संकट में अवामी लीग: हसीना के निर्वासन और मौत की सजा के बाद भविष्य अनिश्चित
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संकट में अवामी लीग: हसीना के निर्वासन और मौत की सजा के बाद भविष्य अनिश्चित

शेख हसीना की मौत की सज़ा के बाद अवामी लीग को नेतृत्व शून्यता, राजनीतिक प्रतिबंधों और बांग्लादेश में अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा है।


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बांग्लादेश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अवामी लीग एक गंभीर संकट का सामना कर रही है। पिछले साल हुई बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन पर सरकार की कार्रवाई के लिए पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध में मौत की सजा सुनाई गई है, जिसमें कम से कम 1,400 लोगों की मौत हुई थी।

ट्रिब्यूनल ने हसीना और गृह मंत्री को दोषी ठहराया

हसीना ने 1971 के स्वतंत्रता संग्राम में कथित युद्ध अपराधों के मुकदमे के लिए स्थापित ट्रिब्यूनल ने उन्हें और उनके गृहमंत्री असदुज्ज़मान खान कमाल को सभी पांच आरोपों में दोषी पाया।

हसीना के बिना पार्टी का पुनर्गठन

राजनीतिक विश्लेषक ज़ोबैदा नसरीन ने मीडिया को बताया कि पार्टी का अस्तित्व हसीना के बिना पुनर्गठन पर निर्भर करेगा, जो अगस्त 2024 के विद्रोह के बाद भारत भाग गई थीं और वहीं से पार्टी चला रही हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी का भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि वह इस संकट का कैसे सामना करती है। ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. सब्बिर अहमद ने कहा कि पार्टी के पास बड़े समर्थक आधार के कारण जीवित रहने की संभावना है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के वकील बैरिस्टर शहेरियार कबीर ने कहा कि यह कार्य अत्यंत कठिन, लगभग असंभव होगा।

पार्टी की प्रतिक्रिया कमजोर

फैसले से पहले हुई बम और आगजनी की घटनाओं को छोड़कर, पार्टी की प्रतिक्रिया हसीना की सजा के बाद काफी धीमी रही। पूरे बांग्लादेश में एक दिन के बंद का आह्वान अपेक्षित सफलता नहीं पा सका, जो पार्टी की कमजोर संगठनात्मक क्षमता को दर्शाता है। कबीर ने हसीना की सजा की तुलना जमात-ए-इस्लामी नेता देलवार हुसैन सईदी की सजा से की। उन्होंने कहा कि सईदी की सजा के बाद देशभर में झड़पें हुईं और दर्जनों लोग मरे, लेकिन हसीना के फैसले के बाद क्या हुआ? कोई प्रदर्शन नहीं हुआ। पिछले साल उनकी सरकार के गिरने के बाद सभी सांसद भाग गए।

अंतरिम सरकार और चुनावी प्रतिबंध

अंतरिम सरकार ने पार्टी को आधिकारिक राजनीतिक गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया है, जबकि चुनाव आयोग ने उसकी पंजीकरण निलंबित कर दी है। इसका मतलब है कि 2009 से सत्ता में रही अवामी लीग फरवरी चुनाव में भाग नहीं ले सकती।

ज़ोहरा ताजुद्दीन की याद

विश्लेषकों ने वर्तमान संकट की तुलना 1975 में शेख मुजीबुर रहमान की हत्या के बाद की स्थिति से की है। उस समय पार्टी ने वर्षों के झगड़ों के बाद हसीना के नेतृत्व में फिर से एकजुटता हासिल की थी। 1970 के दशक में पार्टी के अस्तित्व के लिए ज़ोहरा ताजुद्दीन, बांग्लादेश के पहले प्रधानमंत्री ताजुद्दीन अहमद की पत्नी, महत्वपूर्ण थीं। उन्होंने पार्टी की संगठनात्मक संरचना को पुनर्निर्मित किया और युवा नेताओं को प्रशिक्षित किया। उनके नेतृत्व ने अवामी लीग को फिर से सशक्त बनाया।

विशेषज्ञ क्या कहते हैं

राजनीतिक इतिहासकार डॉ. कमाल हुसैन ने कहा कि अगर पार्टी के सबसे कठिन समय में ज़ोहरा ताजुद्दीन नहीं होतीं तो अवामी लीग 1980 के दशक में केंद्रीय शक्ति के रूप में उभर नहीं पाती। लेकिन बैरिस्टर कबीर के अनुसार अब स्थिति पूरी तरह अलग है। उन्होंने कहा कि मुजीब की हत्या के बाद कोई अवामी लीग सांसद इस्तीफा नहीं दिया था। पार्टी उस समय सक्रिय थी, अब नहीं।

हसीना का प्रभाव अभी भी बना हुआ

हसीना के निर्वासन और सजा के बावजूद, उनकी केंद्रीय भूमिका पार्टी की निष्ठा में बनी हुई है। प्रेसिडियम सदस्य अब्दुर रहमान ने कहा कि देशभर में सभी अवामी लीग गतिविधियां हमारे नेता की मार्गदर्शन में होंगी। हालांकि, पार्टी कमजोर हो गई है, लेकिन नवंबर में हुए ढाका लॉकडाउन’ और ऑनलाइन बंद से हसीना का प्रभाव अभी भी दिखा।

राजनीतिक और सामाजिक चुनौती

हसीना के बच्चों, सजीब वाज़ेद जॉय और साइमा वाज़ेद पुतुल, विदेश में हैं। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता भी विदेश भाग चुके हैं। जुलाई विद्रोह के मामलों में कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया है। सजा, राजनीतिक प्रतिबंध और निर्वासन ने पार्टी के लिए ऐतिहासिक चुनौती पेश की है।

भविष्य की अनिश्चितता

विश्लेषकों का कहना है कि पार्टी का भविष्य हसीना के निर्वासन और दंड के प्रभाव पर निर्भर करेगा। कुछ सर्वेक्षणों के अनुसार अवामी लीग को अभी भी लगभग 19% जनता का समर्थन प्राप्त है। बैरिस्टर कबीर ने कहा कि अवामी लीग का भविष्य अनिश्चित है, लेकिन इसे तय करना जनता के हाथ में है। अगर जुलाई चार्टर लागू किया गया तो भविष्य उज्ज्वल होगा, नहीं तो संकट गहरा जाएगा।

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