
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का निधन, राजनीति में एक युग का अंत
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बीएनपी प्रमुख बेगम खालिदा जिया का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया। उनका जाना बांग्लादेशी राजनीति के एक युग का अंत माना जा रहा है।
Khaleda Zia Death News: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की प्रमुख नेता बेगम खालिदा जिया का निधन हो गया है। वे लंबे समय से गंभीर रूप से बीमार चल रही थीं और डॉक्टरों के अनुसार उनकी हालत लगातार नाज़ुक बनी हुई थी। उनके निधन की पुष्टि बीएनपी ने एक आधिकारिक फेसबुक पोस्ट के ज़रिए की है। पार्टी के मुताबिक डॉक्टरों ने आज सुबह करीब छह बजे उन्हें मृत घोषित किया।
खालिदा जिया का इलाज 23 नवंबर से ढाका के एवरकेयर हॉस्पिटल में चल रहा था। 11 दिसंबर को उनकी हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था। डॉक्टरों ने दो दिन पहले ही उनकी स्थिति को बेहद नाजुक बताया था। बीएनपी के अनुसार, सोमवार देर रात उनकी हालत अचानक और खराब हो गई थी। आगे के इलाज के लिए उन्हें लंदन ले जाने की योजना थी और कतर से एक विशेष विमान भी स्टैंडबाय पर रखा गया था, लेकिन मेडिकल बोर्ड ने उन्हें अस्पताल से एयरपोर्ट ले जाने की अनुमति नहीं दी।
जन्म, परिवार और राजनीति में प्रवेश
बेगम खालिदा जिया का जन्म 15 अगस्त 1945 को तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के दीनाजपुर ज़िले में हुआ था। उनके पिता इस्कंदर मजूमदार एक व्यवसायी थे और मां तैयबा मजूमदार एक गृहिणी थीं। परिवार में उन्हें प्यार से पुतुल कहा जाता था। वे तीन बहनों और दो भाइयों में दूसरी थीं। शुरुआती शिक्षा दीनाजपुर मिशनरी स्कूल से हुई और 1960 में उन्होंने दीनाजपुर गर्ल्स स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा पास की।
खालिदा जिया बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति जियाउर रहमान की पत्नी थीं। 1981 में जियाउर रहमान की हत्या के बाद खालिदा जिया सक्रिय राजनीति में आईं। इसके बाद उन्होंने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की कमान संभाली और धीरे-धीरे देश की सबसे प्रभावशाली और ताकतवर राजनीतिक नेताओं में शामिल हो गईं।
तीन बार प्रधानमंत्री, पहली महिला प्रधानमंत्री
खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। वे तीन बार इस पद पर रहीं पहली बार 1991 से 1996 तक और दूसरी बार 2001 से 2006 तक। उनके नेतृत्व में बीएनपी सरकार ने आर्थिक सुधारों, निजीकरण और बुनियादी ढांचे के विकास पर ज़ोर दिया। हालांकि उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार, उग्रवाद और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर उनकी सरकार पर गंभीर आरोप भी लगे।
शेख हसीना से कड़वी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता
खालिदा जिया का राजनीतिक जीवन संघर्षों और विवादों से भरा रहा। उनकी सबसे तीखी और ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता अवामी लीग की नेता और पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ रही, जिसे बांग्लादेश की राजनीति की सबसे कड़वी प्रतिद्वंद्विताओं में गिना जाता है। शेख हसीना के शासनकाल में भ्रष्टाचार के एक मामले में खालिदा जिया को सजा सुनाई गई थी, जिसे बीएनपी ने राजनीतिक बदले की कार्रवाई बताया।
जेल, नजरबंदी और बीमारी से संघर्ष
खालिदा जिया 8 फरवरी 2018 को भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद जेल भेजी गई थीं। उनकी पार्टी और परिवार ने कई बार बेहतर इलाज के लिए उन्हें विदेश भेजने की अनुमति देने की अपील की लेकिन शेख हसीना सरकार ने इसे ठुकरा दिया। कोरोना महामारी के दौरान 25 मार्च 2020 को उन्हें कुछ शर्तों के साथ अस्थायी रिहाई मिली, लेकिन इसके बाद भी वे लगातार बीमार रहीं और कई बार अस्पताल में भर्ती कराई गईं। वे उम्र से जुड़ी कई गंभीर बीमारियों से जूझ रही थीं, जिनमें लिवर का एडवांस सिरोसिस, गठिया, डायबिटीज़ और दिल व सीने से जुड़ी समस्याएं शामिल थीं।
राजनीतिक उथल-पुथल के दौर में निधन
खालिदा जिया का निधन ऐसे समय में हुआ है, जब बांग्लादेश गहरे राजनीतिक संकट और उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है। फरवरी में देश में आम चुनाव होने हैं। इसी बीच उनके बेटे और बीएनपी के कार्यकारी नेता तारिक रहमान करीब 17 साल के निर्वासन के बाद हाल ही में बांग्लादेश लौटे हैं। खालिदा जिया अपने पीछे इकलौते बेटे तारिक रहमान उनकी पत्नी और उनकी बेटी को छोड़ गई हैं। उनके छोटे बेटे अराफात रहमान कोको का कुछ साल पहले मलेशिया में निधन हो चुका था।
बेगम खालिदा जिया का जाना बांग्लादेश की राजनीति में एक युग के अंत के रूप में देखा जा रहा है। एक ऐसी नेता, जिन्होंने दशकों तक देश की राजनीति को दिशा दी और जिनकी विरासत आने वाले समय में भी राजनीतिक विमर्श का अहम हिस्सा बनी रहेगी।

