Bangladesh Crisis: खुफिया रिपोर्ट में दावा, लंदन में PAK-चीन ने रची सत्ता पलट की साजिश!
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Bangladesh Crisis: खुफिया रिपोर्ट में दावा, लंदन में PAK-चीन ने रची सत्ता पलट की साजिश!

खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पड़ोसी बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह बात सामने आई है कि सत्ता पलट का खाका पाकिस्तान की आईएसआई के साथ गठजोड़ करके लंदन में तैयार किया गया था.


Bangladesh Crisis Intelligence Report: खुफिया रिपोर्टों के अनुसार, पड़ोसी बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार के पतन के बाद यह बात सामने आई है कि सत्ता पलट का खाका पाकिस्तान की आईएसआई के साथ गठजोड़ करके लंदन में तैयार किया गया था. बांग्लादेशी अधिकारियों ने दावा किया कि उनके पास बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक प्रमुख और खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान और सऊदी अरब में आईएसआई अधिकारियों के बीच बैठकों के सबूत हैं. इसके अलावा एक्स पर कई “बांग्लादेश विरोधी” हैंडल लगातार विरोध को हवा दे रहे थे.

सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का इरादा हसीना सरकार को अस्थिर करना और विपक्षी बीएनपी को बहाल करना था, जिसे पाकिस्तान समर्थक माना जाता है. आईएसआई के ज़रिए चीन ने भी विरोध प्रदर्शनों को बढ़ाने में भूमिका निभाई, जिसके कारण हसीना को आखिरकार भारत भागना पड़ा. विरोध प्रदर्शन नौकरी में आरक्षण के मुद्दे पर शुरू हुआ था. लेकिन धीरे-धीरे यह हसीना के खिलाफ एक व्यापक सरकार विरोधी आंदोलन में बदल गया, जिसमें 300 से अधिक लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हो गए.

खुफिया प्रतिष्ठान ने कहा कि आईएसआई समर्थित इस्लामी छात्र शिबिर (आईसीएस), जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा ने विरोध प्रदर्शनों को उकसाया और इसे हसीना की जगह ऐसी सरकार लाने के प्रयास में बदल दिया, जो पाकिस्तान और चीन के अनुकूल हो. भारत विरोधी रुख के लिए जाने जाने वाले जमात-ए-इस्लामी का उद्देश्य छात्र विरोध को राजनीतिक आंदोलन में बदलना था.

खुफिया जानकारी से पता चलता है कि इस्लामी छात्र शिबिर के सदस्यों ने कई महीनों तक सावधानीपूर्वक योजना बनाई थी. खुफिया सूत्रों ने कहा कि इस फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया. विरोध-प्रदर्शनों की जड़ें विवादास्पद कोटा प्रणाली में निहित हैं, जिसके तहत पाकिस्तान के खिलाफ 1971 के बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले दिग्गजों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिया गया था.

भले ही बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों में आरक्षण को घटाकर 5% कर दिया हो. लेकिन विरोध प्रदर्शनों ने एक भयानक रूप ले लिया, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने हसीना के इस्तीफ़े की मांग की. 4 अगस्त को विरोध-प्रदर्शन और भी उग्र हो गया, जब पुलिस के साथ झड़पों में 100 से ज़्यादा लोग मारे गए.

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