
हिंदुओं पर हिंसा से बदनाम बांग्लादेश, अब भारत को अल्पसंख्यकों पर नसीहत
Hindu persecution in Bangladesh: जिस देश में अल्पसंख्यक खुद असुरक्षित महसूस कर रहे हों, उसका दूसरे देशों को मानवाधिकारों पर नसीहत देना सवाल खड़े करता है।
Violence against Hindus in Bangladesh: जहां एक तरफ बांग्लादेश में हिंदू और अन्य अल्पसंख्यक समुदाय लगातार हिंसा और डर के माहौल में जीने को मजबूर हैं। वहीं, दूसरी तरफ बांग्लादेश भारत को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर नसीहत देता नजर आ रहा है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आलोचना झेल रहे बांग्लादेश की यह दोहरी नीति अब सवालों के घेरे में है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या बांग्लादेश को सच में चिंता है या फिर अपनी नाकामियों से ध्यान भटकाने की कोशिश है?
बांग्लादेश की चिंता
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने भारत में अल्पसंख्यक समुदायों से जुड़ी कथित हिंसा और हत्याओं की घटनाओं पर चिंता जताई है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एसएम महबूबुल आलम ने कहा कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में मुसलमानों और ईसाइयों सहित अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा, भीड़ हमले, मनमानी गिरफ्तारियां और धार्मिक कार्यक्रमों में बाधा की खबरें सामने आई हैं। उन्होंने भारत से इन मामलों की निष्पक्ष जांच करने और दोषियों को सजा देने की मांग की।
क्रिसमस की घटनाओं का भी किया उल्लेख
बांग्लादेश ने भारत में कुछ जगहों पर क्रिसमस के दौरान हुई घटनाओं का भी जिक्र किया और उन्हें हिंसा से जोड़ते हुए चिंता जताई। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि बांग्लादेश यह नहीं बताता कि भारत में ऐसी घटनाओं पर प्रशासन ने कार्रवाई की, जबकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के मामलों में सख्त कदम देखने को नहीं मिले। प्रवक्ता आलम ने इन घटनाओं को नफरत से जुड़े अपराध बताया और उम्मीद जताई कि भारत सरकार दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हमले
पिछले साल जुलाई में हुए विद्रोह के बाद से बांग्लादेश में हालात और बिगड़ते गए। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार के कार्यकाल में हिंदुओं पर हमलों की घटनाएं बढ़ने के आरोप लगे हैं। कई बार इन घटनाओं को सरकार की ओर से नकारा गया या उन्हें बढ़ा-चढ़ाकर बताया गया कहा गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिंदुओं के घरों को नुकसान पहुंचाया गया, कई लोगों को नौकरियों से निकाला गया और कुछ मामलों में भीड़ हिंसा की घटनाएं सामने आईं। हाल के दिनों में दीपू चंद्र दास और अमृत मंडल नाम के युवकों की मौत की घटनाओं ने स्थिति को और गंभीर बना दिया।
सवालों के घेरे में बांग्लादेश की भूमिका
विशेषज्ञों का मानना है कि जिस देश में अल्पसंख्यक खुद असुरक्षित महसूस कर रहे हों, उसका दूसरे देशों को मानवाधिकारों पर नसीहत देना सवाल खड़े करता है। भारत में कानून के तहत मामलों की जांच और कार्रवाई होती है, जबकि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा को लेकर अब तक ठोस कदमों की कमी बताई जा रही है।

