नए संबंधों की कोशिश: चीन ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ, भारत को दिया ये प्रस्ताव
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नए संबंधों की कोशिश: चीन ने बढ़ाया दोस्ती का हाथ, भारत को दिया ये प्रस्ताव

China hand of friendship towards India: चीन का रुख अब भारत के साथ सहयोग बढ़ाने का है. चाहे वह व्यापार हो, सीमाएं हों या जनसंपर्क.


US and China trade tensions: अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव के बीच, चीन ने भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है. चीन ने कहा है कि वह भारत से ज्यादा गुणवत्ता (प्रीमियम) वाले उत्पादों का आयात (Import) करने को तैयार है, ताकि दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा कम हो सके. चीन में भारत के राजदूत शू फेइहोंग (Xu Feihong) ने उम्मीद जताई कि भारत, चीन की कंपनियों को एक निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार माहौल देगा.

सीमा विवाद के बाद रिश्तों में सुधार

2020 के सीमा तनाव के बाद अब भारत-चीन संबंधों में कुछ सुधार के संकेत मिल रहे हैं. चीनी राजदूत ने कहा कि दोनों देश अब सीमा विवाद को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं और परस्पर विकास पर ध्यान दे रहे है. उन्होंने यह भी कहा कि सीमा विवाद को पूरे रिश्ते पर हावी नहीं होने देना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच कज़ान (Kazan) में हुई बैठक को उन्होंने रिश्तों में दिशा देने वाली बताया.

चीन का नया प्रस्ताव

भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा अब 99.2 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. इस पर चीन का कहना है कि उसने कभी व्यापार में अधिक लाभ (Trade Surplus) को जानबूझकर नहीं बढ़ाया. चीन अब भारत से मिर्च, लोहा, कपास जैसे उत्पादों का अधिक आयात कर रहा है और चाह रहा है कि भारत के अन्य उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों को भी बाजार में जगह दी जाए. चीन ने भारतीय कंपनियों को इंपोर्ट एक्सपो (CIIE) जैसे आयोजनों में हिस्सा लेने और अपने उत्पादों को चीन में बेचने का आमंत्रण दिया है.

चीन की शिकायत

राजदूत फेइहोंग ने कहा कि चीन ने भारत पर किसी तरह के मैनपावर या तकनीक निर्यात पर पाबंदी नहीं लगाई है. लेकिन भारतीय वीजा नीति से चीनी नागरिकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. साथ ही, कुछ चीनी कंपनियों को भारत में अनुचित व्यवहार का भी सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों को एक-दूसरे की चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए.

चीन का आश्वासन

भारत को चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे चीन में यारलुंग सांगपो कहा जाता है) पर बनाए जा रहे हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट को लेकर चिंता है. चीन ने आश्वासन दिया है कि यह प्रोजेक्ट सिर्फ बिजली उत्पादन के लिए है, इससे पानी की आपूर्ति पर असर नहीं पड़ेगा. चीन “जल प्रभुत्व” की नीति में विश्वास नहीं करता और भारत के साथ इस मुद्दे पर बातचीत जारी रखेगा.

मीडिया की भूमिका

राजदूत ने कहा कि भारत-चीन के बीच विश्वास की कमी मीडिया में एकतरफा रिपोर्टिंग और आपसी संवाद की कमी से पैदा होती है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के पत्रकारों को एक-दूसरे के देश में काम करने का मौका मिलना चाहिए. चीन इस विषय पर भारत के साथ बातचीत कर रहा है.

वैश्विक अनिश्चितता

राजदूत ने कहा कि अमेरिका की टैरिफ नीति और व्यापारिक दबाव वैश्विक स्थिरता को नुकसान पहुंचा रहे हैं. ऐसे में भारत और चीन जैसे बड़े विकासशील देशों की जिम्मेदारी है कि वे एकतरफा फैसलों और संरक्षणवाद का विरोध करें. दोनों देशों को मिलकर बहुपक्षीय सहयोग और वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता लाने का प्रयास करना चाहिए.

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