सेंट मार्टिन का सौदा ना करना पड़ा भारी, शेख हसीना को हटाने में US की साजिश?
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'सेंट मार्टिन' का सौदा ना करना पड़ा भारी, शेख हसीना को हटाने में US की साजिश?

क्या बंगाल की खाड़ी स्थित सेंट मार्टिन द्वीप ही शेख हसीना के बांग्लादेश से बाहर होने की वजह है। इस संबंध में उनके एक करीबी ने अमेरिकी हाथ होने का दावा किया है।


Sheikh Hasina News: बांग्लादेश में अब मोहम्मद यूनुस का राज है। वो फिलहाल केयरटेकर पीएम बनाए गए हैं। अवामी लीग की मुखिया और पूर्व पीएम शेख हसीना इस समय भारत की शरण में हैं। ढाका की वो तस्वीरें याद होंगी जब हसीना के खिलाफ लाखों की संख्या में छात्र सड़कों पर उतर चुके थे। मामला आरक्षण का था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले वो मुद्दा हल्का पड़ा। यह बात अलग है कि पिछले चार से पांच दिन पहले हालात ऐसे बने कि शेख हसीना को ना सिर्फ इस्तीफा देना पड़ा बल्कि बांग्लादेश से भी भागना पड़ गया। शेख हसीना के साथ ऐसा क्या कुछ हुआ कि उन्हें अपना वतन छोड़ना पड़ा। इसके पीछे की कई कहानी है जिसमें रजाकारों के मुद्दे पर दिया गया बयान तो दूसरी तरफ अमेरिका की नाराजगी है।

सौदा ना करना पड़ा महंगा
मीडिया रिपोर्टस (ईटी) के मुताबिक शेख हसीना के एक करीबी ने बताया कि अमेरिका साजिश जिम्मेदार है। अगर उन्होंने सेंट मार्टिन नाम के द्वीप को अमेरिका के हवाले कर दिया होता तो वो सत्ता में बनी रहतीं। सेंट मार्टिन द्वीप ना देने की वजह से ही वर्तमान हालात के निर्माण हुए। शेख हसीना कहती हैं कि इस्तीफा तो उन्होंने इस वजह से दिया क्योंकि वो लाशों के जुलूस को नहीं देखना चाहती थीं। सरकार में बने रहने के लिए सेंट मार्टिन द्वीप का अमेरिका से सौदा करना पड़ता जो उन्होंने नहीं किया।
सेंट मार्टिन द्वीप क्यों है अहम
यह बात किसी से छिपी नहीं है अमेरिका अपमी धमक बनाये रखने के लिए कमजोर मुल्कों पर बेजा दबाव बनाता है। हिंद महासागर में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए वो बंगाल की खाड़ी स्थति सेंट मार्टिन द्वीप पर अपनी नजर गड़ाए बैठा था। लेकिन शेख हसीना दबाव के सामने नहीं झुकीं और उसका असर यह हुआ कि अमेरिका उन्हें अस्थिर करने की कोशिश में जुट गया।
सेंट मार्टिन द्वीप, बांग्लादेश, बंगाल की खाड़ी में स्थित एक छोटा, सुंदर द्वीप है। यह बांग्लादेश का एकमात्र कोरल द्वीप है और अपने सफ़ेद रेत वाले समुद्र तटों और क्रिस्टल-क्लियर पानी के लिए जाना जाता है। यह एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, क्योंकि यह तैराकी, स्नोर्कलिंग और मछली पकड़ने जैसी कई तरह की गतिविधियाँ प्रदान करता है। यह बांग्लादेश के इतिहास और संस्कृति के बारे में जानने के लिए भी एक बेहतरीन जगह है।
सेंट मार्टिन द्वीप का एक लंबा और आकर्षक इतिहास है। माना जाता है कि यह पहली बार 12वीं शताब्दी के आसपास अराकानी लोगों द्वारा बसाया गया था। अराकानी एक समुद्री यात्रा करने वाले लोग थे जो अपने व्यापार कौशल के लिए जाने जाते थे। वे अपने समुद्री यात्रा कौशल और समुद्र के ज्ञान के लिए भी जाने जाते थे।16वीं शताब्दी में, पुर्तगाली व्यापारी द्वीप पर आए और एक किला बनाया। उन्होंने एक चर्च और एक व्यापारिक चौकी भी बनाई। फिर 17वीं शताब्दी में इस द्वीप पर डचों ने कब्ज़ा कर लिया। इस दौरान, यह द्वीप डच ईस्ट इंडिया कंपनी के लिए एक प्रमुख व्यापारिक चौकी थी।
19वीं सदी में, अंग्रेजों ने इस द्वीप पर कब्ज़ा कर लिया और यह ब्रिटिश भारत का हिस्सा बन गया। इस दौरान, इस द्वीप का इस्तेमाल व्यापारिक चौकी और नौसैनिक अड्डे के रूप में किया जाता था। 1947 में, यह द्वीप नए स्वतंत्र देश बांग्लादेश का हिस्सा बन गया।


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