमेरिका का दोहरा मापदंड?

Russia China oil deal: अमेरिकी विदेश मंत्री ने इस दोहरे मापदंड पर सफाई देते हुए कहा कि चीन से खरीदा गया रूसी तेल रिफाइन होकर वैश्विक बाजार में लौट रहा है.


US China oil trade: जब भारत को रूस के साथ व्यापार करने पर 50 प्रतिशत तक टैरिफ का सामना करना पड़ा, तब रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार चीन को अमेरिका ने पूरी तरह से राहत दी. वहीं, अब अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इस दोहरे मापदंड पर सफाई देते हुए कहा कि चीन से खरीदा गया रूसी तेल रिफाइन होकर वैश्विक बाजार में लौट रहा है और उस पर प्रतिबंध लगाने से तेल की कीमतें आसमान छू सकती हैं.

एक इंटरव्यू में रुबियो ने कहा कि जो तेल चीन को जा रहा है और वहां रिफाइन हो रहा है, उसका बड़ा हिस्सा फिर से यूरोप को बेचा जा रहा है. यूरोप अब भी प्राकृतिक गैस खरीद रहा है. कुछ देश इससे छुटकारा पाने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन यूरोप को अपने प्रतिबंधों को लेकर और कदम उठाने की जरूरत है.

उन्होंने आगे कहा कि अगर आप चीन पर प्रतिबंध लगाते हैं और रूसी तेल बिक्री को रोकते हैं तो चीन उस तेल को रिफाइन कर वैश्विक बाजार में बेचता है। इससे या तो कीमतें बढ़ेंगी या फिर देशों को तेल के वैकल्पिक स्रोत ढूंढने पड़ेंगे.

यूरोपीय देशों की चिंता

रुबियो ने कहा कि जब चीन और भारत पर 100% टैरिफ लगाने का प्रस्ताव अमेरिकी सीनेट में आया तो कई यूरोपीय देशों ने अपनी चिंता जाहिर की थी. हालांकि, उन्होंने इसे सार्वजनिक नहीं किया. उन्होंने कहा कि हमें कई यूरोपीय देशों से निजी तौर पर यह सुनने को मिला कि ऐसे किसी कदम से उन्हें चिंता है.

यूरोप पर भी लगाए जाएंगे प्रतिबंध?

जब उनसे पूछा गया कि क्या रूस से तेल और गैस खरीदने वाले यूरोपीय देशों पर भी कोई प्रतिबंध लग सकता है तो रुबियो ने स्पष्ट कहा कि यूरोप पर सीधे प्रतिबंध लगाने की योजना तो नहीं है. लेकिन द्वितीयक प्रतिबंधों के प्रभाव उन्हें भी प्रभावित कर सकते हैं. मैं नहीं चाहता कि हम यूरोप के साथ इस मुद्दे पर टकराव की स्थिति में आएं. वे हमारी मदद कर सकते हैं.

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